आत्महत्या के विचारों को रोकने में संजीवनी बूटी है ECT! जानिए- क्यों ये है मेडिकल साइंस का सबसे सुरक्षित इलाज

मस्तिष्क मानव शरीर का सबसे जटिल और रहस्यमयी अंग है. ब्रेन के इलाज में समय-समय पर प्रचलित ट्रीटमेंट्स में नये आधुनिक प्रयोग होते रहते हैं. इसी कड़ी में Electroconvulsive therapy (ECT) एक मॉडर्न चिकित्सा पद्धति है जो सीजोफ्रीन‍िया, बाइपोलर से लेकर सुसाइडल थॉट से जूझ रहे मरीजों के लिए सबसे कारगर है. आइए जानते हैं कि इस थेरेपी से कैसे इलेक्ट्र‍िक करेंट के जरिये मरीजों का इलाज क‍िया जाता है.

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प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो

मानसी मिश्रा

  • नई दिल्ली ,
  • 30 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 5:46 PM IST

एक बॉलीवुड फिल्म में 'केमिकल लोचा' शब्द का इस्तेमाल किया गया है. फिल्म में हीरो मानस‍िक रूप से परेशान होता है, तो डॉक्टर इसके पीछे दिमाग को बैलेंस रखने वाले रसायनों में बदलाव को जिम्मेदार बताते हैं. असली च‍िकित्सा में भी दिमाग और दिमाग को बैलेंस रखने वाले रसायनों का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है.

ईसीटी की पूरी चिकित्सा भी इसी बैलेंस को बरकरार रखने की सफल पद्धति मानी जाती है. IHBAS दिल्ली के वरिष्ठ मनोच‍िकित्सक डॉ ओमप्रकाश ने इस चिकित्सा पद्धति के बारे में व‍िस्तार से बताया कि कैसे तमाम भ्र‍ांतियों जैसे करेंट से इलाज कष्टकारी होता है, इससे मरीज की याददाश्त चली जाती है, के बावजूद मानस‍िक चिकित्सा के क्षेत्र में ये थेरेपी बहुत ज्यादा कारगर है. 

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ईसीटी कैसे मदद करती है
असल में ईसीटी दिमाग के रासायनिक संतुलन को बहाल करती है. इसमें हल्की विद्युत धारा का उपयोग करके मरीज के मस्तिष्क में नियंत्रित दौरा (seizure) उत्पन्न क‍िया जाता है. ये पूरी थेरेपी मस्तिष्क की रासायनिक गतिविधियों को रीसेट करती है. मस्तिष्क में पाए जाने वाले सेरोटोनिन, डोपामाइन और नॉरएपिनेफ्रिन जैसे रसायनों को संतुलित करती है. ये वो रसायन हैं जो व्यक्त‍ि के मूड और विचारों को नियंत्रित करते हैं. 

तेजी से आता है सुधार
सामान्य च‍िक‍ित्सा पद्धति में मरीज को दवाओं से ट्रीट किया जाता है. ये दवाएं प्रभाव दिखाने में हफ्तों का समय ले सकती हैं, लेकिन ईसीटी कई बार सिर्फ कुछ Sessions में ही सुधार दिखाने लगती है. 

तेज असर के पीछे ये है वजह 
ईसीटी की प्रक्र‍िया असल में न्यूरोप्लास्टिसिटी को बढ़ावा देती है. यह प्रक्रिया मस्तिष्क की न्यूरोप्लास्टिसिटी को बढ़ाती है, यानी मस्तिष्क नए तंत्रिका कनेक्शन बनाने में सक्षम होता है जिससे मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है. 

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ईसीटी की प्रक्रिया:
इसमें सबसे पहले मरीज को General anesthesia सामान्य एनेस्थीसिया और Muscle relaxant मांसपेशी शिथिलक दिया जाता है, ताकि वह बेहोश रहे और किसी प्रकार का दर्द महसूस न करे. इसके बाद हल्की विद्युत धारा सिर पर लगाए गए इलेक्ट्रोड के माध्यम से प्रवाहित की जाती है. यह प्रक्रिया मस्तिष्क में कुछ सेकंड का नियंत्रित दौरा उत्पन्न करती है. पूरी प्रक्रिया 10 मिनट से भी कम समय में पूरी हो जाती है, और मरीज जल्दी से सामान्य स्थिति में लौट आता है. इस तरह देखा जाए तो ईसीटी न केवल एक सुरक्षित और प्रभावी प्रक्रिया है, बल्कि यह मस्तिष्क के रासायनिक संतुलन को बहाल करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. 

किन स्थितियों में किया जाता है ईसीटी का इस्तेमाल
ईसीटी का उपयोग उन मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों में किया जाता है जहां लक्षण गंभीर होते हैं और अन्य उपचार जैसे दवाइयां या मनोचिकित्सा से सुधार नहीं हो पाता. 

गंभीर अवसाद (Severe Depression) विशेषकर आत्महत्या के खतरे के साथ (Depression with Suicidality)
जब मरीज आत्महत्या के विचार कर रहा हो या उसका जीवन खतरे में हो. 
जब मरीज की स्थिति इतनी खराब हो कि वह दैनिक कार्य, जैसे खाना-पीना या बातचीत करना, भी न कर पाए. 
जब दवाइयों और थेरेपी से सुधार नहीं हो रहा हो. 

