बंगाल-असम के पहले चरण का थम जाएगा चुनाव प्रचार, जानें किस पार्टी का क्या दांव पर

बंगाल के पहले चरण की 30 सीटों के लिए 191 प्रत्याशी मैदान में हैं जबकि असम की 47 सीटों पर 267 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं. बंगाल के पहले चरण में जहां टीएमसी की साख दांव पर लगी है तो असम में बीजेपी को अपनी सरकार को बचाए रखने की चुनौती है. यही वजह है कि सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव प्रचार के आखिरी दिन अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. 

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नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी, ममता बनर्जी नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी, ममता बनर्जी

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली ,
  • 25 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 3:01 PM IST
  • बंगाल के पहले चरण की 30 सीटों पर 191 प्रत्याशी
  • असम के पहले चरण की 47 सीटों पर 267 प्रत्याशी
  • बंगाल में टीएमसी तो असम में बीजेपी की अग्निपरीक्षा

पश्चिम बंगाल और असम विधानसभा चुनाव के पहले चरण के चुनाव प्रचार का शोर गुरुवार शाम थम जाएगा, जहां शनिवार को वोटिंग होनी है. बंगाल के पहले चरण की 30 सीटों के लिए 191 प्रत्याशी मैदान में हैं जबकि असम की 47 सीटों पर 267 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं. बंगाल के पहले चरण में जहां टीएमसी की साख दांव पर लगी है तो असम में बीजेपी को अपनी सरकार को बचाए रखने की चुनौती है. यही वजह है कि सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव प्रचार के आखिरी दिन अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. 

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बंगाल के पहले चरण में 5 जिले की 47 सीटें
बंगाल के पहले चरण में पांच जिलों बांकुड़ा, पुरुलिया, झारग्राम, पश्चिमी और पूर्वी मिदनापुर जिले की 47 सीटों पर शनिवार को वोटिंग होनी है. जंगल महल एरिया के नाम से मशहूर इन इलाकों में आदिवासी समुदाय के वोट काफी माने जाते हैं. एक दौर में यह इलाका लेफ्ट पार्टियों का मजबूत गढ़ माना जाता था, लेकिन पिछले दो विधानसभा चुनाव से यहां से टीएमसी जीत दर्ज करती रही है. हालांकि, बीजेपी 2019 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी के गढ़ में सेंधमारी करने में कामयाब रही है. ऐसे में इन 30 सीटों के चुनाव काफी दिलचस्प हो गए हैं. 

पहले चरण में किस पार्टी का क्या दांव पर
बता दें कि पहले चरण की 30 सीटों पर वोटिंग होनी है, 2016 के चुनाव में टीएमसी ने यहां लगभग क्लीन स्वीप किया था. 30 सीटों में से टीएमसी ने 27 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि बीजेपी खाता नहीं खोल सकी थी. वहीं, दो सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया था और एक सीट पर रेवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी जीती थी. इस बार के चुनावी समीकरण पिछले चुनाव के मुकाबले काफी अलग हैं. पिछली बार एक भी सीट नहीं जीत पाने वाली बीजेपी को इस बार काफी उम्मीदें है. 
 

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बंगाल के पहले चरण में वीआईपी सीट
बंगाल के पहले चरण में पुरुलिया सीट पर बीजेपी ने कांग्रेस छोड़कर आए सुदीप मुखर्जी को उतारा है, जिनके सामने कांग्रेस ने प्रीतम बनर्जी और टीएमसी ने सुजय बनर्जी पर दांव लगा रखा है. बांघमुंडी सीट पर दो बार से कांग्रेस के विधायक नेपाल चंद्र महतो एक बार फिर से किस्मत आजमा रहे हैं, जिनके सामने टीएमसी से सुशांत महतो जबकि बीजेपी ने यह सीट अपने सहयोगी एजेएसयू के लिए छोड़ दी है, जिसने आशुतोष महतो पर भरोसा जताया है. 

