बिहार: मैराथन बैठक के बाद BJP ने तय की टिकट दावेदारों की लिस्ट, डेढ़ दर्जन सीटिंग विधायकों का कट सकता है टिकट

सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी की इस बैठक में औसतन हर विधानसभा सीट से 5 से 7 दावेदारों के नाम आए हैं. कुछ सीटों पर 10 से अधिक नाम भी सामने आए हैं. जिलास्तरीय नेताओं की सहमति, संगठनात्मक पकड़ और सामाजिक समीकरण को आधार मानकर शॉर्टलिस्ट तैयार की गई.

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2020 में कम अंतर से जीते विधायकों का टिकट कटने की आशंका (Photo- ITG) 2020 में कम अंतर से जीते विधायकों का टिकट कटने की आशंका (Photo- ITG)

शशि भूषण कुमार

  • पटना,
  • 26 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:14 AM IST

बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए प्रदेश बीजेपी कोर कमेटी की जिलावार बैठकें 24 और 25 सितंबर को हुईं. दो दिनों तक चली इन बैठकों में कोर कमेटी ने लगभग 15 घंटे तक समीक्षा की. इस दौरान अलग-अलग जिलों में विधानसभा सीटों की जमीनी स्थिति पर चर्चा की गई. कोर कमेटी ने संगठन की तैयारी, बूथ स्तर पर पार्टी की स्थिति और जमीनी मुद्दों पर भी नेताओं से फीडबैक लिया. उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए यह बैठक केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मॉडल पर आयोजित की गई.

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बीजेपी प्रदेश कोर कमेटी की दो दिनों की जिलावार बैठक आज खत्म हो गई. 24 और 25 सितंबर को दो अलग-अलग ग्रुप में बंटे कोर कमेटी के नेताओं के सामने सांगठनिक जिलों के प्रमुख नेताओं ने अपनी बात रखी. 

कोर कमेटी ने इन दो दिनों तक चली मैराथन मीटिंग में लगभग 15 घंटे तक जिलावार समीक्षा की, जिसका मुख्य फोकस विधानसभा सीटों की स्थिति पर था.

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सीट और सहयोगी दलों पर मंथन...

बैठक के दौरान अलग-अलग जिलों में विधानसभा सीटों की स्थिति पर चर्चा हुई. कोर कमेटी ने फीडबैक लिया कि किस विधानसभा सीट पर बीजेपी खुद मजबूत है, और किन सीटों पर कौन सा सहयोगी दल बढ़िया प्रदर्शन कर सकता है. चुनाव को लेकर संगठन कितना तैयार है और बूथ स्तर पर पार्टी की स्थिति क्या है, इन सवालों के जवाब भी नेताओं से मांगे गए.

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जमीनी मुद्दों की तलाश

कोर कमेटी ने जिलास्तरीय नेताओं से यह भी जानने का प्रयास किया कि आखिर चुनाव में जमीनी मुद्दे क्या हो सकते हैं. मौजूदा राज्य सरकार को लेकर जमीनी स्तर पर एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर है या नहीं, इस पर भी बात हुई. सरकार द्वारा पिछले कुछ अरसे में लागू किए गए लोकलुभावन फैसलों का कितना असर है, ऐसे तमाम सवालों का जवाब तलाशने की कोशिश की गई.

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अमित शाह के मॉडल पर मीटिंग

बीजेपी प्रदेश कोर कमेटी की यह जिलावार बैठक केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बिहार दौरे पर आने के बाद तय हुई थी. सूत्रों के अनुसार, अमित शाह ने प्रदेश नेतृत्व को उम्मीदवारों के चयन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाए रखने का टास्क दिया था. इसके तहत दावेदारों की लंबी लिस्ट को छोटा कर मजबूत दावेदारों की सूची केंद्रीय नेतृत्व को भेजी जानी थी.

कोर कमेटी के दो समूह

प्रदेश नेतृत्व ने इसी टास्क के तहत 24 और 25 सितंबर को कोर कमेटी के साथ जिलावार बैठक रखी. कोर कमेटी के नेताओं को दो ग्रुप में बांटा गया था. पहले ग्रुप को प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने लीड किया. इसमें केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, नित्यानंद राय के अलावा दीपक प्रकाश और डॉ संजय जायसवाल जैसे प्रमुख नेता शामिल थे.

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दूसरे समूह में संगठन मंत्री

कोर कमेटी के नेताओं के दूसरे ग्रुप में प्रदेश संगठन मंत्री भीखू भाई दलसानिया और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी समेत अन्य नेता मौजूद थे. हर जिले से 15 से 20 प्रमुख नेताओं को बुलाया गया था, जिनमें सांसद, विधायक, पूर्व सांसद, पूर्व विधायक, जिलाध्यक्ष, जिला प्रभारी, पूर्व जिलाध्यक्ष और अन्य प्रमुख नेता शामिल थे.

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दावेदारों को बाहर रखकर चर्चा

मीटिंग के दौरान जिलों से आए सभी नेताओं को हर सवाल पर चर्चा के लिए एक साथ रखा गया, लेकिन उम्मीदवारी पर चर्चा के समय टिकट के दावेदारों को मीटिंग से बाहर रखा गया था. इसका उद्देश्य यह था कि अगर किसी दावेदार के नाम पर उसी जिले के किसी प्रमुख नेता को आपत्ति हो, तो वे कोर कमेटी के सामने बेबाकी से अपनी बात रख सकें.

