कोटा: नौ दिन लापता, फिर मृत मिला छात्र, मौत बनी पहेली, जंगल में जाकर क्यों दी जान? पुलिस के रोल से नाराज परिजन

कोटा में आठ दिनों से अपने बेटे रचित को तलाश रहे परिजनों को नौंंवें दिन यानी सोमवार शाम को उसका शव जंगलों में मिला. परिजनों ने मंगलवार को आजतक से बातचीत में पुलिस के रोल पर भी सवाल उठाए.

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Kota missing student dead body found Kota missing student dead body found

चेतन गुर्जर

  • कोटा,
  • 20 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 3:37 PM IST

राजस्थान कोटा में एक तरफ प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा है और दूसरी तरफ छात्रों के सुसाइड का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. इस साल की शुरुआत में ही पांच छात्र अपनी जान दे चुके हैं. नौ दिन पहले लापता हुआ छात्र रचित का शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है. नौ दिन बाद रचित का शव गड़रिया महादेव मंदिर के पास जंगल में मिला है.

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नौ दिन बाद जिस तरह जंगल में रचित का शव बरामद हुआ है, अब उसकी मौत एक पहेली बन गई है. अगर उसके भीतर सुसाइडल विचार आ रहे थे तो वो दूसरा रास्ता भी अपना सकता था, लेकिन घने जंगल में जाकर जान देना एक बड़ा सवाल खड़ा करता है. बता दें कि रचित के कमरे में कुछ दिन पहले नोट्स मिले थे, जिन्हें देखकर पुलिस प्रशासन का अंदाजा है कि छात्र ने सुसाइड ही किया है. लेकिन रचित के परिजनों को सुसाइड के अलावा गेम टास्क का मामला भी नजर आ रहा है.

शिक्षा नगरी कोटा में नौ दिन से लापता कोचिंग छात्र रचित का शव परिजनों को गडरिया महादेव मंदिर के जंगल में मिला है. परिजन नौ दिन से लगातार इस जंगल में छात्र की तलाश कर रहे थे. मध्य प्रदेश से कोटा आकर करीब 50 से 60 लोग रोज जंगल में तलाश कर रहे थे. इस केस में पुलिस की बड़ी नाकामी सामने आई है कि कोटा पुलिस 9 दिन में भी कोचिंग छात्र को नहीं ढूंढ़ पाई और परिजनों में घने जंगल में जहां जंगली जानवरों के बीच छात्र को ढूंढ़ निकाला है.

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घरवालों ने उठाए पुलिस पर भी सवाल

परिजनों ने आजतक से बातचीत में बताया कि हमें अभी भी अपने बच्चे की मौत का सही कारण नहीं पता. उसके दिमाग में क्या चल रहा था, वो क्या सोचकर वहां जगल गया, इसका किसी को नहीं पता. उन्होंने पुलिस के रोल पर कहा कि हमने पुलिस से मदद मांगी थी और कहा था कि आप जंगल में नीचे की तरफ भी खोजिये, रोज एक ही जगह ढूंढने से थोड़े ना मिलेगा तो जवाहर नगर थाना अधिकारी वासुदेव ने मना कर दिया.

उन्होंने कहा कि न तो मैं नीचे जाऊंगा और ना ही मेरा कोई सिपाही नीचे जाएगा. परिजनों ने कहा कि हम लोग आप लोगों के साथ चल लेंगे आप चलिए तो सही पर थाना अधिकारी ने साफ मना कर दिया था. उसके बाद परिजनों ने कहा किया घना जंगल है, जंगली जानवर हैं तो आप एक सिपाही भेज दीजिए हमारे साथ जो हथियार बंद हो. हमें जंगली जानवरों से कोई खतरा नहीं रहे. हम नीचे जाकर ढूंढ़ लेंगे पर पुलिस की तरफ से कोई मदद नहीं मिली. उसके बाद उदास परिजन नीचे की ओर बढ़े और उनको अपने बच्चों की बॉडी एक पेड़ में फंसी हुई मिली. उसके बाद परिजनों ने पुलिस को सूचना दी कि उनको बॉडी मिल गई है. उसके बाद पुलिस पहुंची बॉडी को वहां से चंबल नदी में बोट की मदद से लेकर आई.

