यूजीसी के चेयरमेन एम. जगदीश कुमार ने हाल ही में यह जानकारी दी है कि 75 प्रतिशत मार्क्स के साथ चार साल का ग्रेजुएशन कोर्स कर चुके छात्र यूजीसी नेट या पीएचडी के लिए अप्लाई कर सकते हैं. यूजीसी, ग्रेजुएशन के छात्रों के लिए यह सुविधा नई शिक्षा नीति को ध्यान में रखते हुए साल 2022 में लेकर आया था, लेकिन इसको लेकर कई मानदंड तय किए गए हैं. अगर आप पीएचडी करने का सोच रहे हैं तो यूजीसी के इस फैसले को डिटेल में समझ लें. आइए जानते हैं पीएचडी कोर्स को लेकर यूजीसी का नया फ्रेमव्रक क्या कहता है.
75% ऑनर्स डिग्री के साथ पीएचडी के लिए कर सकते हैं अप्लाई
यूजीसी के अनुसार, चार साल का ग्रेजुएशन कोर्स कर रहे छात्र नेट एग्जाम देकर पीएचडी के लिए अप्लाई कर सकते हैं. हालांकि, छात्रों के पास ऑनर्स डिग्री में 75 प्रतिशत मार्क्स होना अनिवार्य है. अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBS) दिव्यांग, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए पांच प्रतिशत अंक या इसके समकक्ष ग्रेड की छूट दी जाएगी. इससे पहले PhD के लिए तान साल का ग्रेजुएशन और कम से कम 55% मार्क्स के साथ मास्टर्स डिग्री की जरूरत होती है, लेकिन अब 75 प्रतिशत अंकों के साथ ऑनर्स की डिग्री से पीएचडी कर सकते हैं.
साल 2022 में UGC ने लॉन्च किया था चाल साल का ग्रेजुएशन कोर्स
साल 2022 में यूजीसी ने (पीएचडी डिग्री प्रदान करने के लिए न्यूनतम मानक और प्रक्रियाएं) विनियम, 2022 के तहत चार साल के अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम (FYUP) को लॉन्च किया था. इस प्रोग्राम में छात्र तीन की जगह चार साल का ग्रेजुएशन कोर्स कर सकते हैं. चार साल के इस ग्रेजुएशन कोर्स को ऑनर्स डिग्री कहा जाएगा. यूजीसी के अनुसार, 'जो छात्र तीन साल में ग्रेजुएशन करना चाहते हैं, उन्हें 120 क्रेडिट (अकादमिक घंटों की संख्या के माध्यम से मापा जाता है) प्राप्त करने होंगे, जबकि चार साल में यूजी ऑनर्स की डिग्री के लिए चार साल में 160 क्रेडिट हासिल करने होंगे.' छात्र ग्रेजुएशन में कौन-सा कोर्स करेंगे यह छात्रों पर ही निर्भर करेगा. यह पूरी तरह ऑप्शनल है.
किसी भी विषय में दे सकते हैं नेट एग्जाम
यूजीसी ने नेट एग्जाम में विषय चुनने का ऑप्शन भी दिया है. स्टूडेंट्स को किसी भी सब्जेक्ट के लिए NET एग्जाम देने की अनुमति होगी चाहे ग्रेजुएशन में किसी दूसरे स्ट्रीम की पढ़ाई की होय इसका मतलब है कि ग्रेजुएशन में पढ़े सब्जेक्ट्स में ही NET एग्जाम देना जरूरी नहीं होगा.
अब पीएचडी के लिए मास्टर्स की डिग्री अनिवार्य नहीं
चार साल के अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम (FYUP) लॉन्च करने के साथ-साथ यूजीसी ने यह भी बताया था कि इससे पीएचडी के छात्रों को सहूलियत मिलेगी. इस फ्रेमवर्क से पहले पीएचडी में अप्लाई करने के लिए छात्रों के पास ग्रेजुएशन और मास्टर्स की डिग्री होना अनिवार्य थी, लेकिन अब छात्रों के पास ऑनर्स डिग्री का ऑप्शन भी है. जो छात्र चार साल का ग्रेजुएशन करेंगे, वे भी पीएचडी के लिए अप्लाई कर सकते हैं, उनको मास्टर डिग्री की जरूरत नहीं है. यूजीसी ने फ्रेमवर्क लॉन्च करने के दौरान कहा था, "जो छात्र पहले से पढ़ रहे हैं और मौजूदा च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (CBCS) के अनुसार तीन साल के UG प्रोग्राम में हैं, वे चार साल के अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम को आगे बढ़ाने के लिए पात्र हैं.
