कर्नाटक में JDS के आगे सरेंडर करने से 2019 के लिए और कमजोर होगी राहुल की दावेदारी

इन नतीजों ने कांग्रेस और राहुल गांधी को कई सबक दिए हैं. इससे 2019 में  विपक्ष का नेतृत्व कर सकने के राहुल के दावे पर भी सवालिया निशान लग गए हैं.

Advertisement
कर्नाटक के नतीजों ने कांग्रेस को किया निराश कर्नाटक के नतीजों ने कांग्रेस को किया निराश

दिनेश अग्रहरि / मौसमी सिंह

  • बेंगलुरु,
  • 16 मई 2018,
  • अपडेटेड 9:14 AM IST

कर्नाटक चुनाव नतीजे आने के बाद इस दक्षिणी राज्य की सत्ता पर कब्जा करने के लिए कांग्रेस और बीजेपी में एक तरह की जंग शुरू हो गई है. इन नतीजों ने कांग्रेस और राहुल गांधी को कई सबक दिए हैं. इससे 2019 में  विपक्ष का नेतृत्व कर सकने के राहुल के दावे पर भी सवालिया निशान लग गए हैं.

गोवा, मणिपुर और मेघालय में सरकार बनाने में लापरवाही और सुस्ती दिखा चुकी कांग्रेस इस बार कोई कसर नहीं छोड़ रही है और वैसे ही मुस्तैद दिख रही है जैसे पहले तमाम राज्यों में बीजेपी को देखा गया है.

Advertisement

हालांकि, तमाम शोर-शराबे के बीच कांग्रेस चर्चा का विषय अपनी बुरी तरह हार और अध्यक्ष बनने के बाद पहले चुनाव में राहुल गांधी की विफलता से दूर ले जाने में सफल हो गई है.

मोदी केंद्रित प्रचार का कोई फायदा नहीं

इस चुनाव ने यह संदेश दिया है कि राहुल गांधी को अब मोदी केंद्रित अपने चुनाव प्रचार अभियान के बारे में पुनर्विचार करना होगा. तमाम जानकार यह कह सकते हैं कि इस बार भी राहुल गांधी अपने विचारों और योजनाओं को पेश करने की जगह बीजेपी के सुपरस्टार पीएम मोदी पर आरोप लगाने में ही लगे रहे और इससे उन्हें वोटर्स को लुभाने में कोई सफलता नहीं मिली.

अब नेता बनने पर संदेह

कर्नाटक चुनाव नतीजों से कांग्रेस का यह दावा कमजोर हुआ है कि 2019 के चुनाव में पीएम मोदी के खिलाफ राहुल विपक्ष के सबसे कद्दावर नेता हो सकते हैं. कर्नाटक के चुनाव में राहुल ने खुद को मोदी के बराबर दिखाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी, लेकिन इस कड़वी लड़ाई में कांग्रेस को दूसरे स्थान पर ही संतोष करना पड़ा है.

Advertisement

कांग्रेस अध्यक्ष ने जेडी (एस) को बीजेपी की बी टीम बताया था. राहुल गांधी ने जेडी (एस) का मजाक बनाते हुए कहा था, 'एस का मतलब सेकुलर नहीं बल्कि संघ होता है.'

लेकिन नतीजे आते ही पार्टी ने अवसरवाद का कोई मौका नहीं गंवाया और राजनीति के खेल में बीजेपी को मात देने के लिए दूसरे पायदान पर रहने को भी तैयार हो गई. रुझान को देखने के बाद ही फुर्ती दिखाते हुए कांग्रेस ने जनता दल सेकुलर के नेताओं के साथ बातचीत शुरू कर दी.

कांग्रेस की यह नई राजनीतिक निपुणता इसके पहले के चुनाव में उसकी विरोधी बीजेपी द्वारा दिखाई गई फुर्ती से मेल खाती है. तो यह कहा जा सकता है कि कांग्रेस ने इस बार बीजेपी को उसके ही दांव से चित करने की तैयारी की है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement