कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए, 2019 में सोनिया के खिलाफ लड़ा चुनाव... जानें कौन हैं दिनेश प्रताप जिन्हें रायबरेली से फिर मिला टिकट

ब्लॉक प्रमुख की राजनीति से शुरुआत करने वाले दिनेश प्रताप सिंह वर्तमान में योगी सरकार में स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री हैं. वह पहली बार 2004 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधान परिषद का चुनाव लड़े थे, लेकिन भाजपा के प्रत्याशी से चुनाव हार गए. बाद में 2007 में बसपा के प्रत्याशी के तौर पर तिलोई विधानसभा से विधानसभा का चुनाव लड़े, लेकिन वहां भी इन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा. उसके बाद दिनेश प्रताप ने कांग्रेस में किस्मत आजमाई थी.

Advertisement
दिनेश प्रताप सिंह को बीजेपी ने रायबरेली से टिकट दिया है दिनेश प्रताप सिंह को बीजेपी ने रायबरेली से टिकट दिया है

शैलेन्द्र प्रताप सिंह

  • रायबरेली,
  • 02 मई 2024,
  • अपडेटेड 5:53 PM IST

लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी ने उत्तर प्रदेश की दो चर्चित सीटों- कैसरगंज और रायबरेली पर उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है. पार्टी की तरफ से कैसरगंज में मौजूदा सांसद बृजभूषण सिंह का टिकट काटकर उनके बेटे को दिया गया है तो वहीं दूसरी और कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाली रायबरेली सीट से योगी सरकार में मंत्री दिनेश प्रताप सिंह को उम्मीदवार बनाया गया है. हालांकि कांग्रेस ने अभी तक रायबरेली से किसी के नाम का ऐलान नहीं किया है. सोनिया गांधी के राज्यसभा चले जाने के बाद प्रियंका के नाम की अटकलें तेज हैं, लेकिन अभी तक कोई भी आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है.

Advertisement

समाजवादी पार्टी से शुरू किया राजनीतिक करियर

ब्लॉक प्रमुख की राजनीति से शुरुआत करने वाले दिनेश प्रताप सिंह वर्तमान में योगी सरकार में स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री हैं. वह पहली बार 2004 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधान परिषद का चुनाव लड़े थे, लेकिन भाजपा के प्रत्याशी से चुनाव हार गए. बाद में 2007 में बसपा के प्रत्याशी के तौर पर तिलोई विधानसभा से विधानसभा का चुनाव लड़े, लेकिन वहां भी इन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा. उसके बाद दिनेश प्रताप ने कांग्रेस में किस्मत आजमाई. 

कांग्रेस पार्टी में दिनेश प्रताप को कद, पद और ख्याति, तीनों ही मिले. पहली बार 2010  एमएलसी बने और 2011 में उनकी भाभी जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं. फिर 2016 में दोबारा एमएलसी बने और इनके भाई जिला पंचायत अध्यक्ष बने. उनके एक भाई 2017 में हरचंदपुर से कांग्रेस पार्टी से  विधायक बने. फिर 2019 के आते-आते इनका कांग्रेस पार्टी से मोह भंग हो गया और ये बीजेपी में शामिल हो गए .

Advertisement

2019 में सोनिया गांधी के सामने लड़ चुके हैं चुनाव

बीजेपी में शामिल होने के बाद इन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी के सामने भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और करीब पौने 4 लाख वोट हासिल किए, लेकिन चुनाव हार गए. तब इन्होंने ही सोनिया गांधी को इटालियन मैडम एंटोनियो माइनो कहकर कटाक्ष किया था. सोनिया गांधी ने दिनेश प्रताप सिंह को 1,67,178 वोटों से हराकर रायबरेली की अपनी सीट बरकरार रखने में कामयाबी हासिल की थी. वहीं उत्तर प्रदेश में योगी की सरकार का जब दूसरा टर्म शुरू हुआ तो, इन्हें स्वतंत्र राज्य मंत्री बनाया गया और इस वक्त उत्तर प्रदेश सरकार के स्वतंत्र राज्य मंत्री के तौर पर काम कर रहे हैं. 

रायबरेली अब कांग्रेस का गढ़ नहीं: दिनेश प्रताप

टिकट मिलने के बाद दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि बीजेपी ने मुझ जैसे छोटे से कार्यकर्ता पर भरोसा किया है, उसके लिए मैं पार्टी का धन्यवाद देता हूं. मैं भरोसा दिलाता हूं कि इस भरोसे को हारने नहीं दूंगा और इसे कायम रखूंगा. रायबरेली कांग्रेस का गढ़ कभी रहा होगा. लेकिन जब से मोदी जी ने देश की कमान संभाली है, तब से मैं कह सकता हूं कि रायबरेली में कांग्रेस का एक ग्राम प्रधान, जिला पंचायत तक चुनाव नहीं जीत पाए. अब रायबरेली बीजेपी का गढ़ है और सबसे ज्यादा वोट बीजेपी के पास हैं.

Advertisement

उन्होंने कहा कि नकली गांधियों ने रायबरेली के भरोसे को तोड़ा है. अगर सोनिया के खिलाफ चुनाव लड़के उनके दांत खट्टे कर सकता हूं तो प्रियंका गांधी की क्या मजाल. उनमें न भारतीय संस्कार हैं और वह संस्कृतिविहीन हैं. अगर वो आएंगी तो हार के जाएंगी. कांग्रेस ने अब तक इसलीए उम्मीदवार नहीं उतारे क्योंकि वो वोट लेकर यहां से हर बार चले गए, अब किस मुंह से यहां वोट मांगने आएंगे. मेरे खिलाफ राहुल-प्रियंका, कोई भी आए मेरा निशाना कमल के फूल की जीत पर है.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement