वादा तो टूट जाता है... केजरीवाल पर दिल्ली को नहीं रहा एतबार? बीमार यमुना ने AAP को किया बेदम

अरविंद केजरीवाल ने 2021 में यह वादा किया था कि 2025 तक यमुना को पूरी तरह साफ कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार कई योजनाओं पर काम कर रही है, जिनमें सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) अपग्रेडेशन, नालों का ट्रीटमेंट और औद्योगिक कचरे पर नियंत्रण शामिल हैं. उनका दावा था कि '2025 के बाद आप यमुना में डुबकी लगा सकेंगे', लेकिन अब तक जमीनी हालात में बहुत अधिक सुधार नहीं दिखा है.

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जानें यमुना की गंदगी कैसे बनी केजरीवाल की हार की वजह जानें यमुना की गंदगी कैसे बनी केजरीवाल की हार की वजह

योगेश मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 09 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 9:35 AM IST

दिल्ली में चुनावी नतीजे अब सभी के सामने हैं. आरोप-प्रत्यारोप के एक लंबे दौर के बाद 8 फरवरी को जब ईवीएम खुली तो परिणाम भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में आया. वही भारतीय जनता पार्टी जो केंद्र में भी काबिज है. दिल्ली में बीजेपी का वनवास खत्म हुआ है और अरविंद केजरीवाल पहली बार विपक्ष में बैठने जा रहे हैं. हालांकि खुद केजरीवाल सदन में विपक्ष के खेमे में नहीं बैठ पाएंगे क्योंकि नई दिल्ली सीट पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा. न सिर्फ केजरीवाल बल्कि आम आदमी पार्टी के सभी खास लोग हार गए. क्या मनीष सिसोदिया, क्या सौरभ भारद्वाज सभी को हार मिली. बड़े नेताओं में एकमात्र आतिशी ही वो नाम हैं जो कालका जी से अपनी सीट बचाने में कामयाब हुईं. बीजेपी की जीत से ज्यादा चर्चे केजरीवाल की हार के हैं. 'फ्रीबीज' वाली पॉलिटिक्स करने वाले केजरीवाल की हार के कई कारण हैं. भ्रष्टाचार के आरोप, दूषित हवा, एंटी इनकंबेंसी, मूलभूत सुविधाओं को लेकर जनता की शिकायतें, लगातार धूमिल होती छवि और यमुना का प्रदूषण.    

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वादा तो टूट जाता है...

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि केजरीवाल की इस हार की प्रमुख वजहों में से एक यमुना नदी की बढ़ती गंदगी और प्रदूषण भी रहा. अरविंद केजरीवाल की सरकार ने यमुना को स्वच्छ बनाने को लेकर कई वादे किए थे, लेकिन वो वादे अधूरे ही रह गए. अरविंद केजरीवाल ने 2021 में वादा किया था कि 2025 तक यमुना को पूरी तरह साफ कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार कई योजनाओं पर काम कर रही है, जिनमें सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) अपग्रेडेशन, नालों का ट्रीटमेंट और औद्योगिक कचरे पर नियंत्रण शामिल हैं.

उन्होंने तो यहां तक दावा किया था कि '2025 के बाद आप यमुना में डुबकी लगा सकेंगे', लेकिन अब तक जमीनी हालात में बहुत अधिक सुधार नहीं दिखा है. इस बार के चुनाव में विपक्ष ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया और इसे केजरीवाल सरकार की विफलता के रूप में पेश किया. लोगों ने भी इस मुद्दे को गंभीरता से लिया. खासकर पूर्वांचल के वो मतदाता जिन्हें छठ के दौरान जहरीले झाग वाले पानी में उतरना पड़ता है.

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केजरीवाल का तर्क था कि कोविड के चलते वो दो साल यमुना की सफाई को लेकर कोई काम नहीं कर पाए. उसके बाद वो और उनकी पार्टी के नेता जेल चले गए जिसके चलते सरकार यमुना पर ध्यान नहीं दे पाई. ये तर्क दिल्ली वालों को रास नहीं आए. हालिया चुनाव में भी जब यमुना का मुद्दा उठा तो केजरीवाल ने पड़ोसी राज्य हरियाणा पर यमुना में अमोनिया मिलाने का आरोप लगा दिया जैसा वो पराली और प्रदूषण के मुद्दे पर करते आए हैं. 

