पहला वाकया नहीं है जब संसद में मिले कैश, इससे पहले भी सामने आई हैं कई असहज स्थितियां

संसद में नोटों की गड्डी मिलना वैसे तो काफी गंभीर मामला है, लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ. इससे पहले भी सदन में सत्र की कार्यवाही के दौरान ऐसे कई वाकये हुए हैं, जिससे संसद की गरिमा तार-तार हुई है. इसके साथ ही सुरक्षा पर भी सवाल खड़े हुए हैं. जानते हैं कब-कब सदन के अंदर क्या-क्या घटनाएं हुई है.

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जब संसद में लहराए गए नोट जब संसद में लहराए गए नोट

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 06 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 1:25 PM IST

राज्यसभा में 5 दिसंबर 2024 को  कांग्रेस सांसद की बेंच से नोटों के बंडल मिलने का मामला सामने आया है. राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने इसे गंभीर मामला बताया है. साथ ही इसकी जांच कराने की बात कही है. 

गुरुवार को सदन के सीट नंबर 222 से कैश मिला था. यह सीट तेलंगाना से सांसद अभिषेक मनु सिंघवी की है. सभापति ने शुक्रवार को सत्र शुरू होने के साथ ही इस बात की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि सुरक्षा अधिकारियों ने उन्हें इस बात की सूचना दी. इसके बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया. 

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पहले भी ऐसी कई घटनाओं का गवाह बना है संसद
राज्यसभा हो या लोकसभा, सदन में सत्र की कार्यवाही के दौरान असहज कर देने वाली घटनाओं का पुराना इतिहास रहा है. चाहे वो पैसे के लेन-देन को लेकर आरोप लगाने का मामला हो, या फिर नोटों की गड्डियां लहराने, या फिर सुरक्षा में चूक से जुड़ी घटनाएं हो. ऐसे कई किस्से हैं जब सदन की  गरिमा को तार-तार किया गया. 

कब-कब असहज हुआ सदन 
पैसा लेकर सवाल पूछने का मामला हो या फिर विश्वास मत के लिए कैश ऑफर करने का आरोप, या फिर सदन के अंदर अराजकता फैलाने के लिए स्मोक बम छोड़ना या पेपर स्प्रे का इस्तेमाल. संसद सत्र के दौरान हंगामें से जुड़ी ऐसी कई घटनाएं हैं, जिससे सदन के अंदर स्थितियां असहज हो गईं.

जब संसद में लहराई गई थी नोट की गड्डियां
22 जुलाई, 2008 को मनमोहन सरकार के विश्वासमत हासिल किए जाने के दौरान लोकसभा में एक करोड़ रुपए के नोटों की गड्डियां लहरा कर सनसनी फैला दी गई थी. नोट लहराने वालों में भाजपा के तीन सांसदों अशोक अर्गल, महावीर भागौरा और फग्गन सिंह कुलस्ते शामिल थे. तीनों सांसदों ने आरोप लगाया था कि समाजवादी पार्टी के तत्कालीन महासचिव अमर सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल ने विश्वास मत में हिस्सा नहीं लेने के बदले रुपए देने की पेशकश की थी. जबकि इन दोनों ने इन आरोपों से इनकार किया था.

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जब महुआ मोइत्रा पर पैसे लेकर सवाल पूछने के लगे आरोप
15 अक्टूबर 2023  तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा स्पीकर को पत्र लिखकर शिकायत की थी. उनका आरोप था कि मुंबई के एक बिजनेसमैन के कहने पर महुआ मोइत्रा ने लोकसभा में सवाल पूछे. इसके लिए उन्हें कैश और गिफ्ट दिए गए. इस बाबत उन्होंने सबूत भी पेश किए.

निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को जो पत्र लिखा था, उसमें कहा गया था कि  उन्हें सुप्रीम कोर्ट के एक वकील से एक पत्र मिला है, जिसमें मोइत्रा और व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी के बीच कथित तौर पर रिश्वत के आदान-प्रदान के "अकाट्य" सबूत साझा किए गए हैं. पहली बार भाजपा सांसद ने स्पीकर से आरोपों की जांच के लिए एक जांच पैनल बनाने का आग्रह किया है.

इसके बाद काफी हंगाम हुआ. मामले की जांच के लिए कमेटी बनाई गई. महुआ मोइत्रा पर एफआईआर हुआ. फिर सीबीआई जांच हुई. मामला कोर्ट तक पहुंचा और आखिर में 8 दिसंबर को सांसदी चली गई.

