राजस्थान विधानसभा की 200 में से 199 सीटों के लिए मतदान हो चुका है. 199 सीटों के लिए 25 नवंबर को मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया. सूबे में 2018 के 74.71 फीसदी के मुकाबले 75.45 फीसदी मतदान हुआ है. हाल ही में संपन्न वोटिंग में पहली बार बुजुर्ग और दिव्यांग मतदाताओं के लिए पोस्टल बैलट से मतदान की व्यवस्था की गई थी. पोस्टल बैलट से 0.83 फीसदी मतदान हुआ है.
राजस्थान में 51 हजार से अधिक पोलिंग बूथ पर मतदान हुआ. श्रीगंगानगर जिले की करनपुर सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के निधन के कारण उस सीट पर मतदान स्थगित कर दिया गया था. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक राजस्थान के मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता ने कहा है कि पुरुषों के मुकाबले महिला मतदाताओं ने अधिक मतदान किया है. पुरुष मतदाताओं का मतदान प्रतिशत जहां 74.53 फीसदी रहा, वहीं महिला मतदाताओं में से 74.72 फीसदी ने अपने मताधिकार का उपयोग किया.
साल 2018 की बात करें तो पुरुषों ने महिलाओं की तुलना में अधिक वोट डाले थे. तब पुरुष मतदाताओं का टर्नआउट 74.71 और महिला मतदाताओं का वोटिंग प्रतिशत 74.67 फीसदी रहा था. मामूली ही सही, पुरुषों का टर्नआउट महिलाओं से अधिक रहा था. चुनाव आयोग के मुताबिक राजस्थान की 199 सीटों में से सबसे ज्यादा वोटिंग कुशलगढ़ विधानसभा क्षेत्र में हुई है. कुशलगढ़ में 88.13 फीसदी मतदान हुआ है जो साल 2018 के 86.13 फीसदी से दो फीसदी अधिक है.
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पोखरण में 87.79 फीसदी मतदान हुआ है. पोखरण में पिछले चुनाव में 87.50 फीसदी वोटिंग हुई थी. इसी तरह तिजारा विधानसभा क्षेत्र में 2018 के 82.08 फीसदी के मुकाबले इस बार 86.11 फीसदी मतदान हुआ है. तिजारा और पोखरण, दोनों ही चर्चित सीटें हैं. पोखरण सीट पर दो धर्मगुरु आमने-सामने हैं. बीजेपी से महंत प्रताप पुरी चुनाव मैदान में हैं तो कांग्रेस से सालेह मोहम्मद मैदान में हैं. वहीं, तिजारा सीट से बीजेपी ने बाबा बालकनाथ को उतारा है.
अहोर में सबसे कम मतदान
राजस्थान के मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता के मुताबिक ईवीएम से सबसे कम मतदान अहोर विधानसभा सीट के लिए हुआ. अहोर सीट पर ईवीएम से 61.24 फीसदी वोटिंग हुई. इस विधानसभा क्षेत्र में पिछली बार 61.53 फीसदी वोटिंग हुई थी. राजस्थान की जिन 199 विधानसभा सीटों पर 25 नवंबर को वोट डाले गए, वहां कुल 5 करोड़ 25 लाख 38 हजार 105 मतदाता पंजीकृत हैं. इनमें से 3 करोड़ 92 लाख 11 हजार 399 ने अपने मताधिकार का उपयोग किया.
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गौरतलब है कि राजस्थान में पिछले 25 साल से हर चुनाव में सरकार बदलने का रिवाज है. सूबे में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच ही सीधा मुकाबला रहता है. सत्ता परिवर्तन के रिवाज और पीएम मोदी के करिश्माई चेहरे के बल पर बीजेपी को सत्ता में वापसी की आस है तो वहीं कांग्रेस को अपनी सात गारंटियों और गहलोत सरकार की लोकलुभावन योजनाओं के सहारे सरकार बदलने का रिवाज टूटने की उम्मीद. अब रिवाज बदलता है या टूटता है, राजस्थान की जनता का फैसला 3 दिसंबर को वोटों की गिनती के साथ सामने आ जाएगा.
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