जस्टिस सूर्यकांत को भारत के राष्ट्रपति ने मुख्य न्यायाधीश (CJI)नियुक्त किया है. आज वो देश के 53वें CJI के तौर पर शपथ लेंगे. वह पूर्व सीजेआई बीआर गवई का स्थान लेंगे. इनका कार्यकाल 14 महीने का होगा. क्योंकि जस्टिस सूर्यकांत फरवरी 2027 में सेवानिवृत हो जाएंगे. जज के तौर पर पहले भी कई बड़े देशव्यापी मसलों की सुनवाई में शामिल रहे हैं और आगे भी उनके सामने राष्ट्रहित से जुड़े मामले चुनौती के रूप में आने वाले हैं.
जस्टिस सूर्यकांत सिर्फ 38 साल की उम्र में हरियाणा के एडवोकेट जनरल बने थे. वो हरियाणा के रहने वाले हैं. उनका जन्म 10 फरवरी 1962 को हिसार में हुआ था. यही वजह है कि वह सिर्फ 14 महीने इस पद पर रहेंगे. इन 14 महीनों में उनके सामने कई ऐसे मामले आने वाले हैं, जो उनके लिए बड़ी चुनौती होगी.
SIR और वक्फ एक्ट का मामला होगी बड़ी चुनौती
अभी देशभर में SIR चल रहा है. कई जगहों पर इसका विरोध भी शुरू हो गया है. इसको लेकर भी मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. ऐसे में सीजेआई के तौर पर जस्टिस सूर्यकांत के सामने यह एक बड़ा मामला होगा. इसी तरह वक्फ एक्ट का मामला भी एक बड़ी चुनौती होगी.
तलाक-ए- हसन का मामला भी है अहम
इसके अलावा दिल्ली-NCR में प्रदूषण से जुड़ा मामला भी सुप्रीम कोर्ट में अटका हुआ है. इसको लेकर भी सभी की जस्टिस सूर्यकांत के फैसले पर होगी. इसके अलावा तलाक-ए-हसन पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई भी अहम मामाला है. इस प्रथा के मुताबिक तीन महीने के अंदर पति एक-एक बार तलाक कहकर शादी को खत्म कर सकता है. इसी प्रथा की वैधता को चुनौती दी गई है.
बिहार SIR, आर्टिकल 370 और AMU मामले में दिए अहम फैसले
देश के लिए अहम मुद्दा बनने वाले कई मामलों की सुनवाई में जस्टिस सूर्यकांत ने अहम भूमिका निभाई है. उन्होंने 300 से अधिक अहम फैसले दिए हैं. इनमें से कई संविधान, प्रशासन और सामाजिक न्याय से जुड़े मुद्दे रहे हैं. जम्मू और कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के फैसले को जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने ही बरकरार रखा था.
बिहार एसआईआर मामले में भी जस्टिस सूर्यकांत ने वोटर लिस्ट से हटाए गए नामों की जानकारी सार्वजनिक करने का निर्देश दिया था. इसके अलावा धारा 144, जनजातीय अल्पसंख्यक अधिनियम और उस शराब नीति मामले की सुनवाई में अहम भूमिका निभाई थी, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत दी गई थी.
पेगासस मामले में निभाई थी अहम भूमिका
जस्टिस सूर्यकांत पेगासस जासूसी मामले की सुनवाई वाले बेंच में भी शामिल थे. उस वक्त जासूसी मामले की जांच के लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाई गई थी. इसमें उन्होंने कहा था कि नेशनल सिक्योरिटी के नाम पर सरकार को असीमित अधिकार नहीं दिए जा सकते.
यहां से हुई शुरुआत
जस्टिस सूर्यकांत 2018 में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने थे. उन्होंने कानून की पढ़ाई महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक से की है. बाद में उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से 2011 में एलएलएम (LLM) किया. उन्होंने 1984 से ही वकालत शुरू कर दी थी. शुरुआत उन्होंने हिसार जिला अदालत से की. फिर वो चंडीगढ़ जाकर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे.
2019 में बने थे सुप्री्म कोर्ट के जज
2000 में हरियाणा के एडवोकेट जनरल बन गए थे. मार्च 2001 में बार काउंसिल ने उन्हें उनकी कानूनी विशेषज्ञता के कारण सीनियर एडवोकेट घोषित कर दिया. जनवरी 2004 में वे पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जज बने. मई 2019 में जस्टिस सूर्यकांत को हिमाचल प्रदेश के हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में पदोन्नत किया गया.
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