ऐसे ही खड़गपुर विधानसभा सीट काफी हाई प्रोफाइल मानी जाती है, जो बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष के संसदीय इलाके में आती है. यहां टीएमसी के दिनेन रॉय और बीजेपी के तपन भुया के बीच मुकाबला माना जा रहा है. मेदनीपुर सीट पर बीजेपी के सामित कुमार दास के खिलाफ टीएमसी ने अपने मौजूदा विधायक मृगेंद्रनाथ मैएती की जगह एक्टर जुने मलिहा को उतार रखा है. खेजरी सीट पर बीजेपी के सांतनु प्रमाणिक और सीपीएम के हिमांग्सु दास हैं जबकि टीएमसी ने अपने विधायक रंजीत मंडल की जगह पार्था प्रीतम दास को टिकट दिया है.

असम में पहले चरण की 47 सीटों पर चुनाव
असम विधानसभा चुनाव में पहले चरण की 47 सीटों पर कुल 267 प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं. पहले दौर में जिन 47 सीटों पर शनिवार को वोटिंग होनी है, उसमें से 42 सीटें ऊपरी असम के 11 जिलों की हैं जबकि 5 सीटें सेंट्रल असम में इलाके की शामिल हैं. इनमें सीटों पर हिंदू असमिया मतदाताओं के साथ-साथ चाय बगानों में काम करने वाले अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं की भी निर्णायक भूमिका है. असमिया मतदाता सीएए के लागू करने के खिलाफ हैं जबकि चाय बागानों में काम करने वाले अदिवासी समुदायों के लिए दिहाड़ी मजदूरी एक अहम मुद्दा है. 

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पहले चरण में किस पार्टी का क्या दांव पर लगा

असम के पहले चरण की जिन 47 सीटों पर वोटिंग होनी है, वहां पर पिछले चुनाव में बीजेपी गठबंधन ने कांग्रेस का सफाया कर दिया था. 2016 के विधानसभा चुनाव में 47 सीटों में से बीजेपी ने 27 और उसकी सहयोगी असम गणपरिषद ने 8 सीटों पर कब्जा जमाया था. वहीं, कांग्रेस ने 9 सीटें जीती थीं और एआईयूडीएफ ने दो जबकि एक सीट अन्य को मिली थी. हालांकि, इस बार का समीकरण काफी बदला हुआ है. 

असम में इस बार विपक्ष एकजुट होकर चुनाव मैदान में किस्मत आजमा रहा है. कांग्रेस, लेफ्ट और एआईयूडीएफ एक साथ मिलाकर चुनाव चुनाव लड़ रहे हैं जबकि बीजेपी के एजेपी के साथ चुनाव में उतरी है. सीएए के खिलाफ पहले चरण में सबसे ज्यादा आक्रोश है तो चाय मजदूरों की दिहाड़ी एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना गया है. ऐसे में बीजेपी के सामने अपने पुराने नतीजे दोहराने की चुनौती है तो कांग्रेस गठबंधन को सत्ताविरोधी लहर में अपना राजनीतिक फायदा नजर आ रहा है. 

इन दिग्गज नेताओं की किस्मत दांव पर 

असम के पहले चरण में बीजेपी और कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं की दांव साख पर लगी है. मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल (माजुली), विधानसभा अध्यक्ष हितेंद्र नाथ गोस्वामी (जोरहाट), मंत्री रंजीत दत्ता (बेहाली) और संजय किशन (तिनसुकिया) से किस्मत आजमा रहे हैं. ऐसे ही एनडीए के सहयोगी और असम गणपरिषद के नेता व मंत्री अतुल बोरा (बोकाखाट) और केशव महंत (कलियाबोर) भी मैदान में है. वहीं, असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रिपुन बोरा (गोहपुर), कांग्रेस विधायक दल के नेता देवव्रत सैकिया (नाजिरा) और कांग्रेस सचिव भूपेन बोरा (बिहपुरिया) की किस्मत का फैसला भी पहले चरण में होना है. 

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