CBSE बोर्ड परीक्षा के टाइम टेबल पर विवाद... परीक्षा की तारीख और छुट्टियों को लेकर स्टूडेंट्स ने उठाए ये सवाल

सीबीएसई 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा की डेटशीट में बैक-टू-बैक पेपर्स को लेकर छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों ने चिंता व्यक्त की है. परीक्षाओं के बीच कम गैप के कारण छात्रों की तैयारी पर असर पड़ने की आशंका है.

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सीबीएसई ने हाल ही में 10वीं 12वीं बोर्ड परीक्षा का टेंटेटिव टाइमटेबल जारी किया था. (Photo: PTI) सीबीएसई ने हाल ही में 10वीं 12वीं बोर्ड परीक्षा का टेंटेटिव टाइमटेबल जारी किया था. (Photo: PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:50 PM IST

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं की डेटशीट जारी कर दी है. डेटशीट जारी होने के कुछ दिन अब इसकी काफी चर्चा हो रही है और कारण ये है कि इसमें दी गई छुट्टियों को लेकर लोग नाखुश है. डेटशीट जारी होने के बाद परीक्षा के पेपर के बीच कम या असमान गैप को लेकर आपत्तियां उठाई जा रही हैं और कहा जा रहा है कि इससे स्टूडेंट्स की तैयारी प्रभावित हो सकती है.

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कक्षा 10 के छात्रों की क्या है आपत्ति

कक्षा 10 के स्टूडेंट्स का कहना है, विज्ञान का पेपर 25 फरवरी को रखा गया है, जो कई भाषाओं—जैसे उर्दू, पंजाबी, बंगाली, तमिल, मराठी, गुजराती, मणिपुरी और तेलुगु-तेलंगा के एक दिन बाद है. इससे इन छात्रों को तैयारी के लिए कोई अवकाश नहीं मिलेगा. एक छात्र ने X पर लिखा है कि पंजाबी में परीक्षा देने वाले छात्रों को भी कोई अवकाश नहीं है. सभी पंजाब छात्रों को इसे लेकर दिक्कत होगी, कृपया डेटशीट पर पुनर्विचार करें.

कक्षा 12 के छात्रों की क्या है आपत्ति

कक्षा 12 के स्टूडेंट्स का कहना है फिजिक्स परीक्षा ठीक फिजिकल एजुकेशन के तुरंत बाद रखी गई है, जिससे विद्यार्थियों को भारी दबाव महसूस हो रहा है. एक स्टूडेंट ने लिखा, 'कई छात्र चिंतित हैं कि टेंटेटिव डेटशीट में फिजिकल एजुकेशन परीक्षा फिजिक्स के पेपर ठीक एक दिन पहले रखी गई है. इससे तैयारी के लिए बहुत कम समय मिलता है. हम आपसे अनुरोध करते हैं कि कृपया छात्रों के हित में शेड्यूल पर पुनर्विचार और समायोजन करें.'

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कुछ विषयों जैसे सोशल साइंस और इकोनॉमिक्स के पेपर भी भाषा पेपर के अगले ही दिन निर्धारित हैं, जिससे छात्रों को पर्याप्त समय नहीं मिल पा रहा है. कई छात्रों का मानना है कि ऐसे बैक-टू-बैक शेड्यूल से उनकी तैयारी पर असर पड़ेगा, खासकर जिन विषयों में सेलेबस ज्यादा है.

बता दें कि इस साल लगभग 45 लाख छात्र देश भर में 204 विषयों की परीक्षा देंगे, जिनमें भारत के अलावा 26 अन्य देशों के विद्यार्थी भी शामिल हैं. सबसे ज्यादा प्रभावित वे छात्र हैं, जिनके लगातार दो दिन कठिन या मुख्य विषयों की परीक्षा है.

शिक्षकों का सुझाव है कि छात्र अध्ययन की निरंतरता बनाए रखें और परीक्षा के बीच के गैप पर निर्भर न रहें. हालांकि, कई अभिभावक और छात्र लगातार शेड्यूल में बदलाव की मांग कर रहे हैं, जबकि कुछ को यह शेड्यूल मैनेज होने लायक लग रहा है.

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