वोटों में बदल गई जनता की नाराजगी

न सिर्फ भारतीय जनता पार्टी बल्कि कांग्रेस ने भी यमुना में गंदगी को एक बड़े चुनावी मुद्दे के रूप में उठाया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य भाजपा नेताओं ने कई रैलियों में दिल्ली सरकार की नाकामी पर सवाल उठाए. सोशल मीडिया पर भी यमुना की गंदगी से जुड़े कई वीडियो वायरल हुए, जिससे मतदाताओं में नाराजगी बढ़ी. दिल्ली की जनता खासकर पूर्वी दिल्ली, ओखला और यमुना किनारे बसे क्षेत्रों के निवासियों ने AAP सरकार से सवाल किए. जब सरकार संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई, तो यह नाराजगी वोटों में बदल गई. लिहाजा AAP को चुनावों में बड़ा झटका लगा और पार्टी अपने मजबूत गढ़ों में भी पिछड़ गई.

यमुना को लेकर क्या है बीजेपी का प्लान?

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बीजेपी मुख्यालय में पीएम मोदी के नारे के साथ ही यह साफ हो गया कि अगले 5 साल तक यमुना की सफाई का मुद्दा सियासी दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का विषय बनने वाला है क्योंकि चुनाव प्रचार के दौरान भी तीनों की प्रमुख दलों के बीच यमुना की सफाई का मुद्दा छाया रहा था. यह देखना दिलचस्प होगा कि जीत के बाद बीजेपी लंबे वक्त से दिल्ली में सियासी चर्चा का विषय बनी यमुना की सफाई के लिए क्या कदम उठाती है. बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में भी यमुना के लिए अलग फंड और नदी की सफाई का वादा किया था. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि केंद्र के सहयोग से बीजेपी साबरमती रिवर फ्रंट की तरह दिल्ली में भी यमुना रिवर फ्रंट बनाने का काम करेगी.

प्रधानमंत्री ने लिया संकल्प

दिल्ली जीतने के बाद अपने पहले भाषण में पीएम मोदी ने कहा कि मां यमुना हमारी आस्था का केंद्र है, लेकिन दिल्ली की 'आप-दा' ने आस्था का अपमान किया. पीएम मोदी ने कहा कि दिल्ली का तो अस्तित्व ही मां यमुना की गोद में पनपा है. दिल्ली के लोग यमुना की इस पीड़ा को देखकर कितना आहत होते रहे हैं, लेकिन दिल्ली की 'आप-दा' ने इस आस्था का अपमान किया. 

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पीएम मोदी ने कहा कि दिल्ली की 'आप-दा' ने लोगों की भावनाओं को पैरों तले कुचल दिया था. अपनी नाकामी के लिए हरियाणा के लोगों पर इतना बड़ा आरोप लगा दिया. मैंने चुनाव प्रचार के दौरान संकल्प लिया है कि हम यमुना जी को दिल्ली शहर की पहचान बनाएंगे. मैं जानता हूं कि ये काम कठिन है और मैं ये भी जानता हूं कि ये काम लंबे वक्त का है. गंगा जी का ही देख लीजिए राजीव गांधी के वक्त से काम चल रहा है. समय कितना भी क्यों न जाए, शक्ति कितनी भी क्यों न लगे. लेकिन हम मां यमुना की सेवा के लिए हर प्रयास करेंगे, पूरे सेवाभाव से काम करेंगे. 

यमुना का राजनीतिक नक्शा

दिल्ली में बहने वाली यमुना नदी के किनारे पर 15 विधानसभा सीटें आती हैं. यमुना नदी पल्ला गांव से राजधानी में दाखिल होती है और जैतपुर तक कुल 52 किलोमीटर की दूरी तय करती है. इस दौरान वजीराबाद बैराज से ओखला बैराज तक दिल्ली में यमुना 22 किलोमीटर का शहरी इलाका कवर करती है. इसमें आठ सड़क पुल, दो रेलवे पुल, दो पेंटूल पुल नदी को क्रॉस करते हैं. इसके अलावा दिल्ली के 22 प्रमुख नालों से निकलनी वाली गंदगी भी इसी यमुना में आकर गिरती है. यमुना किनारे बसी 15 सीटों में इस बार बीजेपी ने 9 और AAP ने 6 सीटें जीती हैं.

