वाह! तीन साल की बच्ची की इतनी अच्छी मेमोरी, बना रही रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड

सोचिए, तीन साल की बच्ची की याददाश्त क्या सच में इतनी तेज हो सकती है कि वो दुनिया की तमाम जानकारियां भीतर हूबहू संजो ले. वेस्ट बंगाल की अभ‍िलाषा को ऐसी कुदरती प्रतिभा मिली है जो उन्हें खास बनाती है. अपनी अच्छी याददाश्त के लिए वो कई रिकॉर्ड बना चुकी हैं.

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तीन साल की अभ‍िलाषा अपने रिकॉर्ड के साथ तीन साल की अभ‍िलाषा अपने रिकॉर्ड के साथ

aajtak.in

  • कोलकाता ,
  • 01 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 1:02 PM IST

बच्चे अक्सर अपनी बातों या हरकतों से बड़ों को भी अचरज में डाल देते हैं. लेकिन कुछ बच्चे अपनी प्रत‍िभा से पूरी दुनिया में छा जाते हैं. ये प्रत‍िभाएं उनकी उम्र तो छोड़‍िए, उनकी उम्र से आगे वालों के भी वश की नहीं होतीं. कुछ इसी तरह की प्रत‍िभा की धनी हैं पश्चिम बंगाल की 3 साल की बच्ची अभ‍िलाषा, जिन्होंने अपनी शानदार याददाश्त के लिए इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में जगह बनाई है. 

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नन्ही अभिलाषा अखुली का नाम उनके तेज दिमाग और याद रखने की क्षमता के लिए इंटरनेशनल और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया है. केवल 3 साल 8 महीने की उम्र में, अभिलाषा ने 26 नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (नाटो), फोनेट‍िक्स, अल्फा से ज़ुलु तक के अक्षरों को केवल 24 सेकंड में जवाब देकर पहला विश्व रिकॉर्ड बनाया. बाद में उन्होंने महज 5 मिनट 51 सेकेंड में इसी में दूसरा रिकॉर्ड हासिल कर लिया. 

अपने पेरेंटस के साथ अभ‍िलाषा

इसके अलावा, अभ‍िलाषा ने 62 पशु नस्लों के नाम भी याद करके सूचीबद्ध किए. उन्हें अंग्रेजी में उनके द्वारा की जाने वाली आवाजें और उनके आवासों के नाम याद थे. अभिलाषा की बेदाग प्रतिभा ने इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के लिए एक नया मानदंड स्थापित किया है. 

छोटी अभिलाषा की मां मौसमी अकुली ने इंडिया टुडे को बताया कि मैं चाहती हूं कि मेरी बेटी अपने लिए सबसे अच्छा करे. उसे अपनी शिक्षा जारी रखनी चाहिए और जीवन में हर सफलता हासिल करनी चाहिए. अभिलाषा के पिता विश्वरूप अखुली केंद्र सरकार के कर्मचारी हैं. विश्वरूप ने कहा कि उनकी बेटी बहुत जिज्ञासु है. उन्होंने एक घटना साझा करते हुए कहा कि एक बार वो बेटी को लेकर चिड़ियाघर गए थे. यहां वो बेहद उत्साहित थी. वो जानवरों के बारे में जानना चाहती थी. बाद में जब मैंने उसके लिए जानवरों के खिलौने खरीदे तो देखा कि वो खुद उन्हें पहचान सकती थी. 

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(रिपोर्ट- दीपानिता दास) 

 

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