जी हां, ये UP का सरकारी स्कूल है, जहां एक कमरे में चलती हैं 5 क्लासेज, बच्चे टॉयलेट के लिए जाते हैं घर!

इस एक कमरे के स्कूल में कोई भी टॉयलेट नहीं है. स्कूल में पांच महिला टीचर सहित कई लड़कियां हैं. एक कमरे के स्कूल के चारों तरफ आपको बड़े-बड़े घर दिखाई पड़ते हैं. अगर किसी टीचर को टॉयलेट जाना होता है तो वो इन्ही घरों में मदद मांगती हैं. 

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एक कमरे में चल रहा गौतमबुद्ध नगर का ये सरकारी स्कूल एक कमरे में चल रहा गौतमबुद्ध नगर का ये सरकारी स्कूल

मनीष चौरसिया / अरुण त्यागी

  • गौतमबुद्ध नगर ,
  • 18 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 8:16 PM IST

क्लासरूम में घुसते ही ठीक सामने अन्नी और अंशिका दिख जाती हैं. दोनों ही 5वीं कक्षा में हैं.अन्नी की पीठ की तरफ पीठ करके मानव बैठा हुआ है जो कि चौथी कक्षा में पढ़ता है. फिर मानव के ठीक आगे वाली सीट पर ब्लैकबोर्ड की तरफ मुंह करके दूसरी क्लास की प्रियांशी बैठी हुई है. उसके जस्ट बांई ओर गौरी बैठी है, वो कक्षा 3 में है. 

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ये पढ़ते-पढ़ते आप शायद कन्फ्यूज़ हो गए हों कि ये अलग अलग क्लास के बच्चे एक साथ क्लासरूम में क्या कर रहे हैं. लेकिन, हैरान होने की जरूरत नहीं है. हमसे ज्यादा ये बच्चे स्मार्ट हैं जो एक दूसरे की आवाज़ सुनकर भी बिल्कुल कन्फ्यूज़ नहीं होते हैं. ये सभी पूरी एकाग्रता के साथ अपनी किताब, अपनी टीचर पर ध्यान लगाते हैं. 

स्कूल में एक कमरा या एक कमरे का स्कूल
यूपी के गौतमबुद्धनगर के इस अनोखे स्कूल में आपका स्वागत है. ऐसा स्कूल जहां सिर्फ एक ही कमरा है या यूं कहें कि इस एक कमरे में ही स्कूल है. इस एक ही कमरे में पांच क्लासेज चलती हैं. ये गौतमबुद्धनगर के दादरी का गढ़ी गांव है. इस सरकारी प्राइमरी स्कूल में एक कमरे में ही पहली से पांचवी तक की क्लास चलती हैं. इस क्लासरूम में 55 बच्चे हैं. क्लासरूम में 3 ब्लैकबोर्ड हैं और इन बच्चों को पढ़ाने के लिए 5 टीचर हैं. सभी बच्चे एक साथ बैठे हैं, किसी क्लास में हिंदी पढ़ाई जा रही है तो किसी में मैथ. 

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टीचर्स पड़ोस के घरों में इस्तेमाल कर रहीं शौचालय 
बड़ी बात ये भी है कि इस एक कमरे के स्कूल में कोई भी टॉयलेट नहीं है. स्कूल में पांच महिला टीचर सहित कई लड़कियां हैं. एक कमरे के स्कूल के चारों तरफ आपको बड़े-बड़े घर दिखाई पड़ते हैं. अगर किसी टीचर को टॉयलेट जाना होता है तो वो इन्ही घरों में मदद मांगती हैं. 

बच्चे बताते हैं कि अगर क्लास के बीच में उन्हें टॉयलेट लग जाए तो वो क्लास छोड़कर अपने घर की तरफ भागते हैं.  5वीं क्लास की अन्नी और अंशिका बताती हैं कि यहां टॉयलेट नहीं है. जब भी उन्हे टॉयलेट लगती है तो वो अपने घर जाती हैं. थर्ड क्लास की गौरी बताती हैं कि वो पानी की बोतल लेकर नहीं आती. गौरी बहुत मासूमियत से कहती हैं कि उसे स्कूल में प्यास ही नहीं लगती. 

चौथी क्लास में पढ़ने वाला मानव बताता है कि क्लास में हर रोज पांच पीरियड होते हैं. हर पीरियड में बहुत अच्छी पढ़ाई होती है. मानव कहता है कि उसे अगल-बगल की क्लास के बच्चों से कोई फर्क नहीं पड़ता, वो डिस्टर्ब नहीं होता. क्लास में आप किसी बच्चे से पूछ लीजिए तो सब बच्चे बताते हैं कि पढ़ाई बहुत अच्छी होती है. सुबह 8 बजे से लेकर 2 बजे तक क्लासेज चलती हैं. 

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बीएसए ने कहा कि हो जाएगा इंतजाम 
बच्चे कुछ भी कहें लेकिन ये समझना मुश्किल नहीं कि अगर एक कमरे में ही 5 क्लासेज चलें तो पढ़ाई का स्तर क्या हो सकता है. वहीं गौतमबुद्धनगर की बीएसए एश्वर्या लक्ष्मी का कहना है कि ये नया स्कूल है पहले जहां चलता था वहां की इमारत जर्जर हो चुकी थी इसलिए हाल ही में यहां बच्चों को शिफ्ट किया गया है. जल्द ही यहां टॉयलेट की व्यवस्था करवा दी जाएगी. 

 

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