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पुलिस से नहीं मानी थी परिजनों की बात

परिजनों ने आगे कहा कि आप देखिए कि पुलिस प्रशासन की कितनी बड़ी नाकामी है. मध्य प्रदेश से परिजन आकर कोटा में अपने बच्चों को ढूंढने में लग रहे पर कोटा पुलिस अपनी जिम्मेदारियां से भागती रही. पुलिस प्रशासन का यह कहना कि हम नीचे नहीं जाएंगे आपको जाना है तो आप जाइए. परिजन अब पुलिस पर आरोप लगा रहे हैं कि पुलिस चाहती तो पहले दिन ही ढूंढ लेती हम तो मध्य प्रदेश से थे हम यहां के बारे में क्या जानते हैं. पुलिस तो सब कुछ जानती थी और अगर पहले दिन ही पुलिस अपनी टीम लगाकर नीचे की ओर भी ढूंढ लेती तो शायद हमारा बच्चा उस वक्त जिंदा होता.

मृतक छात्र के पिता ने पुलिस पर लगाए आरोप

मृतक छात्र रचित के पापा ने बताया ति पुलिस प्रशासन नीचे गया ही नहीं, हमारे ही सभी लोग नीचे गए थे. पुलिस प्रशासन ऊपर ही ढूंढता रहा जहां रोज ढूंढ रहा था. अधिकारी ने हमें कहा कि हमारी टीम नीचे नहीं जा पाएग. एसडीआरएफ एनडीआरएफ नीचे जाती है, मैं इनकी रिस्क नहीं ले सकता. कोई खतरा हो जाए जानवर से इसलिए मैं इनको नीचे नहीं भेज सकता. 9 दिन हो गए बच्चा वहीं मिला है अगर पहले ही ढूंढ लेते तो पहले दिन ही मिल जाता. मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री या तो उनके अधिकारियों को सुधार लें या फिर इस्तीफा दे दें. पुलिस ने मुझे कहा कि मैं आपको एक आदमी भी नहीं दे सकता और मुझसे कहा कि आप अगर नीचे जाते हो तो अपनी इच्छा से जाओगे मेरी कोई जवाबदारी नहीं होगी, फिर हम लोग नीचे गए तो वहां हमारा बेटा हमें मिल गया. मेरे बड़े भैया नीचे गए थे वहां हमारा बेटा मिला पुलिस का एक भी आदमी हमारे साथ नीचे नहीं गया.

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मृतक छात्र रचित के दादा मोर सिंह ने बताया कि हम तो गांव से थे इसलिए नीचे जाकर ढूंढ लिए. कोई सिटी से होता तो क्या इतने घने जंगल में नीचे उतरकर ढूंढ पाता. 9 दिन से हम हर जगह ढूंढ रहे थे. पूरे एरिया वालों को पता था कि हमलोग कितने परेशान हैं पर पुलिस प्रशासन को दिखता ही नहीं. पुलिस की तरफ से हमें कोई मदद नहीं मिली और आज तो हमें मना ही कर दिया. थाना अधिकारी ने मुझे कहा कि आपकी भी मेरी जिम्मेदारी नहीं हैं, आपको जाना है तो आप जाइए आपकी खुद की जिम्मेदारी पर और मेरा नाम मत लीजिएगा. मेरे लिए मत बोलना कि मैंने मना किया है.

मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के पूर्व विधायक ने कही ये बात

आज 90 दिन बच्चों की बॉडी मिली है और पिछले 9 दिनों से लगातार हमारे साथ 70 लोग बच्चों को ढूंढ रहे थे, और उसी वजह से डेड बॉडी मिली है, मामला समझ नहीं आ रहा है कि यह क्या कारण रहा, हम चाहते हैं कि उच्च स्तरीय जांच हो, कमरे से मिले नोट्स को देखें तो सुसाइड ही लग रहा है पर फिर भी जांच का विषय है, अगर हमारे लोग नहीं होते तो पुलिस के भरोसे तो सब मिला मुमकिन नहीं था.

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