ईरान इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) के चीफ कमांडर हुसैन सलामी सहित कई सीनियर अफसरों को इजरायल की सेना ने मार गिराया है. शुक्रवार को हवाई हमले में मोहम्मद बघेरी, खतम अल-अनबिया के कमांडर गुलाम अली रशीद और आईआरजीसी एयरोस्पेस फोर्स के कमांडर आमिर अली हाजीजादेह की भी मौत हो गई. इसके साथ ही मंगलवार को हुए हालिया हवाई हमले में गुलाम अली रशीद की जगह लेने वाली अली शादमानी को भी उड़ा दिया गया.
IRGC ईरान की सेना से अलग एक विशिष्ट सैन्य बल है. 1979 की इस्लामी क्रांति के तुरंत बाद वहां के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला रूहोल्लाह खामौनी ने इसका गठन किया था. इस सैन्य संस्था के ऊपर ईरान के इस्लामिक शासन के संरक्षण की जिम्मेदारी है, जो उसे आंतरिक और बाहरी खतरों से बचाता है.इस्लामिक क्रांति के समय आईआरजीसी की भूमिका उस समय के शिया मौलवी शासन की रक्षा करना था. इसने ईरान की पारंपरिक सेना के साथ मिलकर काम किया. इसने उस वक्त कई ऐसे नेताओं को दंड दिया, जिसे निर्वासित शाह के प्रति वफादार माना जाता था.
मिडिल ईस्ट के कई मिलिशिया गुटों से हैं संबंध
आईआरजीसी की ट्रेनिंग हिजबुल्ला और हमास के लड़ाकों की तरह ही होती है. क्योंकि इनमें कई समानताएं भी है. यही वजह है कि इनकी ट्रेनिंग भी एक जैसी होती है. या यूं कहें कि आईआरजीसी ही इन्हें ट्रेनिंग भी मुहैया कराता है. ये सभी एक तरह की विचारधारा को मानने वाले समूह हैं और एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. लेबनान, सीरिया, फिलीस्तीन, यमन और अफ्रीका में कई विद्रोही मिलिशिया गुटों को मदद करने के आरोप आईआरजीसी पर लगते रहे हैं. हूती, हमास और हिजबुल्लाह जैसे गुट खुद को इनसे जुड़ा बताते हैं.
ईरान की सेना से ज्यादा शक्तिशाली है IRGC
आईआरजीसी ने शुरू में एक घरेलू सेना के रूप में काम करना शुरू किया. फिर आने वाले समय में ईरान की सीमा से बाहर भी यह अपने अभियान पर लग गया और इस्लामिक शासन का परचम बुलंद करने के मिशन शुरू कर दिए. दूसरे देशों में कई विद्रोही संगठनों के आईआरजीसी ने ट्रेनिंग और अन्य सुविधाएं मुहैया कराई. इराक के ईरान पर आक्रमण के बाद आईआरजीसी का काफी विस्तार हुआ. अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी ने इसके थल सेना यूनिट के अलावा नौसेना और एयरफोर्स विंग भी तैयार किया.
ईरान के परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम की करता है देखरेख
ईरान के शिया मौलवी शासन की रक्षा करते-करते आईआरजीसी ईरान की सबसे बड़ी ताकत बन गई. जिसका दखल सैन्य गतिविधि से लेकर सत्ता, राजनीति, व्यापार और यहां तक की परमाणु कार्यक्रम तक में हो गया. यह समूह ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल प्रोजेक्ट की देखरेख करता है. इसी के संरक्षण में कई मिसाइल टेस्ट हुए जो इजरायल तक पहुंच रखती है. यही वजह है कि आईआरजीसी के कमांडर इजरायल के निशाने पर हैं.
ईरान में सत्ता, व्यापार और शासन पर हावी
बताया जाता है कि ईरानी अर्थव्यवस्था में भी आईआरजीसी की बड़ी हिस्सेदारी है. कानूनी और अवैध दोनों तरह की संस्थाओं में ये भागीदार हैं. इनके कमांडरों के पास तेहरान में रियल एस्टेट भी है. इनका खुफिया नेटवर्क दोहरी नागरिकता रखने वाले लोगों तथा पश्चिमी देशों से संबंध रखने वाले लोगों पर जासूसी के आरोप लगाकर गिरफ्तार कर उन्हें सजा भी देता है. इस्लामिक शासन का उल्लंघन करने वाले लोगों और महिलाओं को भी आईआरजीसी ही दंडित करता है.
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ईरान के बाहर भी एक्टिव हैं इनके ब्रांच
इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स की ताकत ईरान तक ही सीमित नहीं है. आईआरजीसी में 190000 सक्रिय सदस्य हैं. सैन्य विशेषज्ञों के मुताबिक इसकी कई शाखाएं भी हैं, जो ईरान से बाहर भी काम करती है. ये मिडिल ईस्ट के बड़े संघर्षों तक फैली हुई है. DW की रिपोर्ट के मुताबिक आईआरजीसी इस्लामिक क्रांति के संरक्षक के तौर पर जाना जाता है और ये अपने सर्वोच्च लीडर के प्रति वफादार है. यही वजह है कि लेबनान, सीरिया, इराक, यमन में भी आईआरजीसी की दखल हिजबुल्लाह, हूती और हमास जैसे संगठनों के माध्यम से है.
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हिजबुल्लाह और हमास जैसी होती है ट्रेनिंग
आईआरजीसी की एक शाखा है कुद्स फोर्स है, जो ईरान के बाहर के अभियानों में सक्रिया है. 1989 में खोमैनी के उत्तराधिकारी बने अली खामेनेई ने कुद्स बल का गठन किया था, जो इसके विदेशी अभियानों के लिए जिम्मेदार थी. कुद्स लेबनान में हिजबुल्लाह और गाजा में हमास के साथ काम करता है. हिजबुल्लाह और हमास के लड़ाके की जो ट्रेनिंग है, वहीं ट्रेनिंग IRGC और कुद्स फोर्स के सैनिकों की भी होती है. कुद्स फोर्स पर लेबनान के हिजबुल्लाह, यमन के हूती और हमास को संसाधन और ट्रेनिंग मुहैया कराने के आरोप लगते रहे हैं. ये सभी शिया मिलिशिया संगठन हैं.
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