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कितनी मैली है यमुना?

यमुना को लेकर बहुत पुरानी बात करने की जरूरत नहीं है. साल 2020 से साल 2024 (सिर्फ बीते 4 चार साल) तक में नदी को इतना प्रदूषित किया गया है कि यह बीते 20 साल की वृद्धि के बराबर है. फेकल कोलीफार्म का स्तर पिछले चार वर्षों में सबसे अधिक है. यह प्रदूषण पानी में मल-मूत्र मिलने से होता है. इससे स्पष्ट है कि नदी में अनट्रीटेड सीवेज गिर रहा है. पानी में फेकल कोलीफार्म का स्तर प्रति 100 मिलीलीटर 500 सर्वाधिक संभावित संख्या (एमपीएन) होना चाहिए.

इसका स्तर 2,500 एमपीएन पहुंचने पर यह उपयोग लायक नहीं रह जाता है. यमुना जब दिल्ली में प्रवेश करती है तो पल्ला में फेकल कोलीफार्म का स्तर मात्र 1,100 एमपीएन रहता है. वहीं, असगरपुर में यह 79,00,000 एनपीएन तक पहुंच गया है. असगरपुर से पहले शाहदरा व तुगलकाबाद ड्रेन यमुना में गिरता है. नदी के पानी को स्वच्छ बनाए रखने के लिए जरूरी ऑक्सीजन (डीओ) की मात्रा अधिकांश जगहों पर जीरो है. यही ऑक्सीजन मछलियों और अन्य जलीय जीवों को जीवित रहने के लिए जरूरी है. यमुना में प्रदूषण के कारण एक और बड़ी समस्या देखी जाती है, वह है झाग बनने की समस्या. बारिश के बाद के सीजन और सर्दियों की शुरुआत से पहले के महीनों में हर साल ये नजारा आम है. 

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यमुना की सफाई के लिए क्या-क्या कोशिशें हुईं?

1. यमुना एक्शन प्लान को अप्रैल 1993 में शुरू किया गया. इसमें दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के 21 शहर शामिल थे. वर्ष 2002 तक इसमें कुल 682 करोड़ रुपये खर्च हुए.

2. यमुना एक्शन प्लान (2) - वर्ष 2012 में शुरू कुल खर्च 1,514.70 करोड़ रुपये.

3. यमुना एक्शन प्लान चरण (3) - अनुमानित खर्च 1,656 करोड़ रुपये. इस चरण में दिल्ली में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और ट्रंक सीवर का पुनर्वास और उन्नयन शामिल है.

4. वर्ष 2015 से वर्ष 2023 तक केंद्र सरकार ने यमुना की सफाई के लिए दिल्ली जल बोर्ड को नेशनल मिशन फार क्लीन गंगा के अंतर्गत 1,000 करोड़ रुपये और यमुना एक्शन प्लान-3 के अंतर्गत 200 करोड़ रुपये दिए गए थे.

5. आम आदमी पार्टी की सरकार ने वर्ष 2015 में दिल्ली की सत्ता में आने के बाद से 700 करोड़ रुपये यमुना की साफ-सफाई पर खर्च किया.

6. जल शक्ति मंत्रालय ने 11 परियोजनाओं के लिए 2361.08 करोड़ रुपये दिए.

7. यमुना नदी के कायाकल्प के लिए एनजीटी की ओर से जनवरी, 2023 में दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की अध्यक्षता में हाई लेवल कमेटी गठित की गई थी. नजफगढ़ ड्रेन सहित यमुना के कुछ क्षेत्र की सफाई अभियान शुरू किया गया था. बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दिल्ली के मुख्य सचिव को समिति का अध्यक्ष बनाया गया.

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