2005 का 'कैश फॉर क्वेरी कांड' 
महुआ मोइत्रा की तरह का ही एक मामला 12 दिसंबर 2005 को सामने आया था. जब एक निजी चैनल ने स्टिंग ऑपरेशन किया था. इसमें खुफिया कैमरों में कुछ सांसद संसद में सवाल पूछने के बदले पैसे लेते हुए कैद हुए थे. देश के संसदीय इतिहास में ये पहली घटना थी. हैरान करने वाली बात ये थी कि इसमें 11 सांसद किसी एक पार्टी के नहीं थे. इनमें से छह बीजेपी से, तीन बसपा से और एक-एक राजद और कांग्रेस से थे. 

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चार पार्टियों के सांसद थे शामिल
बीजेपी से सांसद सुरेश चंदेल, अन्ना साहेब पाटिल, चंद्र प्रताप सिंह, छत्रपाल सिंह लोध, वाई जी महाजन और  प्रदीप गांधी. बीएसपी से नरेंद्र कुमार कुशवाहा और राजा राम पाल और लालचंद्र. आरजेडी से मनोज कुमार और कांग्रेस से राम सेवक सिंह शामिल थे.

11 सांसदों की गई थी सदस्यता
स्टिंग ऑपरेशन के दौरान कुछ पत्रकारों ने एक काल्पनिक संस्था के प्रतिनिधि बनकर सांसदों से मुलाकात की. पत्रकारों ने सांसदों को उनकी संस्था की ओर से सवाल पूछने की बात कही और रिश्वत लेते हुए सांसदों का वीडियो बना लिया. इस पूरे मामले के सामने आने के 12 दिन बाद 24 दिसंबर 2005 को इन सांसदों की सदस्यता रद्द करने को लेकर संसद में वोटिंग कराई गई.

बाकी सभी पार्टियां आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के पक्ष में थीं, सिर्फ बीजेपी ने वॉक-आउट कर दिया. तब विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा था कि सांसदों ने जो किया, वो बेशक भ्रष्टाचार का मामला है, लेकिन निष्कासन की सजा ज्यादा है. 

जब सदन के अंदर सांसद ने किया पेपर स्प्रे का इस्तेमाल
एक घटना 13 फरवरी 2014 को भी हुई थी. जब  संसद में तत्कालीन गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे नए राज्य तेलंगाना के निर्माण का बिल सदन में रख रहे थे. इस दौरान कुछ कांग्रेस सांसद हंगामा कर रहे थे. तब कांग्रेस सांसद एल राजगोपाल ने पेपर स्प्रे का इस्तेमाल कर दिया. इसके बाद कई सांसदों को एम्बुलेंस से अस्पताल ले जाना पड़ा था. 

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यह भी पढ़ें: 'ये सदन की गरिमा पर चोट है...', राज्यसभा में कांग्रेस सासंद की बेंच से मिले कैश पर बोले JP नड्डा

लोकसभा में पेपर स्प्रे का इस्तेमाल करने के बाद अफरा-तफरी मच गई. सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के सांसद एल राजगोपाल दक्षिण भारत में नया राज्य तेलंगाना बनाने की योजना का विरोध कर रहे थे.राजगोपाल को कई अन्य सांसदों के साथ निलंबित कर दिया गया था. राजगोपाल ने तब एक गिलास भी तोड़ दिया था और अपने सहयोगियों पर पेपर स्प्रे का इस्तेमाल किया था.

संसद के अंदर स्मोक बम से हमला
संसद पर हमले की बरसी के दिन 13 दिसंबर 2023 को सदन के अंदर एक और अप्रिय घटना घटी थी. जब दो युवक सांसदों के बीच पहुंच गए हंगामा करने की कोशिश की. उनके हाथों में स्मोक बम था, जिससे धुआं निकल रहा था. इससे सदन के अंदर अफरा-तफरी मच गई. उसी समय लोकसभा के बाहर भी एक महिला और एक पुलिस हाथ में स्मोक बम छोड़ने लगे. सुरक्षा अधिकारियों ने चारों को पकड़ लिया.

यह भी पढ़ें: राज्यसभा में कांग्रेस की बेंच से मिली नोटों की गड्डी, सभापति बोले- ये गंभीर मामला, जांच हो रही

बाद में मामले की जांच के दौरान इनके दो और साथियों को गिरफ्तार किया गया. छह आरोपियों के नाम मनोरंजन डी, सागर शर्मा, अमोल धनराज शिंदे, नीलम रानोलिया, ललित झा और महेश कुमावत हैं. अभी सब के सब जेल में बंद हैं. इनका मकसद देश में अराजकता फैलान था, ताकि सरकार को कमजोर दिखाया जा सके और उनकी बात सुनी जाए.

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