बिहार चुनाव से झारखंड की सियासत गरमाई, JMM ने कांग्रेस-RJD पर लगाया ‘धोखे’ का आरोप

झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बिहार चुनाव में सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस और राजद पर गंभीर आरोप लगाए हैं. JMM का कहना है कि गठबंधन की 'राजनीतिक धूर्तता' के कारण उसे बिहार में 6 सीटों पर भी चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिला. इससे JMM की नाराज़गी बढ़ी है और अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या झारखंड में JMM का रुख बदलने वाला है?

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JMM के नेताओं का मानना है कि बिहार चुनाव में उनकी पार्टी के साथ धोखा हुआ है. (Photo-ITG) JMM के नेताओं का मानना है कि बिहार चुनाव में उनकी पार्टी के साथ धोखा हुआ है. (Photo-ITG)

सत्यजीत कुमार

  • रांची,
  • 21 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 4:14 PM IST

बिहार में विधानसभा चुनाव भले हो रहे हों, लेकिन इसकी तपिश झारखंड की राजनीति तक पहुंच गई है. झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने कांग्रेस और राजद पर 'राजनीतिक धूर्तता' का आरोप लगाते हुए कहा है कि गठबंधन की वजह से उसे बिहार में चुनाव लड़ने का उचित अवसर नहीं मिला.

पार्टी का कहना है कि वह बिहार में कम से कम छह सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती थी, लेकिन कांग्रेस और राजद की राजनीति के चलते ऐसा नहीं हो सका. जेएमएम नेताओं के मुताबिक, 2020 की तरह इस बार भी उनके साथ धोखा हुआ है.

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सोरेन सरकार में RJD-कांग्रेस की मंत्रियों के कामकाज की होगी समीक्षा

सूत्रों के मुताबिक, जेएमएम झारखंड में सरकार में शामिल कांग्रेस और राजद कोटे के मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा की तैयारी में है. इससे संकेत मिल रहे हैं कि पार्टी गठबंधन के भीतर असहज महसूस कर रही है.

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झारखंड के मंत्री शुदिव्य सोनू और जेएमएम महासचिव विनोद पांडे हाल ही में पटना जाकर तेजस्वी यादव से मिले थे. शुदिव्य सोनू ने बताया कि तेजस्वी ने जब ट्राइबल बेस की सीटों के बारे में पूछा, तो उन्होंने बताया कि 28 सीटें ऐसी हैं जहां आदिवासी वोट निर्णायक हैं. उनका कहना है कि NDA की ओर झुके ट्राइबल वोटर्स को INDIA गठबंधन की ओर लाने की कोशिश की जा रही थी, लेकिन न कांग्रेस ने वकालत की, न राजद ने समर्थन दिया.

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'JMM के साथ हुआ धोखा'

उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस और राजद दोनों ने जेएमएम के साथ हुए अन्याय को देखकर भी चुप्पी साधे रखी. इसलिए इस धोखे में दोनों बराबर के भागीदार हैं. सोनू ने याद दिलाया कि झारखंड में जेएमएम ने राजद को सम्मान दिया था- उसे सात सीटों पर चुनाव लड़वाया और एक मंत्री पद भी दिया. बावजूद इसके, बिहार में गठबंधन ने जेएमएम को दरकिनार कर दिया.

JMM के आरोपों पर क्या बोली कांग्रेस?

इधर कांग्रेस ने सफाई दी है. कांग्रेस मीडिया सेल के चेयरमैन सतीश पॉल मुंजिनी ने कहा कि बिहार में कांग्रेस की भूमिका निर्णायक नहीं थी. पार्टी खुद 70 सीटों पर लड़ना चाहती थी, लेकिन उसे 60 ही सीटें मिलीं. बाक़ी 10 सीटें छोटे घटक दलों, जैसे वीआईपी या जेएमएम के लिए छोड़ी गई थीं.

बीजेपी ने इस सियासी खींचतान पर निशाना साधा है. बीजेपी प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि जेएमएम जिस झारखंडी अस्मिता के लिए लड़ने की बात करती थी, उसने उसे बिहार जाकर गिरवी रख दिया. आज उसकी इतनी बेइज्जती हुई है कि शर्म आ जाए. बीजेपी इस मौके को भुना रही है.

क्या बोली RJD?  

वहीं, राजद ने जेएमएम मंत्री शुदिव्य सोनू के बयान को आपत्तिजनक और पीड़ादायक बताया. राजद प्रवक्ता कैलाश यादव ने कहा कि राजनीति में ‘एहसान’ शब्द अनुचित है. झारखंड के मुख्यमंत्री और जेएमएम प्रमुख हेमंत सोरेन हमारे लिए सम्मानित नेता हैं. बिहार में सीट शेयरिंग को लेकर जेएमएम को जगह न मिलना अफसोसजनक है, लेकिन इस पर ऐसे बयान देना निंदनीय है. कैलाश यादव ने दावा किया कि बिहार में इस बार तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद गठबंधन की सरकार बनना तय है और पार्टी किसी भी हाल में बीजेपी को सत्ता में नहीं आने देगी.

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झारखंड में राजनीतिक हलचल तेज

बताते चलें कि बिहार चुनाव के बाद झारखंड में भी राजनीतिक हलचल तेज होने की संभावना जताई जा रही है. चर्चा है कि जेएमएम कांग्रेस और राजद से नाखुश है, और हेमंत सोरेन की बीजेपी से बढ़ती नजदीकियां नए समीकरण की ओर इशारा कर रही हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी हाल के वर्षों में हेमंत परिवार के प्रति व्यक्तिगत संवेदना और सहानुभूति दिखाई थी, जिससे राजनीतिक अटकलें और तेज हैं.
 

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