मई का महीना आधे से ज्यादा बीत चुका और जून आने वाला है. उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक लोग गर्मी का सितम झेल रहे हैं. गर्म हवाएं चलने के बीच देश भर के विभिन्न राज्यों के तापमान में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. ऐसे में लोग अब मॉनसून से आस लगाए बैठे हैं और बारिश का इंतजार कर रहे हैं. मौसम विभाग के मुताबिक, इस बार मॉनसून कुछ देरी से दस्तक देगा. केरल में मॉनसून की शुरुआत 4 जून से हो सकती है. इसमें 4 दिन आगे या पीछे होने की संभावना बनी हुई है. ऐसे में आइए जानते हैं मौसम विभाग ये कैसे तय करता है कि मॉनसून आ गया है.
क्या है मॉनसून?
मॉनसून (Monsoon) एक मौसमी हवा होती है, जो बारिश का कारण बनती है. अरब सागर की ओर से भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर आने वाली हवाओं को मॉनसून कहते हैं. जो भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि में भारी बारिश कराती हैं. ये ऐसी मौसमी हवाएं होती हैं, जो दक्षिणी एशिया क्षेत्र में जून से सितंबर तक यानी चार महीने तक सक्रिय रहती हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो मॉनसून शब्द का प्रयोग मौसमी रूप से बदलते पैटर्न से होने वाली बारिश के चरण को समझने लिए किया जाता है. इस शब्द का इस्तेमाल पहली बार ब्रिटिश भारत और पड़ोसी देशों में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से बहने वाली बड़ी मौसमी हवाओं को समझने के लिए किया गया था. ये हवाएं क्षेत्र में भारी बारिश लाती हैं.
मॉनसून के दौरान क्या होता है?
मॉनसून मौसमी हवाओं की एक प्रणाली है, गर्मियों में हवाएं समुद्र से जमीन की ओर यात्रा करती हैं. ये हवाएं समुद्र के जल से उत्पन्न जल वाष्प को सोख लेती हैं और पृथ्वी पर आते ही ऊपर उठती हैं और बारिश करती हैं. बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में पहुंचने के बाद मॉनसूनी हवाएं दो शाखाओं में विभाजित हो जाती हैं. एक शाखा अरब सागर की तरफ से मुंबई, गुजरात, राजस्थान होते हुए आगे बढ़ती हैं तो दूसरी शाखा बंगाल की खाड़ी से पश्चिम बंगाल, बिहार, पूर्वोत्तर होते हुए हिमालय से टकराकर गंगीय क्षेत्रों की ओर मुड़ जाती हैं. इस तरह से जुलाई के पहले सप्ताह तक पूरे देश में झमाझम बारिश होने लगती है. मॉनसून मई के दूसरे सप्ताह में बंगाल की खाड़ी में अंडमान निकोबार द्वीप समूहों में दस्तक देता है और 1 जून को केरल में पहुंच जाता है.
भारत में कब से कब तक रहता है मॉनसून?
भारत में सामान्य मॉनसून आमतौर पर 1 जून को केरल में दस्तक देता है. इससे पहले या बाद में मॉनसून आने को मॉनसून का पूर्व आगमन या मॉनसून में देरी कहा जाता है. IMD के मुताबिक, इस बार मॉनसून में देरी बताई जा रही है क्योंकि मौसम के पूर्वानुमान के मुताबिक 4 जून को मॉनसून दस्तक दे सकता है.
कैसे तय होता है कि मॉनसून आ गया?
भारतीय मौसम विभाग द्वारा देश में मॉनसून आने की घोषणा तब की जाती है जब केरल, लक्षद्वीप और कर्नाटक में मॉनूसन की शुरुआत की घोषणा करने वाले 8 स्टेशनों में लगातार दो दिनों तक कम से कम 2.5 मिमी बारिश हो. इस स्थिति में आईएमडी मॉनसून आने की जानकारी देता है.
मॉनसून के दौरान कितनी बारिश सामान्य?
IMD के मुताबिक, अगर बारिश लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA) के 90-95% के बीच होती है तो इसे सामान्य से कम कहा जाता है और LPA 96%-104% हो तो इसे सामान्य बारिश कहा जाता है. वहीं, LPA अगर 104% से 110% के बीच है तो इसे सामान्य से ज्यादा बारिश कहते हैं. 110% से ज्यादा को एक्सेस बारिश और 90% से कम बारिश को सूखा पड़ना कहा जाता है. बता दें कि देश में सालभर जितनी बारिश होती है, उसका 70% पानी दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के दौरान बरसता है.
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