बिना PHD करे सहायक प्रोफेसर के लिए कर सकते हैं अप्लाई
पीएचडी में एडमिशन लेने के लिए ऑनर्स की डिग्री ले चुके छात्रों को राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (NET), राज्य पात्रता परीक्षा (SET) और राज्य स्तरीय पात्रता परीक्षा (SLET) का एग्जाम देना होगा. इन एग्जाम में उतीर्ण होने के बाद छात्र पीएचडी में आगे की पढ़ाई कर सकते हैं साथ ही छात्र जूनियर रिसर्च फैलोशिप (JRF) के भी पात्र होंगे. इसके अलावा यूजीसी ने छात्रों को एक ऑप्शन और दिया हुआ है. अगर छात्रों का नेट क्लियर हो जाता है और वे पीएचडी में आगे की पढ़ाई नहीं करना चाहते हैं तो किसी भी उच्च शिक्षा संस्थानों में सहायक प्रोफेसर के पद पर अप्लाई कर सकते हैं. लेकिन याद रहे कि नेट क्लियर करने के बाद छात्र सहायक प्रोफेसर पर ही भर्ती पा सकते हैं. अगर आप दूसरा लेवल यानी कि एसोसिएट प्रोफेसर बनना चाहते हैं तो पीएचडी करनी पड़ेगी. पीएचडी की डिग्री लेने के बाद अगर आप सहायक प्रोफेसर या एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर नौकरी चाहते हैं तो छात्रों को दोबारा नेट का एग्जाम देने की जरूरत नहीं है.
चार साल के ग्रेजुएशन कोर्स में रिसर्च ऑनर्स डिग्री का भी ऑप्शन
सिर्फ चार साल के ग्रेजुएशन कोर्स के साथ पीएचडी ही नहीं, रिसर्च ऑनर्स डिग्री का भी ऑप्शन है. यूजीसी के करिकुलम में अगर कोई छात्र रिसर्च स्पेशलाइजेशन करना चाहते हैं तो उन्हें अपने चार साल के कोर्स में एक रिसर्च प्रोजेक्ट शुरू करना होगा. इससे उन्हें रिसर्च स्पेशलाइजेशन के साथ ऑनर्स की डिग्री मिलेगी.
नेट स्कोर के आधार पर ले सकते हैं पीएचडी में एडमिशन
यूजीसी नेट एग्जाम साल में दो बार जून और दिसंबर में आयोजित किया जाता है. इससे पहले यूजीसी नेट स्कोर का इस्तेमाल केवल जूनियर रिसर्च फेलोशिप (JRF) और मास्टर डिग्री के बाद असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती के लिए किया जाता है. वहीं, पीएचडी एडमिशन के लिए कई यूनिवर्सिटीज अलग-अलग एंट्रेंस एग्जाम आयोजित करते थे, स्टूडेंट्स को इन यूनिवर्सिटीज का पीएचडी एंट्रेंस एग्जाम देना पड़ता था. लेकिन यूजीसी ने इस रूल को हाल ही में बदला है. नए रूल के मुताबिक, स्टूडेंट्स की सहूलियत के लिए यूजीसी ने पीएचडी एडमिशन के लिए वन एंट्रेंस एग्जाम (नेट स्कोर) फॉर्मूला लागू करने का फैसला लिया था. यह फैसला राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy) 2020 के मद्देनजर एक्सपर्ट कमेटी द्वारा लिया गया है. अब छात्र सिर्फ नेट स्कोर के आधार पर किसी भी संस्थान में पीएचडी एडमिशन ले सकते हैं.
यूजीसी के अनुसार, 'एजुकेशन पॉलिसी (NEP) 2020 के अंतर्गत तैयार ये करीकुलम और क्रेडिट फ्रेमवर्क छात्रों के लिए एक इनोवेटिव और लचीली उच्च शिक्षा प्रणाली प्रदान करेगा. यूजीसी ने इस पाठ्यक्रम को स्नातक कार्यक्रमों के लिए क्रेडिट ढांचे के साथ विकसित किया है. उन्होंने कहा, "क्योंकि एफवाईयूपी करिकुलम मल्टीपल कोर्स, एबिलिटी बेस्ड कोर्स, स्किल कोर्स, वेल्यू एडड कोर्स और इंटर्नशिप शामिल हैं, यह छात्रों के लिए रोजगार लेने या उच्च अध्ययन के लिए अवसरों को बढ़ाएगा,"
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