नेपाल में जेन-जी विद्रोह के बाद राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया है. अब नेपाल की सेना ने स्थिति को काबू में करने के लिए मोर्चा संभाल लिया है. सेना के फ्रंट में आने के बाद सेना प्रमुख अशोक राज सिग्देल के हाथ में देश की कमान है. ऐसे में जानते हैं अशोक राज के बारे में और बताते हैं कि उनका भारत से क्या कनेक्शन रहा है.
भारत से ज्यादा नज़दीकी का कारण
जनरल सिग्देल का जन्म 1 फरवरी 1967 को नेपाल में हुआ था. वे एक अनुभवी और पेशेवर सैन्य अधिकारी हैं. 9 सितंबर 2024 को उन्होंने नेपाली सेना के प्रमुख का पद संभाला. उनकी पढ़ाई और ट्रेनिंग नेपाल, भारत और चीन तीनों जगह हुई है.
इसी वजह से उन्हें दोनों देशों (भारत और चीन) की सैन्य रणनीति और सिस्टम की अच्छी जानकारी है. उन्होंने भारत और चीन दोनों से सैन्य शिक्षा ली है, लेकिन भारत और नेपाल के बीच खास रिश्ता है. भारत ने उन्हें भारतीय सेना का मानद जनरल (Honorary General) भी बनाया है. इसलिए कहा जा सकता है कि वह भारत से थोड़े ज्यादा करीब माने जाते हैं.
सैन्य करियर और शिक्षा
जनरल सिग्देल ने नेपाल के त्रिभुवन विश्वविद्यालय से एमए की डिग्री ली है. इसके अलावा, उन्होंने चीन की नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी से रणनीति में मास्टर डिग्री भी हासिल की है. भारत में भी उनका गहरा संबंध रहा है. उन्होंने यहां डिफेंस मैनेजमेंट कोर्स पूरा किया, जिसमें सेना के संचालन, रणनीति और प्रबंधन से जुड़ी खास ट्रेनिंग दी जाती है.
इस कोर्स से नेपाल और भारत की सेनाओं के बीच सहयोग और समझ और मजबूत हुई. जनरल सिग्देल ने 1987 से नेपाली सेना में सेवा शुरू की और अब तक कई बड़े पदों पर काम किया है. उन्होंने बटालियन, ब्रिगेड और डिवीजन जैसे अहम कमांड भी संभाले हैं.
भारत में सैन्य शिक्षा और प्रशिक्षण
भारत में पढ़ाई- कमांड एंड स्टाफ कॉलेज, शिवपुरी (मध्य प्रदेश): यहां से उन्होंने कमांड और स्टाफ ट्रेनिंग की. डिफेंस मैनेजमेंट कोर्स, इंडिया: इस कोर्स ने उन्हें रक्षा प्रबंधन (डिफेंस मैनेजमेंट) में और मजबूत बनाया.
नेपाल में पढ़ाई
आर्मी वार कॉलेज, नेपाल: यहाँ से उन्होंने उच्च कमांड और प्रबंधन का कोर्स पूरा किया.
चीन में पढ़ाई
चीन की नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी से रणनीतिक अध्ययन (स्ट्रैटेजिक स्टडीज) में मास्टर डिग्री ली.
इस तरह जनरल सिग्देल की पढ़ाई नेपाल–भारत–चीन तीनों देशों से हुई, जिससे उनका अनुभव और सोच बहुत व्यापक हो गई.
भारत-नेपाल सैन्य संबंध
भारत और नेपाल की सेनाओं के बीच मानद जनरल की उपाधि देने की परंपरा 1950 से चली आ रही है. यह परंपरा दोनों देशों की गहरी दोस्ती और सैन्य संबंधों को दिखाती है. जनरल अशोक राज सिग्देल जब भारत आए और उन्हें मानद जनरल की उपाधि दी गई, तो इस परंपरा को और मज़बूती मिली. इसका मतलब यह है कि सिग्देल का भारत से जुड़ाव सिर्फ उनका निजी अनुभव नहीं है, बल्कि यह भारत और नेपाल की सेनाओं के बीच आपसी सम्मान और सहयोग का प्रतीक भी है.
भारत यात्रा और सम्मान
12 दिसंबर 2024 में, जनरल सिग्देल ने भारत का आधिकारिक दौरा किया, जहां उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा भारतीय सेना के मानद जनरल की उपाधि से सम्मानित किया गया. यह परंपरा दोनों देशों की सेनाओं के बीच मजबूत मित्रता और आपसी सम्मान का प्रतीक है. यह सम्मान नेपाल और भारत की सेनाओं के बीच ऐतिहासिक और प्रतीकात्मक संबंधों को मजबूत करता है.
अगस्त 2025 में, भारत के विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने सिग्देल को रक्षा और चिकित्सा उपकरणों का उपहार प्रदान किया, जो दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग की गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है. इस दौरान, उन्होंने देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी में पासिंग आउट परेड में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया और भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी से मुलाकात की. यह सम्मान नेपाल और भारत के बीच सैन्य संबंधों की गहरी मित्रता और सहयोग का प्रतीक है. यह परंपरा 70 वर्षों से चली आ रही है, जिसमें नेपाल के सेना प्रमुख को भारतीय सेना के मानद जनरल की उपाधि दी जाती है.
सैन्य सहयोग और रणनीतिक वार्ता
जनरल अशोक राज सिग्देल की भारत यात्रा ने भारत और नेपाल की सेनाओं की दोस्ती और सहयोग को और मजबूत किया. इस दौरान उन्होंने भारतीय सैन्य अधिकारियों से बातचीत की, जिसमें संयुक्त सैन्य अभ्यास, हथियारों का आदान-प्रदान और सांस्कृतिक सहयोग जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई. उनकी यह यात्रा सिर्फ एक औपचारिक मुलाक़ात नहीं थी, बल्कि इसने दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास, साझेदारी और रणनीतिक सहयोग को गहरा किया. कुल मिलाकर, यह दौरा भारत–नेपाल के रक्षा संबंधों को और मजबूत बनाने की दिशा में एक अहम कदम साबित हुआ.
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