IIT Delhi का कमाल: बना दी दुनिया की सबसे मजबूत बुलेट प्रूफ जैकेट, ये स्नाइपर गन की गोलियां भी कर देगी फेल

ये जैकेट उन सभी बुलेट प्रूफ जैकेट से बिल्कुल अलग है जो पूरी दुनिया में इस्तेमाल की जाती है. दुनिया भर में इस्तेमाल की जा रही बुलेट प्रूफ जैकेट से यह बुलेट प्रूफ जैकेट कई मायनों में काफी आगे निकलती हुई दिखाई पड़ती है. जानिए- इस जैकेट की खूब‍ियां...

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इस बुलेट प्रूफ जैकेट में हैं कई खूबियां (Photo by:IIT Delhi) इस बुलेट प्रूफ जैकेट में हैं कई खूबियां (Photo by:IIT Delhi)

मनीष चौरसिया

  • नई द‍िल्ली ,
  • 11 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 11:04 AM IST

दिल्ली आईआईटी ने सेना के जवानों के लिए एक शानदार बुलेट प्रूफ जैकेट तैयार की है.  ये जैकेट उन सभी बुलेट प्रूफ जैकेट से बिल्कुल अलग है जो पूरी दुनिया में इस्तेमाल की जाती है.  दुनिया भर में इस्तेमाल की जा रही बुलेट प्रूफ जैकेट से यह बुलेट प्रूफ जैकेट कई मायनों में काफी आगे निकलती हुई दिखाई पड़ती है. 

ये बुलेट प्रूफ जैकेट एक बार में 6 स्नाइपर शॉट झेलने की क्षमता रखता है मतलब अगर कोई स्नाइपर गन से इस बुलेट प्रूफ जैकेट पर गोली चलए तो 6 बुलेट तक इस जैकेट को कोई नुकसान नहीं होगा और ना ही इसे पहनने वाले सैनिक को.  जबकि दुनिया की कोई भी सेना अभी जिन बुलेट प्रूफ जैकेट का इस्तेमाल करती हैं वह सिर्फ तीन स्नाइपर शॉट झेलने की क्षमता रखते हैं फिर चाहे वो यूएस  आर्मी की बुलेट प्रूफ जैकेट हो या फिर चाइना की. 

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इस बुलेट प्रूफ जैकेट को वजन के लिहाज से भी बेहद कारगर बनाया गया है. अभी दुनिया भर में जिन बुलेटप्रूफ जैकेट का इस्तेमाल किया जा रहा है इस जैकेट का वजन उनसे ढाई किलो कम है. इस जैकेट को दिल्ली आईआईटी के प्रोफेसर नरेश भटनागर ने बनाया है. प्रोफेसर नरेश बताते हैं कि इस प्रोजेक्ट पर वो पिछले 15 साल से काम कर रहे हैं.  पहले जब इसे बनाने की शुरुआत की गई थी तब इसे bs5 के मानकों के हिसाब से बनाया जा रहा था लेकिन जब यह बनकर तैयार हुई तो यह BS-6 के मानकों पर खरी उतरी. छह स्नाइपर बुलेट का टारगेट हमें आर्मी ने ही दिया था.  

हमसे कहा गया था कि इस तरह की जैकेट तैयार की जाए.  हालांकि टेस्टिंग के दौरान हमने पाया कि अगर हम इस बुलेट प्रूफ जैकेट पर स्नाइपर गन से 8 गोलियां भी चलाते हैं तो भी बुलेट प्रूफ जैकेट पूरी तरह से सुरक्षित रहती है. प्रोफेसर नरेश भटनागर का कहना है कि टेक्नोलॉजी पूरी तरह से बनकर तैयार है जल्द ही इसे बनाने के लिए एप्लीकेशन ओपन की जाएंगी.  उम्मीद की जा रही है कि आने वाले एक डेढ़ साल में ये जवानों तक पहुंच जाएगी. 

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