60 दिन में 9 बच्चों ने किया सुसाइड... कोटा में ये क्या हो रहा है? विशेषज्ञ बोले- ये हालात ठीक नहीं

राजस्थान में बसी श‍िक्षा नगरी में दो महीनों में 9 छात्रों ने सुसाइड कर लिया है. यहां लगातार छात्र आत्महत्या कर रहे हैं. इसके पीछे सरकार, प्रशासन या कोचिंग इंस्टिट्यूट की लापरवाही है या कुछ और? सुसाइड हब बन रहे कोटा के इस स्याह पक्ष को लेकर अब इस आपदा का हल तो ढूंढ़ना होगा.

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प्रतीकात्मक तस्वीर कोटा के एक कोचिंग संस्थान की है  प्रतीकात्मक तस्वीर कोटा के एक कोचिंग संस्थान की है

चेतन गुर्जर

  • कोटा ,
  • 28 जून 2023,
  • अपडेटेड 4:06 PM IST

राजस्थान की शिक्षा नगरी नाम से मशहूर कोटा में छात्रों के सुसाइड के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. कल 27 जून को दो छात्रों ने सुसाइड कर लिया. वहीं मई और जून के महीने की बात करें तो मई के महीने में 5 छात्रों ने सुसाइड किया था और जून का महीना अभी खत्म भी नहीं हुआ है और चार बच्चे सुसाइड कर चुके हैं. इस तरह 2 महीने में 9 कोचिंग छात्र सुसाइड कर चुके हैं. 

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ये बच्चे सुसाइड क्यों कर रहे हैं. यह कोई बताने को तैयार नहीं है. ना प्रशासन और ना कोचिंग इंस्टीट्यूट किसी के पास इसका जवाब नहीं है. यहां सुसाइड के बाद पुलिस के द्वारा परिजनों को सूचना दे दी जाती है कि आपके बच्चे ने सुसाइड कर लिया है. जिस संस्थान में बच्चा पढ़ रहा था, उस संस्थान का कोई नुमाइंदा बच्चे के परिवार वालों से मिलने तक नहीं पहुंचता. सोचकर देख‍िए दूरदराज के प्रदेशों से यहां बच्चे अपना भविष्य बनाने आते हैं. बच्चे अपना भविष्य और अपना सपना सजा कर यहां आते हैं. ये सपना कई बार किसी बच्चे का यही सपना बनकर रह जाता है.

अब सवाल यह है कि छात्र इतना बड़ा कदम उठाता क्यों है? क्या फैमिली प्रेशर होता है या इंस्टिट्यूट की तरफ से पढ़ाई का प्रेशर. कुछ तो ऐसा है जो बच्चों को इस कदर जान लेने को मजबूर करता है. वजह कुछ भी हो, किसी को जैसे इससे कोई मतलब नहीं रह गया. आजकल कोटा में इंस्टिट्यूट, प्रशासन और सरकारों के लिए बच्चों के सुसाइड के मामले आम बात हो गए हैं. किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता, कोई देखने वाला नहीं है. इसके पीछे सिर्फ बच्चों का परफॉर्मेंस प्रेशर ही एक वजह नहीं हैं. इसमें सरकार, प्रशासन और इंस्टिट्यूट की लापरवाही की लापरवाही भी एक वजह है. लेकिन आख‍िर में परिजनों द्वारा फैमिली का प्रेशर कहकर हर कोई पल्ला झाड़ देता है. प्रशासन और इंस्टिट्यूट सब अपने बचाव में लगे हैं पर यह नहीं कोई सोच रहा कि बच्चों को कैसे बचाया जाए. 

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छात्र1-दो महीने पहले आया था कोटा  

कोचिंग नगरी में डॉक्टर बनने का सपना लेकर आने वाले कोचिंग छात्र ने फांसी का फंदा लगाकर मौत को गले लगा लिया. मृतक छात्र मेहुल वैष्णव उदयपुर के सलूंबर का निवासी था जो दो महीने पहले ही कोटा आया था. फिलहाल मृतक के शव को एमबीएस अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया गया. पुलिस ने परिजनों को सूचित किया. बता दें कि छात्र कोटा में हॉस्टल में रहकर नीट की कोचिंग कर रहा था. पुलिस सुसाइड के कारणों का पता नहीं लगा सकी. 

