गुजरात: इन निजी प्राथमिक स्कूलों में 7,378 सीटें खाली, अभिभावकों के लिए अच्छा मौका

गुजरात राज्य के बिन अनुदानित निजी प्राथमिक स्कूलों में RTE अधिनियम के तहत कक्षा 1 में कमजोर और वंचित वर्ग के बच्चों का प्रवेश निरंतर जारी है. दूसरे राउंड में 7,006 बच्चों को प्रवेश दिया गया, लेकिन अभी भी 7,378 सीटें खाली हैं. अभिभावकों को 28 मई तक दस्तावेज लेकर स्कूलों में जाकर प्रवेश प्रक्रिया पूरी करनी होगी.

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स्कूली बच्चे (फाइल फोटो) स्कूली बच्चे (फाइल फोटो)

अतुल तिवारी

  • अहमदाबाद,
  • 21 मई 2025,
  • अपडेटेड 11:07 PM IST

गुजरात राज्य में मौजूद बिन अनुदानित निजी प्राथमिक स्कूलों में RTE (राइट टू एजुकेशन) अधिनियम के अंतर्गत कक्षा 1 में कमजोर और वंचित वर्गों के 25 प्रतिशत बच्चों को प्रवेश दिया जाता है. इसी अधिनियम के तहत प्रवेश प्रक्रिया के दूसरे राउंड में कुल 7,006 बच्चों को प्रवेश मिला है. इन बच्चों के अभिभावकों को 28 मई तक अपने दस्तावेजों के साथ संबंधित स्कूल में जाकर प्रवेश की प्रक्रिया पूरी करनी होगी.

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अभी भी 7,378 सीटें खाली

दूसरे राउंड के बाद भी कई सीटें खाली रह गई हैं. राज्यभर की निजी स्कूलों में कक्षा 1 की कुल 7,378 सीटें ऐसी हैं, जिन पर किसी को प्रवेश नहीं मिला. इसका प्रमुख कारण अभिभावकों द्वारा स्कूल चयन नहीं करना रहा. खाली सीटों का माध्यमवार विवरण इस प्रकार है:

  • गुजराती माध्यम: 728 सीटें
  • अंग्रेजी माध्यम: 4,564 सीटें
  • हिंदी माध्यम: 1,920 सीटें
  • अन्य माध्यम: 166 सीटें

पहले राउंड में मिला था 86,264 बच्चों को प्रवेश

शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के लिए गुजरात की 9,814 बिन अनुदानित निजी प्राथमिक स्कूलों में RTE के अंतर्गत कुल 94,798 सीटें उपलब्ध करवाई गई थीं. प्रवेश प्रक्रिया के पहले राउंड में नियमों के अनुसार - जैसे कि 6 किलोमीटर की त्रिज्या में स्थित स्कूल और अन्य पात्रताओं के आधार पर - कुल 86,264 बच्चों को प्रवेश प्रदान किया गया था. इनमें से समय मर्यादा के भीतर 80,453 बच्चों ने दस्तावेज जमा कर अपने प्रवेश को सुनिश्चित किया.

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दूसरे राउंड की प्रक्रिया क्यों हुई?

पहले राउंड के बाद 14,345 सीटें खाली रह गई थीं. इन सीटों पर अधिक से अधिक वंचित वर्ग के बच्चों को अवसर देने के उद्देश्य से RTE के तहत दूसरे राउंड की प्रवेश प्रक्रिया शुरू की गई. इसके लिए उन 89,445 अभिभावकों को 15 मई से 17 मई के बीच स्कूलों के पुनः चयन का अवसर दिया गया, जिन्हें पहले राउंड में प्रवेश नहीं मिल पाया था.

इस अवसर का लाभ उठाते हुए 45,695 अभिभावकों ने नए सिरे से स्कूल का चयन किया, जबकि बाकी 43,750 अभिभावकों ने पहले राउंड में चयन की गई स्कूलों को ही दोबारा चुना.

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