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ईसीटी क्यों मददगार है? 
तेजी से सुधार: ईसीटी गंभीर अवसाद में सबसे तेज़ और प्रभावी उपचार है. 
आत्महत्या की रोकथाम: 
दवाओं को असर करने में हफ्तों लग सकते हैं, लेकिन ईसीटी कुछ दिनों में ही आत्महत्या के विचारों को नियंत्रित कर सकती है. 
यह मरीज को तुरंत मानसिक स्थिरता प्रदान करती है. 
जीवन-रक्षक: ऐसी स्थितियों में, जहां हर मिनट कीमती होता है, ईसीटी का उपयोग मरीज की जान बचाने में बेहद कारगर साबित होता है. 

कैटाटोनिया (Catatonia)
यह एक गंभीर स्थिति है जिसमें मरीज पूरी तरह निष्क्रिय हो जाता है. 
वह बोलने, खाने, पीने, या हिलने-डुलने में असमर्थ हो सकता है. 
यह स्थिति जानलेवा हो सकती है अगर तुरंत उपचार न मिले. 

ईसीटी क्यों मददगार है? 
ईसीटी कैटाटोनिया के लक्षणों को बहुत तेजी से नियंत्रित करती है. 
यह स्थिति को उलटकर मरीज को सक्रिय और स्वस्थ बनाती है. 

3.बाइपोलर डिसऑर्डर
जब मरीज मैनिक एपिसोड (अत्यधिक उत्तेजना, आक्रामकता) में होता है. 
या जब मरीज गंभीर अवसाद की स्थिति में होता है. 

ईसीटी क्यों मददगार है?
मैनिक एपिसोड में मरीज के उत्तेजित व्यवहार को नियंत्रित करती है. 
अवसाद की स्थिति में तेजी से सुधार लाती है, जिससे मरीज सामान्य जीवन में लौट सके. 

4. सिज़ोफ्रेनिया (Schizophrenia)
जब मरीज में कैटाटोनिक लक्षण हों. 
जब मरीज आक्रामक या उग्र व्यवहार कर रहा हो. 
जब दवाओं का असर न हो रहा हो. 

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ईसीटी क्यों मददगार है? 
ईसीटी ऐसे मामलों में लक्षणों को नियंत्रित करती है. 
यह मरीज को मानसिक स्थिरता लाने में मदद करती है. 

ECT को लेकर म‍िथक पर जानिए डॉ ओमप्रकाश के जवाब 

पहला मिथक- ईसीटी दर्दनाक और असुरक्षित है. क्या यह सच है?

फैक्ट- यह एक बड़ी गलतफहमी है. ईसीटी General anesthesia  और muscle relaxants के तहत दी जाती है. मरीज पूरी प्रक्रिया के दौरान बेहोश रहता है और कोई दर्द महसूस नहीं करता. यह पूरी तरह से सुरक्षित और वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित प्रक्रिया है. अब यह कहा जा सकता है कि ईसीटी सुरक्षित है और आधुनिक तकनीकों के साथ दर्दरहित हो गई है. 

दूसरा मिथक: ईसीटी से मेमोरी लॉस हो जाता है और मरीज की याददाश्त हमेशा के लिए चली जाती है?

फैक्ट: नहीं, यह भी गलत है. हां, ईसीटी से कुछ मरीजों को short term memory loss हो सकता है, जो आमतौर पर कुछ घंटों या दिनों में ठीक हो जाती है. वहीं नई तकनीकों, जैसे एकतरफा ईसीटी (Unilateral ECT) और ultrabrief अल्ट्राब्रीफ पल्स का उपयोग, इस जोखिम को और भी कम कर देता है. स्थायी स्मृति हानि के मामले बहुत दुर्लभ हैं. 

तीसरा मिथक: ईसीटी का उपयोग केवल अंतिम विकल्प के रूप में किया जाता है. ईसीटी सिर्फ तब दी जाती है जब अन्य सभी उपचार विफल हो जाते है?

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फैक्ट: यह धारणा पूरी तरह सही नहीं है. ईसीटी का उपयोग आपातकालीन स्थितियों में प्राथमिक उपचार के रूप में किया जा सकता है, जैसे: गंभीर अवसाद, जहां आत्महत्या का जोखिम हो. कैटाटोनिया, जिसमें मरीज पूरी तरह निष्क्रिय हो जाता है. गंभीर (Mania) के मामले. ईसीटी ऐसे मामलों में first-line पहली पंक्ति का उपचार हो सकता है क्योंकि यह तेजी से प्रभाव डालता है.  इसका मतलब है कि ईसीटी सिर्फ आखिरी विकल्प नहीं, बल्कि जीवन रक्षक स्थितियों में प्राथमिक उपाय हो सकता है. 

चौथा मिथक: ईसीटी पुरानी और अप्रचलित पद्धति है. 
फैक्ट: यह भी एक गलत धारणा है. आधुनिक ईसीटी तकनीकों ने इसे पूरी तरह से सुरक्षित और प्रभावी बना दिया है. एनेस्थीसिया और मॉनिटरिंग के साथ प्रक्रिया अत्यधिक सटीक और नियंत्रित है. इसके अलावा नई तकनीक, जैसे अल्ट्राब्रीफ पल्स, ने इसे और बेहतर बना दिया है. यह एक वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित और नियमित चिकित्सा प्रक्रिया है.

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