सी.पी. राधाकृष्णन ने आज यानी शुक्रवार को भारत के उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली है. उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 वोटों से हराने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उन्हें सुबह 10 बजे राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में शपथ दिलवाई है. इस बीच आइए आपको बताते हैं कि उपराष्ट्रपति का काम क्या होता है और उन्हें कितनी सलैरी, कौन-सी सुविधाएं मिलती हैं.
कितनी होती है उपराष्ट्रपति की सैलरी
'उपराष्ट्रपति' पद के लिए वेतन का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति (Ex-officio Chairman of Rajya Sabha) भी होते हैं. इस पद की वजह से उन्हें 4 लाख रुपये प्रतिमाह वेतन मिलता है.
उपराष्ट्रपति को क्या सुविधाएं मिलती हैं
भारत के उपराष्ट्रपति को शानदार बंगला, सरकारी बुलेटप्रूफ गाड़ी, Z+ सिक्योरिटी, देश-विदेश की फ्री यात्रा और दैनिक भत्तों के साथ ही सभी चिकित्सा सुविधाएं मिलती हैं. पद छोड़ने के बाद भी उनके पास कई सुविधाएं होती हैं, जैसे पूर्व उपराष्ट्रपति को सरकार की ओर से जीवनभर के लिए बंगला, सुरक्षा और मेडिकल सेवाएं मिलती हैं. इसके अलावा हर महीने पेंशन भी मिलती है. यह पेंशन उन्हें राज्यसभा के पूर्व सभापति के तौर पर दी जाती है, जो सैलरी की आधी रहती है, यानी 2 लाख रुपये प्रतिमाह.
इसके अलावा उन्हें टाइप-8 बंगला, पर्सनल सेक्रेटरी और अन्य स्टाफ भी सरकार की ओर से मुहैया कराया जाता है. वहीं अगर पूर्व राष्ट्रपति का निधन हो जाता है, तो फिर उनकी पत्नी को भी टाइप-7 बंगला समेत अन्य कई सुविधाएं जीवनभर मिलती रहती हैं.
उपराष्ट्रपति का क्या काम होता है?
भारत के उपराष्ट्रपति के पास कई जिम्मेदारियां होती हैं. पहला, वे राज्यसभा के पदेन सभापति (Ex-officio Chairman) होते हैं, जहां वे संसदीय कार्यवाही की अध्यक्षता करते हैं और व्यवस्था बनाए रखते हैं. इसके अलावा मृत्यु, त्यागपत्र या बीमारी के कारण राष्ट्रपति का पद खाली होने पर वे राष्ट्रपति के रूप में काम करते हैं. राष्ट्रपति के कार्यों का निर्वहन करते हुए, उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति के कर्तव्यों का निर्वहन नहीं करते हैं.
राज्यसभा के सभापति
राज्यसभा के पदेन सभापति के रूप में, उपराष्ट्रपति संसद के ऊपरी सदन में सुचारू रूप से कार्यवाही सुनिश्चित करते हैं. वे सदन में संसदीय शिष्टाचार और व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होते हैं. यदि सदन में हंगामा या अव्यवस्था होती है, तो सभापति की जिम्मेदारी होती है कि वे स्थिति को नियंत्रित करें.
इसके अलावा, राज्यसभा के सभापति सदन के सदस्य नहीं होते, इसलिए वे सामान्य मतदान में भाग नहीं लेते. लेकिन यदि किसी मुद्दे पर मत बराबर-बराबर पड़ जाएं, तो वे निर्णायक मत देकर स्थिति को स्पष्ट कर सकते हैं.
राष्ट्रपति के रूप में कार्य करना
राष्ट्रपति के कर्तव्यों का अस्थायी रूप से कार्यभार संभालना भी उपराष्ट्रपति की जिम्मेदारी होती है. उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति के कार्यों का निर्वहन तब करते हैं जब मृत्यु, त्यागपत्र, पद से हटाए जाने या बीमारी के कारण पद रिक्त हो जाता है. यह पद अस्थायी है और पद रिक्त होने के छह महीने के भीतर नए राष्ट्रपति का चुनाव होना आवश्यक है. राष्ट्रपति के रूप में काम करने की अवधि के दौरान, उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं करते हैं. इस दौरान, राज्यसभा के उपसभापति सदन की अध्यक्षता का कार्यभार संभालते हैं.
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