एग्जिट पोल में कांग्रेस की जीत के क्या मायने? कर्नाटक चुनाव से मिले ये 5 बड़े मैसेज

आजतक-एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल के मुताबिक, इस बार कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी को पूर्ण बहुमत मिल सकता है. कर्नाटक की 224 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस को सबसे ज्यादा 122 से 140 सीटें, बीजेपी को 62 से 80 सीटें, JDS को 20 से 25 सीटें और अन्य को शून्य से तीन सीटें मिलने का अनुमान है.

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EXIT POLLS में कांग्रेस को जीत EXIT POLLS में कांग्रेस को जीत

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 10 मई 2023,
  • अपडेटेड 8:11 AM IST

कर्नाटक में 224 विधानसभा सीटों पर बुधवार को वोटिंग हुई. इस चुनाव में 72.67% वोट डाले गए. इससे पहले 2018 के विधानसभा चुनावों में 72.1%, 2013 में 71.83% और 2008 के विधानसभा चुनावों में 64.84% वोट डाले गए थे. हालांकि इस बार वोटिंग का पैटर्न वर्ष 2008 में हुए विधानसभा चुनावों के जैसा रहा है.

2008 के विधानसभा चुनाव, वो चुनाव हैं, जिनमें कर्नाटक में बीजेपी ने अब तक का सबसे शानदार प्रदर्शन किया था और उस समय बीजेपी को राज्य में अब तक की सबसे ज्यादा 110 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि कांग्रेस को 80 और JDS को 28 सीटों पर जीत मिली थी. यानी कर्नाटक में पिछली बार जब 70% से वोट डाले गए थे, तब बीजेपी ने चुनावों में अपना सबसे अच्छा प्रदर्शन किया था. इसलिए इस बात को वो अपने लिए एक शुभ संकेत मान सकती है और यहां ये बात भी काफी महत्वपूर्ण है कि जब किसी राज्य में पिछले चुनावों की तुलना में कम वोटिंग होती है तो उसके दो कारण होते हैं.

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पहला- वोटर्स में सरकार बदलने का उत्साह कम होता है.

दूसरा- कम वोटिंग प्रतिशत में चुनाव के नतीजे बहुत ज्यादा अप्रत्याशित नहीं होते. अब आपको ये बताते हैं कि इस बार कर्नाटक का किंग कौन बनेगा?

एग्जिट पोल में कांग्रेस को बढ़त

आजतक-एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल के मुताबिक, इस बार कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी को पूर्ण बहुमत मिल सकता है. कर्नाटक की 224 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस को सबसे ज्यादा 122 से 140 सीटें, बीजेपी को 62 से 80 सीटें, JDS को 20 से 25 सीटें और अन्य को शून्य से तीन सीटें मिलने का अनुमान है. वोट शेयर के मामले में भी कांग्रेस पार्टी, बीजेपी से काफी आगे निकल सकती है. एग्जिट पोल में कांग्रेस पार्टी को 42.5%, बीजेपी को 34.5% और JDS को 16.5% वोट मिलने का अनुमान है और सीटों और वोटों के लिहाज से ये स्थिति पिछली बार के मुकाबले काफी अलग है.

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क्या कहता है पुराना आंकड़ा?

2018 में बीजेपी को सबसे ज्यादा 104, कांग्रेस को 78 और JDS को 37 सीटों पर जीत मिली थी. उस समय बीजेपी का वोट शेयर कांग्रेस से 2% कम रहा था. 2018 में बीजेपी को 36.2%, कांग्रेस को 38% और JDS को 18.3% वोट मिले थे. लेकिन इस बार कांग्रेस का वोट शेयर काफी बढ़ सकता है और कांग्रेस पार्टी और बीजेपी के वोट शेयर में अंतर 2% से बढ़कर 8% तक पहुंच सकता है और ये एक बहुत बड़ी बात है. 2013, 2008, 2004 और 1999 के विधान सभा चुनावों में किस पार्टी को कितनी सीटें और वोट मिले थे, वो भी आप अपनी टीवी स्क्रीन पर देख सकते हैं.

किन मुद्दों पर लड़ा गया कर्नाटक का चुनाव

कर्नाटक में इस बार का चुनाव बजरंग दल और बजरंगबली पर केन्द्रित हो गया था। और एग्जिट पोल का अनुमान कहता है कि, कांग्रेस ने बजरंग दल पर बैन लगाने का जो वादा किया, उससे तो उसे काफी लाभ हुआ और वो मुस्लिम तुष्टिकरण करके मुसलमानों के वोट लेने में कामयाब हो गई। लेकिन बीजेपी ने बजरंगबली का जो मुद्दा बनाया, उसका उसे चुनावों में ज्यादा फायदा नहीं हुआ. कर्नाटक में इस बार मुसलमानों ने एकजुट होकर कांग्रेस पार्टी को वोट दिया. 

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अनुमान है कि कांग्रेस पार्टी को इस बार 88 प्रतशित मुसलमानों के वोट मिले हैं और ये पिछले चुनावों की तुलना में 10% ज्यादा वोट हैं. 2018 में कांग्रेस को मुसलमानों के 78% वोट मिले थे, जो एग्जिट पोल के मुताबिक इस बार 88% हो गए हैं. जबकि बीजेपी को 2% और JDS को मुसलमानों के 8% वोट मिलने के आसार हैं. बीजेपी ने कर्नाटक में 4% मुस्लिम आरक्षण को समाप्त करते हुए ये ऐलान किया था कि, ये आरक्षण राज्य के लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय के लोगों में दो-दो पर्सेंट बांट दिया जाएगा. लेकिन इस फैसले का भी उसे ज्यादा लाभ नहीं मिला.

लिंगायत वोटों का किसे मिलेगा फायदा?

एग्जिट पोल में बीजेपी को लिंगायत समुदाय के इस बार भी 64 पर्सेंट वोट मिले हैं और इन वोटों में कोई बदलाव नहीं हुआ है. जबकि कांग्रेस को इस बार लिंगायत समुदाय के 20% वोट मिले हैं और पिछली बार के मुकाबले उसे 4% ज्यादा वोट मिलने का अनुमान है. यानी कांग्रेस ने मुस्लिम आरक्षण को बहाल करने का वादा किया. लेकिन फिर भी उसे लिंगायत समुदाय के पहले से ज्यादा वोट मिल रहे हैं. जबकि बीजेपी ने मुस्लिम आरक्षण समाप्त करके इसका एक हिस्सा लिंगायत समुदाय को दिया लेकिन उसे वोटों में इसका कोई फायदा नहीं मिला.

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कांग्रेस को दलितों के भी सबसे ज्यादा वोट मिलने का अनुमान है. पिछली बार उसे दलितों के 46% वोट मिले थे और एग्जिट पोल में उसे इस बार 60% वोट मिलने के अनुमान हैं. यानी दलितों के 14% ज्यादा वोट कांग्रेस पार्टी को इस बार मिल सकते हैं. जबकि बीजेपी को दलितों के 22% वोट मिले और उसे 5% वोटों का नुकसान हुआ है. यहां तक कि ईसाई धर्म के वोट भी सबसे ज्यादा काग्रेस को ही मिलने का अनुमान है. कांग्रेस को सबसे ज्यादा 68%, बीजेपी को 17% और JDS को ईसाई धर्म के 5% वोट मिलने का अनुमान है.

कांग्रेस को युवा वोर्टस से मिली बढ़त

हमारे एग्जिट पोल में कांग्रेस पार्टी की इस जीत के पीछे युवा वोटर्स को बड़ा कारण माना गया है. अनुमान है कि राज्य में युवाओं के सबसे ज्यादा वोट कांग्रेस पार्टी को मिले हैं. कांग्रेस पार्टी को 18 से 25 साल के और 26 से 35 साल के 44-44 पर्सेंट लोगों को वोट मिले हैं. जबकि 36 से 50 साल के 42%, 51 से 60 साल के 36% और 61 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के 37% वोट कांग्रेस पार्टी को मिले हैं. जबकि बीजेपी को 18 से 25 साल के 35%, 26 से 35 साल के 32%, 36 से 50 साल के 34%, 51 से 60 साल के 38% और 61 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के 40% वोट बीजेपी को मिले हैं. कर्नाटक में 18 से 30 साल के 1 करोड़ 11 लाख युवा हैं और इनमें ये ज्यादातर युवाओं ने कांग्रेस पार्टी को वोट दिया है.

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बेरोजगार, किसानों और मजदूरों के वोट से उम्मीदें

इसके अलावा एग्जिट पोल का ये भी अनुमान है कि, इस बार कांग्रेस पार्टी को कर्नाटक के किसान, मजदूर, बेरोज़गार और गृहिणियों के भी सबसे ज्यादा वोट मिले हैं. बीजेपी को मजदूरों के 27 प्रतिशत, किसानों के 34 प्रतिशत और बेरोजगार लोगों के 35 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं, जबकि कांग्रेस पार्टी को मजदूरों के 50 प्रतिशत, किसानों के 36 प्रतिशत और बेरोजगार लोगों के 42 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं. इसके अलावा कांग्रेस को गृहिणियों के भी 45% वोट मिलने का अनुमान है. जबकि बीजेपी को गृहिणियों के 35% वोट ही मिल सकते हैं. तो इससे आप ये समझ पाएंगे कि चुनाव में कहां पर कांग्रेस पार्टी, बीजेपी से आगे निकल गई.

