National Education Day: देशभक्त मौलाना आज़ाद के बारे में ये 10 फैक्‍ट्स जानते हैं आप?

National Education Day 2022: आज ही के दिन, 11 नवंबर 1888 को मक्का, सऊदी अरब में जन्मे, अबुल कलाम 'आजाद', जिन्हें आमतौर पर मौलाना आज़ाद के नाम से याद किया जाता है, भारत के सबसे प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे. उन्होंने न केवल ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी बल्कि पाकिस्तान के निर्माण का भी विरोध किया.

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Maulana Abul Kalam Azad Maulana Abul Kalam Azad

aajtak.in

  • नई दिल्‍ली,
  • 11 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:02 AM IST

National Education Day 2022: स्वतंत्रता सेनानी और स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती पर पूरे देश में 'राष्‍ट्रीय शिक्षा दिवस' या  'नेशनल एजुकेशन डे' मनाया जाता है. आज ही के दिन, 11 नवंबर 1888 को मक्का, सऊदी अरब में जन्मे, अबुल कलाम 'आजाद', जिन्हें आमतौर पर मौलाना आज़ाद के नाम से याद किया जाता है, भारत के सबसे प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे. उन्होंने न केवल ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी बल्कि पाकिस्तान के निर्माण का भी विरोध किया. आइये जानते हैं उनके बारे में 10 बड़े फैक्‍ट्स-

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- मौलाना आजाद का असली नाम 'अबुल कलाम गुलाम मुहियुद्दीन' था जो बाद में मौलाना आजाद के नाम से जाना जाने लगा.
- उन्होंने 'आजाद' को अपने उपनाम के तौर पर अपनाया.
- उन्‍होंने बहुत कम उम्र में ही उर्दू भाषा में शायरी लिखना शुरू कर दिया था. उन्होंने धर्म और दर्शन पर ग्रंथ भी लिखे. 
- उन्होंने एक पत्रकार के रूप में अपने काम के माध्यम से लोकप्रियता हासिल की. उन्‍होंने ब्रिटिश राज की आलोचनात्मक रचनाएं प्रकाशित कीं और भारतीय राष्ट्रवाद का समर्थन किया.
- आजाद 1923 में 35 वर्ष की आयु में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में सेवा करने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति बने.
- आजाद 'खिलाफत आंदोलन' (1919-26) के नेता बने, जिसके दौरान वे महात्मा गांधी के निकट संपर्क में आए.
- इस अवधि के दौरान, वह गांधी के अहिंसक सविनय अवज्ञा के विचारों के समर्थक बन गए और 1919 रॉलेट एक्ट के विरोध में असहयोग आंदोलन को संगठित करने के लिए काम किया.
- आजाद पाकिस्तान के निर्माण का विरोध करने वाले सबसे प्रमुख मुस्लिम नेता भी थे. 
- वे स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने.
- उनकी जयंती को भारत में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है.
- उन्‍हें 1992 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया.

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