छात्र 2. - नीट छात्र ने किया सुसाइड 
कोटा में 27 जून को ही एक और कोचिंग छात्र ने फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली. छात्र विज्ञान नगर इलाके में रहकर मेडिकल की पढ़ाई कर रहा था. शव को एमबीएस अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया गया. मृतक छात्र का नाम आदित्य बताया गया है जोकि डेढ़ महीने पहले ही कोटा आया था. 

क्या कहता है प्रशासन 
कोटा के विज्ञान नगर थाना एसएचओ विवेक भारद्वाज का कहना है कि वैष्णव समाज के हॉस्टल से हमें सूचना मिली थी कि एक छात्र ने सुसाइड कर लिया ,हम मौके पर पहुंचे. मेहुल वैष्णव कोटा के विज्ञान नगर में वैष्णव समाज के हॉस्टल में रहकर नीट की तैयारी कर रहा था. वो राजस्थान के उदयपुर सलूंबर का रहने वाला था और कोटा में नीट की तैयारी कर रहा था, 2 महीने पहले ही कोटा में आया था. परिजनों को हमारे द्वारा सूचना दे दी गई है उनके आने पर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी. वहीं छात्र आदित्य सेठ नाम का छात्र यूपी का रहने वाला था. वो कोटा में रहकर नीट की तैयारी कर रहा था. यह छात्र विज्ञान नगर इलाके में हॉस्टल में रहता था. छात्र डेढ़ महीने पहले ही कोटा में रहने आया था. पुलिस के द्वारा कोचिंग छात्र के परिजनों को सूचना दे दी गई है. 

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चौंकाने वाले हैं आंकड़े 
श‍िक्षानगरी की चमक-धमक में बच्चों की सुसाइड की घटनाएं अब कालिख पोत रही हैं. डॉक्टर-इंजीनियर बनने का सपना लिए हर साल पूरे देश से बच्चे कोटा आते हैं. इन सपनों को पूरा करने के लिए उनसे न सिर्फ माता-पिता समाज बल्क‍ि वो खुद भी अच्छे से अच्छे 'परफॉर्मेंस' की उम्मीद करते हैं. ये परफॉर्मेंस की चाहत अक्सर प्रेशर बनकर दिमाग पर हावी हो जाती है और छात्र प्राणघातक कदम तक उठा लेते हैं. राजस्थान राज्य विधानसभा में पेश आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी 2019 से दिसंबर 2022 के चार सालों के बीच कोटा कोचिंग हब के 52 छात्रों ने आत्महत्या की. आत्महत्या करने वाले छात्रों में सबसे ज्यादा बिहार-4, उसके बाद छत्तीसगढ़ के तीन-तीन छात्र थे. 

12 घंटे के भीतर तीन बच्चों ने किया सुसाइड 
साल 2022 में ही कोटा में 16 छात्रों ने आत्महत्या कर ली, हालांकि सदन में यह आंकड़ा 13 बताया गया है. चिंता की बात यह है कि दिसंबर में महज 10 दिन के अंदर 4 आत्महत्याएं हो गईं. 12 दिसंबर को 12 घंटे के भीतर तीन होनहारों ने आत्महत्या कर ली. 

प्रेशर ही नहीं प्यार भी एक वजह 
सरकार ने इन आत्महत्याओं के पीछे अलग-अलग कारण बताए थे. सरकार ने स्वीकार किया कि आत्महत्या का कारण इंटरनल एसेसमेंट, लव अफेयर, ब्लैकमेलिंग और माता-पिता की महत्वाकांक्षा थी. इन सबको देखते हुए इसी सत्र में सरकार कोचिंग में आत्महत्या को नियंत्रित करने और रोकने के लिए विधेयक लाएगी. सरकार ने बताया कि इन घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए राजस्थान कोचिंग संस्थान (नियंत्रण एवं नियमन-2023) विधेयक इसी सत्र में लाया जाएगा.

