बिहार में पहले चरण के चुनाव से पहले लालू की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को बहुत बड़ा झटका लगा है. पूर्व सांसद और चार बार के विधायक सरफराज आलम ने RJD से इस्तीफा देकर जन सुराज पार्टी का दामन थाम लिया. सरफराज, सीमांचल के दिवंगत नेता तसलीमुद्दीन के पुत्र हैं, जो आरजेडी में सीमांचल की आवाज माने जाते थे.
आरजेडी में अभी भी ‘दाल-चटनी’ वाली राजनीति: आरजेडी
जन सुराज में शामिल होते हुए सरफराज आलम ने कहा, 'मैं जन सुराज को सलाम करता हूं, जो प्रशांत किशोर के नेतृत्व में बिहार को बदलने का संकल्प लेकर आगे बढ़ रहा है. यह मंच मुझे अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने का अवसर देगा. उन्होंने आरजेडी से नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा कि 'वहां वही पुरानी ‘दाल-चटनी’ वाली राजनीति चल रही थी, जिसमें बदलाव की कोई गुंजाइश नहीं रही.'
उन्होंने कहा कि सीमांचल का मुद्दा सिर्फ मुसलमानों का नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की गरीबी, पिछड़ापन और शिक्षा की गिरावट का है. उन्होंने आरोप लगाया कि बीते 30 सालों में बिहार में भ्रष्टाचार बढ़ा है और शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह कमजोर हुई है.
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जन सुराज प्रमुख प्रशांत किशोर (PK) ने सरफराज आलम के शामिल होने पर कहा, 'यह सीमांचल की राजनीति में एक नया अध्याय है, अब यहां डर की राजनीति नहीं, विकास की राजनीति होगी. सरफराज आलम सीमांचल में जन सुराज की एक लंबी लकीर खींचेंगे.'
AIMIM पर पीके ने बोला हमला
पीके ने एआईएमआईएम (AIMIM) पर भी अप्रत्यक्ष हमला बोला और कहा, 'सीमांचल की समस्याएं वही समझ सकता है जो यहां की मिट्टी से जुड़ा है, हैदराबाद से आने वाला कोई नहीं.'
उन्होंने आगे कहा कि एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों 'सीट बेचने की होड़' में लगे हैं, और जनता के मुद्दे गायब हो गए हैं. साथ ही, उन्होंने उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी पर निशाना साधते हुए कहा कि 'उन्हें अपने चुनाव हलफनामे में बताना चाहिए कि उन्होंने दसवीं पास की है या नहीं, और 1995 के हत्या कांड में उनकी भूमिका क्या थी.' प्रशांत किशोर ने घोषणा की कि वह सम्राट चौधरी के चुनावी हलफनामे की कानूनी जांच करवाएंगे.
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