इस राज्य में हिंदी में मेडिसिन की 3 किताबें होंगी मेडिकल कोर्स में शामिल

हिंदी भाषी क्षेत्र के मेधावी छात्रों की सुविधा के लिए पहली बार उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान ने तीन पुस्तकें प्रकाशित की हैं. अब तीन मेडिकल किताबें जल्द ही पाठ्यक्रम का हिस्सा होंगी.

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प्रतीकात्मक फोटो (Getty) प्रतीकात्मक फोटो (Getty)

अभिषेक मिश्रा

  • लखनऊ ,
  • 13 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 10:06 PM IST

मेडिकल कोर्स में दाखिला लेने वाले छात्रों के लिए एक अच्छी खबर है. हिंदी में तीन मेडिकल किताबें जल्द ही पाठ्यक्रम का हिस्सा होंगी. हिंदी भाषी क्षेत्र के मेधावी छात्रों की सुविधा के लिए पहली बार उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान ने तीन पुस्तकें प्रकाशित की हैं. 

जानकारी के अनुसार, हिंदी भाषा संस्थान के अध्यक्ष डॉ. राजनारायण शुक्ल ने प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के मेडिकल अध्ययन में पुस्तकों को शामिल करने का प्रस्ताव यूपी सरकार को भेजा है. भाषा संस्थान की पहल पर किताबें केजीएमयू के सर्जरी विभाग के पूर्व प्रमुख टीसी गोयल और उनके बेटे डॉ. अपुल गोयल ने लिखी हैं.

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महत्वपूर्ण बात यह है कि चिकित्सा पाठ्यक्रमों में हिंदी भाषा की पुस्तकों की अनुपलब्धता और छात्रों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए यूपी भाषा संस्थान ने इस पहल को आगे बढ़ाया. पिछले तीन वर्षों से चल रहे भाषा संस्थान अभ्यास ने सितंबर 2020 में आकार लिया है. 

पहली दो किताबें, मॉडर्न सर्जरी एंड स्पेशलिटीज ऑफ सर्जरी, पार्ट वन और टू, प्रकाशित हो चुकी हैं और तीसरी किताब में डिजीज डायग्नोसिस है. शल्य चिकित्सा की पूरी अवधारणा तीनों पुस्तकों में समाहित है. यदि सरकार की ओर से प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है तो आगामी सत्र में तैयार की गई तीनों पुस्तकों को चिकित्सा पाठ्यक्रम में शामिल किया जा सकता है. 

चिकित्सा के साथ-साथ भाषा संस्थान प्रबंधन विषय से संबंधित हिन्दी भाषा की पुस्तक पर भी कार्य कर रहा है. संस्थान की ओर से जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली के प्रो. राजीव सिजोरिया भारतीय प्रबंधन कला पर एक पुस्तक लिख रहे हैं. संस्थान आने वाले दिनों में अन्य हिंदी चिकित्सा पुस्तकें लिखने पर गंभीरता से काम कर रहा है. 

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यूपी भाषा संस्थान के अध्यक्ष डॉ. राजनारायण शुक्ल के मुताबिक कोई भी प्रकाशक मेडिकल की किताबें हिंदी में प्रकाशित करने को तैयार नहीं था लेकिन फिर संस्थान की पहल पर डॉ. टी.सी. गोयल ने तीनों किताबें हिंदी में लिखी हैं. संस्थान देश और राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के पुस्तकालयों में मुफ्त किताबें उपलब्ध कराएगा. 

गौरतलब है कि आने वाले दिनों में सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति से भी किताबों को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने को कहा जाएगा. ये पुस्तकें हिंदी भाषी क्षेत्र के विद्यार्थियों के लिए काफी मददगार साबित होंगी.

 

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