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विशेषज्ञ बोले- अब सोचना होगा 
भोपाल के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि कोटा के ये हालात ठीक नहीं हैं. इस पर पूरी मशीनरी को सोचना होगा. इसमें माता-पिता, कोचिंग संस्थान, सरकार से लेकर पूरे समाज की जिम्मेदारी है कि हम अपने बच्चों से इतनी अपेक्षाएं करना बंद कर दें. बच्चों को उनके करियर के लिए ऐसा दबाव न बनने दें कि वो पहले घर फिर दुनिया छोड़ने को मजबूर हो जाएं. 

पेरेंट्स बच्चों को समझें 
- पेरेंट्स के तौर पर अपने बच्चों की प्रत‍िभाओं को परखें, उनकी क्षमता से ज्यादा उनसे उम्मीद न करें . 
- बच्चे को पढ़ाई के दौरान सीखने पर जोर दें, उसे समझाएं कि रटकर पास होने से ज्यादा सीखना जरूरी है. 
- बच्चे को कभी भी उनके प्रदर्शन के आधार पर जज न करें, बच्चों को बिना शर्त प्यार करना शुरू करें. 
- बच्चे पर अपने सपने थोपने की कोश‍िश न करें, बच्चों को उनके सपने खुद बुनने दें, सलाह दे सकते हैं. 
- रिजल्ट के वक्त अपने बच्चों के अच्छे दोस्त बनकर आप उनका सबसे ज्यादा साथ दे सकते हैं. 
 
छात्र यहां से लें मदद 
दिल्ली के IHBAS के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ ओमप्रकाश ने कहा कि बच्चों की काउंसिलिंग के लिए सरकार की टेली मानस सेवाएं 24 घंटे के लिए उपलब्ध हैं. अभ्यर्थ‍ियों को अगर रिजल्ट या परफॉर्मेंस का प्रेशर परेशान कर रहा है या वो किसी भी तरह के डिप्रेशन-एंजाइटी को महसूस कर रहे हैं तो वो टेलीमानस की हेल्पलाइन नंबर 14416 पर कॉल कर सकते हैं.

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टेल‍ि‍मानस सेवा के जरिये हर राज्य और हर भाषा के अभ्यर्थी काउंस‍लर्स से बातचीत कर सकते हैं. टेलीमानस सेवा में अभ्यर्थ‍ियों की पहचान पूरी तरह से गुप्त रखी जाती है. डॉ ओमप्रकाश कहते हैं कि छात्रों को किसी भी तरह का घातक कदम उठाने से पहले एक बार काउं‍सलर से बात जरूर करनी चाहिए. यहां ट्रेंड काउंसलर अभ्यर्थी को न सिर्फ सुनते हैं बल्क‍ि उन्हे ऑनलाइन ही पूरी मदद करते हैं. 

क्या है टेलिमानस? 
इस हेल्पलाइन में योग्य काउंसलर डॉक्टर हर वक्त मन की पीड़ा सुनने को तत्पर रहते हैं. 14416 या 1800-91-4416 पर  कॉल करके कोई भी अपनी मानसिक समस्या साझा कर सकता है. इसकी शुरुआत साल 2022 में 10 अक्टूबर को हुई और करीब दो माह में ही हेल्पलाइन पर एक के बाद एक लोग कॉल करके मदद मांगने लगे. इंस्टीट्यूट ऑफ़ ह्यूमन बेहेवियर एंड अलाइड साइंसेज (इबहास) में इसका नोडल सेंटर बना है.

गोपनीय रखी जाती है पहचान-जानकारी
इहबास के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ ओमप्रकाश बताते हैं कि यहां व्यक्त‍ि फोन पर खुलकर अपनी बात रख सकता है. टेल‍ी मानस सेवा ऐसी ही एक हेल्पलाइन है जहां तनाव, डिप्रेशन या सुसाइडल थॉट्स से जूझ रहे स्टूडेंट्स भी विशेषज्ञों से सलाह ले सकते हैं. इसमें फोन करने वाले किसी भी व्यक्त‍ि की निजता व गोपनीयता बरकरार रखी जाती है.  

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छात्र इन टोल फ्री नंबरों पर करें फोन 
14416
1800914416 

 

 

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