'UPSC अंटेप्ट 3 और उम्र 40 से ज्यादा होनी चाहिए', जानिए RBI के पूर्व गवर्नर ने क्यों दिया ये सुझाव

UPSC Exam age & attempts Limits: RBI के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव का कहना है कि सिविल सेवा परीक्षा में छह बार तक प्रयास करने की अनुमति देना ठीक नहीं है. उनका मानना है कि इतने सारे मौके देने से उम्मीदवार परीक्षा की टेक्निक में माहिर हो जाते हैं, न कि उनकी वास्तविक योग्यता का सही आकलन हो पाता. इससे चयन प्रक्रिया में गलतियां हो सकती हैं.

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RBI के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव RBI के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 01 जून 2025,
  • अपडेटेड 2:51 PM IST

UPSC Exam age & attempts Limits: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा के लिए उम्मीदवारों की उम्र 40 साल से अधिक होनी चाहिए और यूपीएससी अटेंप्ट भी कम होने चाहिए? रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के पूर्व गवर्नर दुव्वुरी सुब्बाराव का यह सुझाव इन दिनों चर्चा में है. उन्होंने यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा के वर्तमान एलिजिबिलिटी स्ट्रक्चर की आलोचना की है.

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साइकोलॉजिकल प्रेशर
पूर्व RBI गवर्नर डी. सुब्बाराव का मानना है कि वर्तमान में जिन उम्मीदवारों को यूपीएससी सिविल सेवा में जाने का मौका दिया जाता है उनकी उम्र 21 से 32 साल होती है. इस उम्र में युवाओं पर परीक्षा पास करने के साथ-साथ परिवार की इच्छाओं का दबाव भी होता है. उन्होंने युवाओं के साइकोलॉजिकल प्रेशर की ओर इशारा करते हुए कहा कि इसकी वजह से भी वे बार-बार असफलता का सामने करते हैं. उन्होंने तर्क दिया कि युवा उम्मीदवारों से यह उम्मीद करना सही नहीं है कि वे दो या तीन असफल प्रयासों के बाद खुद ब खुद पीछे हट जाएंगे, भले ही वे सिविल सेवाओं के लिए सूटेबल न हों.

इंग्लिश न्यूज वेबसाइट टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "आखिरकार, वे 'डूबे हुए खर्च के भ्रम' के शिकार होकर सोचते हैं- मैंने इतना समय, पैसा और प्रयास लगाया है. अगर मैं अभी हार मान लूं तो यह सब बेकार हो जाएगा. शायद मैं इस बार सफल हो जाऊं'," उनका कहना है कि कई एस्पिरेंट्स असंभव लक्ष्य का पीछा करते हुए परेशानियों के बावजूद अपने उन वर्षों गंवा देते हैं जिनमें वे बहुत कुछ हासिल कर सकते थे. 1970 के दशक के अपने अनुभव का हवाला देते हुए डी. सुब्बाराव ने कहा कि उस समय केवल दो अटेंप्ट की परमिशन थी. 

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यूपीएससी अटेंप्ट क्यों कम होने चाहिए?
सुब्बाराव का कहना है कि सिविल सेवा परीक्षा में छह बार तक प्रयास करने की अनुमति देना ठीक नहीं है. उनका मानना है कि इतने सारे मौके देने से उम्मीदवार परीक्षा की टेक्निक में माहिर हो जाते हैं, न कि उनकी वास्तविक योग्यता का सही आकलन हो पाता. इससे चयन प्रक्रिया में गलतियां हो सकती हैं, जैसे: टाइप I गलती: गलत उम्मीदवार का चयन होना, टाइप II गलती: योग्य उम्मीदवार का चयन न हो पाना. इसलिए, वे सुझाव देते हैं कि प्रयासों की संख्या घटाकर तीन कर देनी चाहिए ताकि चयन प्रक्रिया अधिक निष्पक्ष और योग्यता आधारित हो.

यूपीएससी के लिए 40 पार आयु सीमा का सुझाव क्यों?
सुब्बाराव का कहना है कि युवा उम्मीदवारों में अक्सर वास्तविक दुनिया का अनुभव और शासन की बाहरी समझ की कमी होती है. 40-42 साल के अनुभवी लोग इस कमी को पूरा कर सकते हैं. उनके अनुभव से सिविल सेवा अधिक प्रासंगिक और उपयोगी बनेगी व शासन में संवेदनशीलता और देखभाल बढ़ेगी.

हालांकि वे चाहते हैं कि युवा और अनुभवी दोनों तरह के लोग सिविल सेवा में शामिल हों, ताकि प्रशासन में जोश और अनुभव का संतुलन बना रहे.  उन्होंने यह भी कहा कि युवाओं की भर्ती बंद नहीं करनी चाहिए क्योंकि युवा उम्मीदवार अपने साथ जोश, उत्साह, नई सोच और नई ऊर्जा लाते हैं. इसलिए, मौजूदा युवा भर्ती प्रक्रिया को भी जारी रखना चाहिए ताकि सिविल सेवा में नई और पुरानी पीढ़ी का संतुलन बना रहे. उन्होंने सुझाव दिया कि अधिकतम प्रयास तीन और अपर ऐज 27 साल होने से वह उचित संतुलन बनाया जा सकता है.

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सुब्बाराव ने बताया कि जब उन्होंने 50 साल पहले सिविल सेवा परीक्षा दी थी, तब से अब तक इसमें काफी सुधार हुआ है. लेकिन फिर भी इसे और बेहतर करने की जरूरत है. वे कहते हैं कि सुधारों के जरिए सिविल सेवा को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है ताकि यह देश की जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा कर सके.

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