दावेदारी मजबूत करने का तरीका

दावेदार अपना दावा सीधे कोर कमेटी के सामने न रखें, बल्कि जिलास्तर पर उनके कितने पैरोकार हैं, इससे उनकी दावेदारी मजबूत हो. मीटिंग के दौरान कुछ ऐसे भी नेता रहे जिन्होंने उम्मीदवार के तौर पर खुद का दावा पेश करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें कोर कमेटी ग्रुप के नेताओं ने रोक दिया.

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हर सीट पर 5 से 7 दावेदार

जिलाध्यक्षों को निर्देश था कि वे हर विधानसभा सीट से केवल मजबूत दावेदारों का नाम लेकर ही मीटिंग में आएं. जानकारी के मुताबिक, सभी विधानसभा सीटों से औसतन 5 से 7 दावेदारों का नाम लेकर जिलाध्यक्ष पहुंचे थे. कुछ सीटों पर दावेदारों की लिस्ट में 10 या उससे ज्यादा नाम भी रहे.

विनैबिलिटी पर जोर

ज्यादा दावेदारों वाली सीटों को लेकर कोर कमेटी ने यह साफ मैसेज दिया कि जिनके पास सबसे ज्यादा दावेदारों को अपने साथ लेकर सहमति बनाने की काबिलियत होगी, वही मजबूत दावेदार माने जाएंगे. शॉर्ट लिस्टिंग में इस बात पर खास फोकस किया गया कि किन नामों पर जिलास्तर के नेताओं से सबसे कम विरोध रहा.

दावेदारों का संगठन में किया हुआ काम और जमीनी स्तर पर जनता के बीच पकड़ के साथ-साथ सामाजिक समीकरण को लेकर भी मंथन हुआ. ये तमाम फैक्टर दावेदारों की उस लिस्ट के चयन का आधार रहेंगे, जो प्रदेश स्तर से तैयार कर केंद्रीय नेतृत्व को भेजी जाएगी.

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केंद्रीय नेतृत्व को भेजे जाएंगे 4-5 नाम

यह लगभग तय है कि बीजेपी जिन सीटों पर अपना उम्मीदवार चाहती है, उनमें हर सीट पर प्रदेश नेतृत्व की तरफ से 4 से 5 दावेदारों के नाम शॉर्ट लिस्ट कर ऊपर भेजे जाएंगे. बीजेपी लगभग 103 सीटों पर उम्मीदवार देने की चर्चा है, हालांकि सीट शेयरिंग का आधिकारिक ऐलान अब तक नहीं हुआ है.

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सीटिंग विधायकों पर संकट

दो दिनों की मैराथन मीटिंग से सबसे अहम जानकारी यह सामने आई है कि बीजेपी के लगभग डेढ़ दर्जन (15 से 18) सीटिंग विधायकों का टिकट कट सकता है. इन विधायकों को लेकर भी मीटिंग में विशेष चर्चा हुई है.

इस लिस्ट में सबसे ऊपर उन विधायकों का नाम है जो पार्टी के लिए वफादार साबित नहीं हुए हैं. 2024 में एनडीए सरकार के शक्ति परीक्षण के दौरान जिन विधायकों की भूमिका संदिग्ध रही, इस बार उन्हें बीजेपी बेटिकट कर सकती है. 70 से ज्यादा उम्र वाले और ज्यादा सक्रिय न रहने वाले विधायकों के लिए भी संकट की स्थिति है.

2020 के विधानसभा चुनाव में जिन सीटों पर बीजेपी बेहद कम वोटों के अंतर से जीत पाई, वहां भी मौजूदा विधायकों की स्थिति पर रिव्यू हुआ है. 2020 में 6 ऐसी सीटें थीं जहां जीत और हार का अंतर 3 हजार वोट से कम था, जबकि 8 सीटें ऐसी रहीं जहां हार-जीत का अंतर 2 हजार वोट से कम था.

आंकड़े यह भी बताते हैं कि 2020 के विधानसभा चुनाव में 13 ऐसी सीटें रहीं जहां बीजेपी उम्मीदवार 11 हजार से अधिक वोट से हारे थे. ऐसी सीटों पर भी बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है, क्योंकि इन पर उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया में व्यापक मंथन हुआ है.

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परिवार के सदस्य को टिकट नहीं

70 की उम्र सीमा पार कर चुके जिन विधायकों ने अपनी सीट पर परिवार के किसी दूसरे सदस्य को उम्मीदवार बनाने का आग्रह किया, उन्हें पार्टी नेतृत्व ने स्पष्ट मैसेज दे दिया है. ऐसे विधायकों को बीजेपी नेतृत्व उनकी सक्रियता के हिसाब से फिर से चुनाव लड़ने को कह सकता है, लेकिन परिवार के दूसरे सदस्य को एडजस्ट करने का विकल्प मिलना मुश्किल है.

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जीत की क्षमता सबसे बड़ा फैक्टर

कुल मिलाकर तकरीबन 15 से 18 सीटिंग विधायकों के ऊपर अपनी उम्मीदवारी बनाए रखने का संकट है. प्रदेश बीजेपी नेतृत्व से लेकर केंद्रीय नेतृत्व तक ने इस बार चुनाव में उम्मीदवारों के चयन को लेकर सबसे बड़ा फैक्टर विनैबिलिटी (जीतने की क्षमता) को रखा है.

बेहतर स्ट्राइक रेट का लक्ष्य

भले ही एनडीए में सीट शेयरिंग का आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन चर्चा ये है कि बीजेपी लगभग 103 सीटों पर उम्मीदवार देगी. बीजेपी नेतृत्व चाहता है कि पार्टी का स्ट्राइक रेट सबसे बेहतर हो. मौजूदा विधानसभा में बीजेपी के 80 विधायक हैं, और इस प्रदर्शन को दोहराना या इससे ऊपर का प्रदर्शन करना बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती है.

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