CBSE Board Exam 2024, NCF Curriculum Change: करीब 36 साल से चली आ रही भारतीय शिक्षा प्रणाली का पूरी तरह से कायापलट होने वाला है. नई शिक्षा नीति (New Education Policy) 2020 के तहत केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने नेशनल करिकुल फ्रेमवर्क (NCF) की सिफारिशों का ड्राफ्ट जारी किया है. जारी किए गए मसौदे में भारत में कक्षा 1 से 12वीं तक बच्चे कैसे पढ़ेंगे, क्या सीखेंगे, कैसे सीखेंगे, छात्रों की प्रतिभा का मूल्यांकन कैसे होगा आदि कई बड़े बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं.
क्या है कक्षा 11वीं और 12वीं का एग्जाम प्लान?
एनसीएफ द्वारा जारी किए गए ड्राफ्ट के मुताबिक, सेकेंडरी स्टेज को चार ग्रेड में बांटा गया है जिसमें 9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं क्लास शामिल है. इस स्टेज में छात्रों को कुल 16 विकल्प आधारित पाठ्यक्रमों को पूरा करना होगा.
एनसीएफ द्वारा जारी किए गए ड्राफ्ट के मुताबिक, सेकेंडरी स्टेज को चार ग्रेड में बांटा गया है जिसमें 9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं क्लास शामिल है. इस स्टेज में छात्रों को 8-8 ग्रुप में कुल 16-16 पेपर देने होंगे. 11वीं-12वीं के हिस्सों को एक साथ रखने का प्रस्ताव है. स्टूडेंट्स को 8 विषयों में से हर ग्रुप के दो-दो विषय (16 विषय) दो साल के दौरान पढ़ने होंगे. जैसे अगर कोई छात्र सोशल साइंस विषय में से इतिहास चुनता है तो उसे इतिहास के चार पेपर (कोर्स) पूरे करने होंगे.
कौन से होंगे 8 करिकुलम?
कैसा होगा सेमेस्टर सिस्टम?
दोनों वर्षों की पढ़ाई और परीक्षाएं सेमेस्टर सिस्टम से होंगी. छात्रों को अपने पसंद के चुने गए विषय को उसी सेमेस्टर में पूरा करना होगा. 16 में से 8 विषय के पेपर पहले साल यानी 11वीं और बाकी 8 विषयों के पेपर दूसरे सेमेस्टर यानी 12वीं क्लास में पूरे करने होंगे. सभी 16 पेपर (कोर्स) पूरा कर लेने के बाद 12वीं क्लास का सर्टिफिकेट मिलेगा. यही पैटर्न 9वीं और 10वीं परीक्षा में भी होगा.
क्या हैं सिफारिशें?
12वीं क्लास की बोर्ड परीक्षा दो टर्म्स में कराई जाए.
10वीं-12वीं के फाइनल रिजल्ट में पिछली क्लासेस के रिजल्ट को भी कुछ वेटेज देने की बात.
मल्टीपल सब्जेक्ट्स की पढ़ाई को प्राथमिकता, वोकेशनल, आर्ट्स, स्पोर्ट्स को करिकुलम का अहम हिस्सा बनाने की तैयारी.
कक्षा 9 से 12वीं तक अपनी पसंद का सब्जेक्ट चुनने में लचीलापन होना चाहिए.
9वीं से 12वीं को दो चरणों में बांटा जाए. पहला 9वीं और 10वीं व दूसरा 11वीं व 12वीं.
पहले चरण में साइंस, सोशल साइंस और ह्यूमैनिटीज पढ़ाए जाएंगे.
दूसरे चरण में हिस्ट्री, फिजिक्स, भाषा पढ़ाई जाएगी.
कक्षा 9वीं और 10वीं में स्टूडेंट्स के लिए हर साल 8-8 पेपर पास करने की सिफारिश की गई है. (फिलहाल 10वीं में कम से कम 5 विषयों को पास करना होता है.)
9वीं-10वीं के दो वर्षों में आठ करिकुलम एरिया में से हर किसी से दो-दो आवश्यक कोर्स पास करने होंगे.
दरअसल, एनसीएफ के 800 पन्नों के मसौदे में कुछ प्रमुख बदलावों का प्रस्ताव स्कूली शिक्षा के चार चरणों -5 (फाउंडेशनल) +3 (प्रिपरेट्री)+3 (मिडिल)+4 (सेकेंडरी) में किया गया है, जो फाउंडेशनल, प्रिपरेट्री, मिडिल और सेकेंडरी स्टेज के हैं.
कैसा होगा इंडियन स्कूलिंग सिस्टम?
यह भी जानना जरूरी है कि ये सभी बदलाव जो प्रस्तावित किए गए हैं, इस स्तर पर इसरो (ISRO) के पूर्व वैज्ञानिक के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय संचालन समिति (National Steering Committee या NSC) के सुझाव मात्र हैं. इस पॉलिसी को पूरी तरह ट्रांसपेरेंट बनाने के लिए शिक्षा मंत्री ने पब्लिक डोमेन में ड्राफ्ट जारी करके हितधारकों और एक्सपर्ट्स की राय मांगी है.
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