कांग्रेस की दिल्ली न्याय यात्रा शनिवार को रोहिणी में समाप्त हो गई. यह यात्रा विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी को मजबूत करने और जनता से न्याय की अपील के लिए निकाली गई थी. लेकिन, इस दौरान पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की गैरमौजूदगी ने इसे चर्चा का विषय बना दिया.
दिल्ली कांग्रेस प्रमुख देवेंद्र यादव ने 8 नवंबर को राजघाट से इस यात्रा की शुरुआत की थी. पहले दिन यात्रा में कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष और राज्यसभा सांसद अजय माकन, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और दिल्ली के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा और अनिल चौधरी जैसे नेताओं ने हिस्सा लिया.
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दूसरे चरण में कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला और बादली विधानसभा क्षेत्र में राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग और एआईसीसी सचिव काजी निजामुद्दीन ने यात्रा में शामिल होकर पार्टी कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाया.
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हालांकि, पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने यात्रा में हिस्सा नहीं लिया. एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि कुछ राज्यों में चुनाव और संसद सत्र के कारण केंद्रीय नेता व्यस्त थे. राहुल गांधी को संसद में विपक्ष के नेता के तौर पर महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा में भाग लेना पड़ा. साथ ही, वायनाड उपचुनाव और झारखंड तथा महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में प्रचार की वजह से नेता यात्रा में शामिल नहीं हो सके.
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इस यात्रा के दौरान यादव और अन्य नेताओं ने कैंपों में रात बिताई और दिल्ली के सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया. यात्रा का उद्देश्य लोगों को न्याय दिलाने और कांग्रेस की मजबूत वापसी का संदेश देना था.
दिल्ली में कांग्रेस 1998 से 2013 तक सत्ता में रही, लेकिन 2015 और 2020 के चुनावों में उसे हार का सामना करना पड़ा. फरवरी में होने वाले चुनावों से पहले यह यात्रा पार्टी के लिए नई ऊर्जा का माध्यम मानी जा रही है.
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