कांग्रेस के वादों से प्रभावित हुई जनता?

कांग्रेस पार्टी को महिलाओं और बेरोजगारों के इसलिए भी ज्यादा वोट मिल रहे हैं. क्योंकि उसने चुनावों में ये वादा किया था कि वो सरकार में आने पर हर परिवार की एक महिला को प्रति महीने दो हजार रुपये और जो बेरोजगार युवाओं को 3 हजार रुपये मासिक बेरोजगारी भत्ता देगी.

हमारे एग्जिट पोल में ये भी पता चला है कि कर्नाटक में जिन परिवारों की प्रति महीने आय 20 हजार या उससे कम है उन लोगों ने कांग्रेस पार्टी को सबसे ज्यादा वोट दिया है. जिन परिवारों की मासिक आय 10 हजार या उससे कम है, उनके कांग्रेस पार्टी को 44% वोट मिले हैं. जबकि बीजेपी को ऐसे लोगों के 33% वोट मिले हैं. इसी तरह जिन परिवारों की मासिक आय 10 हज़ार से 20 हज़ार रुपये है, उनके कांग्रेस पार्टी को 41% वोट मिले हैं. जबकि बीजेपी को ऐसे लोगों के 34% वोट मिले हैं.

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किन मुद्दों पर हुई वोटिंग?

राज्य में विकास के लिए बीजेपी को 41%, कांग्रेस पार्टी को 34% और JDS को 32% वोट मिले. परिवर्तन के लिए बीजेपी को 1%, कांग्रेस को 10% और JDS को 9% वोट मिले. महंगाई के मुद्दे पर कांग्रेस को 9% वोट मिले. इसी तरह बीजेपी को 19% वोट प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर मिले. कांग्रेस ने चुनावों में जो वादे किए थे और मुफ्त की कई योजनाओं की घोषणा थी, उस मुद्दे को ध्यान में रखते हुए 9% लोगों ने उसे वोट दिया. जबकि बीजेपी ने जो वादे किए, उन वादों के मुद्दे पर उसे सिर्फ 1% वोट मिले.

यानी अगर आप देखेंगे तो बीजेपी को ज्यादातर वोट प्रधानमंत्री मोदी, पार्टी और उम्मीदवारों की वजह से मिल रहे हैं. जबकि कांग्रेस पार्टी को वोट राहुल गांधी, सोनिया गांधी या फिर मल्लिकार्जुन खड़गे के चेहरे पर नहीं मिले हैं. कांग्रेस को ज्यादातर वोट, बीजेपी सरकार की Anti Incumbency और मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की वजह से मिले हैं. इसके अलावा बीजेपी कर्नाटक में जो मैच हारती हुई दिख रही है, उस मैच के मुजरिम बसवराज बोम्मई ही हैं.

एग्जिट पोल के कुछ पॉइंट्स से समझें तो आपको कर्नाटक की पूरी कहानी समझ आ जाएगी. अब अगर ये एग्जिट पोल नतीजों में भी तब्दील हो जाते हैं तो इसके पांच बड़े मायने होंगे.

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पहला- कर्नाटक की जीत, राहुल गांधी के लिए पुनर्जीवन साबित होगी.

दूसरा- ये जीत कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए संजीवनी का काम करेगी और वो इस जीत से अपनी स्थिति को और मजबूत कर पाएंगे क्योंकि कर्नाटक उनका गृह राज्य है और यहां पर उनकी सबकुछ दांव पर लगा हुआ था. ऐसे में अगर कांग्रेस जीत जाती है तो 80 साल के मल्लिकार्जुन खड़गे खुद को साबित करने में कामयाब हो जाएंगे.

तीसरा- ये जीत कांग्रेस पार्टी में सोनिया गांधी के महत्व को और बढ़ा देगी. 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार सोनिया गांधी ने कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी के लिए प्रचार किया और इससे कांग्रेस को फायदा हुआ.

चौथा- ये जीत लोक सभा में भी असर डालेगी. 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने कर्नाटक की 28 लोकसभा सीटों में से 25 सीटें जीती थीं. जबकि कांग्रेस को एक सीट पर जीत मिली थी. लेकिन अगर कर्नाटक में कांग्रेस विधानसभा का चुनाव जीत जाती है तो इसका 2024 के लोकसभा चुनावों पर भी असर पड़ सकता है.

पांचवां- भारत अभी कांग्रेस मुक्त भारत नहीं बनने जा रहा है. कांग्रेस ने कुछ महीने पहले हिमाचल प्रदेश में बीजेपी को हराया और अब कर्नाटक में भी उसकी सरकार आ सकती है. इससे देश के चार राज्यों में उसकी पूर्ण बहुमत की सरकार बन जाएगी. ये चार राज्य हैं, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और अब कर्नाटक भी इसमें आ सकता है.

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