Who is Vladimir Putin, जिनके एक इशारे पर बदल रहा है रूस का संविधान

रूस के संविधान में बदलाव होने से व्लादिमीर पुतिन के सत्ता में लंबे समय तक बने रहने के रास्ते खुल जाएंगे. अब यहां सवाल उठ रहा है कि आखिर व्लादिमीर पुतिन कौन हैं, जिनके लिए रूस के संविधान को बदला जा रहा है.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 16 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 9:33 AM IST

  • 15 साल विदेश में जासूस के रूप में पुतिन ने किया काम
  • 7 अक्टूबर 1952 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में हुआ जन्म

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने संविधान में बड़े सुधारों का प्रस्ताव रखा है. उनके इस प्रस्ताव के बाद रूस के प्रधानमंत्री दमित्री मेदवेदेव और उनकी पूरी कैबिनेट ने इस्तीफा दे दिया है. मेदवेदेव ने कहा कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रस्ताव से सत्ता संतुलन में अहम बदलाव आएंगे. इससे सिर्फ संविधान के अनुच्छेद ही नहीं बदलेंगे, बल्कि पूरा संविधान बदल जाएगा. इससे कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका सभी की शक्तियों में बदलाव होगा.

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व्लादिमीर पुतिन लंबे समय से रूस की सत्ता पर काबिज हैं. कभी वो राष्ट्रपति रहे, तो कभी प्रधानमंत्री रहे. यह उनका चौथा कार्यकाल है. उन्होंने मार्च 2018 के चुनाव में चौथी बार जीत दर्ज की थी और अब वो साल 2024 तक रूस के राष्ट्रपति पद पर बने रहेंगे.

रूस के संविधान के मुताबिक राष्ट्रपति पुतिन चौथा कार्यकाल खत्म होने के बाद अगली बार राष्ट्रपति नहीं बन सकते हैं. दावा किया जा रहा है कि रूस के संविधान में बदलाव होने से व्लादिमीर पुतिन के सत्ता में लंबे समय तक बने रहने के रास्ते खुल जाएंगे. अब यहां सवाल उठ रहा है कि आखिर व्लादिमीर पुतिन कौन हैं, जिनके लिए रूस के संविधान को बदला जा रहा है?

पुतिन के जासूस से रूस के राष्ट्रपति बनने तक का सफर

व्लादिमीर व्लादिमीरोविच पुतिन यानी व्लादिमीर पुतिन का जन्म 7 अक्टूबर 1952 को रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में सोवियत परिवार में हुआ था. उनके पिता सोवियत नेवी का हिस्सा थे और मां एक फैक्ट्री वर्कर थी. मगर दोनों की कमाई के बाद भी घर जैसे तैसे ही चलता था. व्लादिमीर पुतिन रूस के राष्ट्रपति बनने पहले जासूस थे.

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पुतिन ने रूसी की खुफिया एजेंसी केजीबी के विदेश में जासूस के रूप में 15 साल तक काम किया. इस दौरान उन्होंने 6 साल तक जर्मनी के ड्रेस्डेन में खुफिया अधिकारी के रूप में काम किया. साल 1990 में वो केजीबी से लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक से रिटायर हो गए और रूस वापस लौट आए. इसके बाद वो लेनिनग्राड स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रॉक्टर बन गए.

इसके बाद वो एंतोली सोबचाक के सलाहकार बन गए. एंतोली सोबचाक राजनीतिक सुधारक और लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित सेंट पीटरबर्ग के पहले मेयर थे. पुतिन ने अपनी काबिलियत के दम पर एंतोली सोबचाक का विश्वास जीत लिया और साल 1994 में वो सेंट पीटरबर्ग के पहले डिप्टी मेयर बन गए. माना जाता है  कि पुतिन को राजनीति में लाने का श्रेय भी एंतोली सोबचाक को ही जाता है.

साल 1996 में व्लादिमीर पुतिन मॉस्को आ गए और राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन के प्रशासन स्टाफ को जॉइन कर लिया. जुलाई 1998 में बोरिस येल्टसिन ने पुतिन को फेडरल सिक्योरिटी सर्विस का डायरेक्टर बना दिया. पुतिन जल्द ही अपना प्रभाव छोड़ने में कामयाब रहे. इसके बाद साल 1999 में पुतिन रूस के प्रधानमंत्री बन गए. इसके बाद उन्होंने लगातार चुनाव जीता और सत्ता में काबिज रहे.

निशानेबाजी से लेकर घुड़सवारी तक.....सबसे में माहिर हैं पुतिन

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व्लादिमीर पुतिन अपने अंदाज को लेकर आज भी वैश्विक मीडिया की सुर्खियों में रहते हैं. पुतिन आज भी फिट रहते हैं. वो सिर्फ रूस के राष्ट्रपति ही नहीं, बल्कि जासूस, मार्शल आर्ट मास्टर, पायलट, टैंक चलाने वाले सैनिक, अभेद निशाना लगाने वाले निशानेबाज, स्पोर्ट्स कार चलाने वाले रेसर, बाइकर, आइस हॉकी के खिलाड़ी, पानी में शिकार करने वाले शिकारी, जंगली जानवरों से खेलने वाले जियाला, टाइगर को जमीन चटाने वाले जांबाज, घुड़सवार, तैराक, पहाड़ों पर चढ़ने वाले पर्वतारोही, स्कूबा डाइविंग करने वाले डाइवर और फ्राइंग पैन को हाथों से मोड़ देने वाले बहादुर शख्स के रूप में अपनी पहचान रखते हैं.

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