'धुरंधर' की बातें तो फिल्मी हैं... जानिए असल में कितने 'तालों' के बीच होती है करेंसी प्लेट

फिल्म 'धुरंधर' में जितनी आसानी से भारत के करेंसी प्लेट की कॉपी करने की कहानी दिखाई गई है, वो इतना आसान नहीं होता है. यह सिर्फ फिल्मी मसाला भर है. क्योंकि, असल जिंदगी में नोट छापने जैसी प्रक्रिया इतनी ज्यादा सीक्रेट और सुरक्षित होती है कि करेंसी प्लेट की कॉपी करना तो दूर इसे छूना तक मुश्किल होता है.

Advertisement
नोटों की छपाई के लिए महत्वपूर्ण है करेंसी प्लेट (Photo - ITG) नोटों की छपाई के लिए महत्वपूर्ण है करेंसी प्लेट (Photo - ITG)

दिग्विजय सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 11 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 3:29 PM IST

रणवीर सिंह और अक्षय खन्ना अभिनीत'धुरंधर' मूवी इन दिनों थियेटर में धमाल मचा रही है. इस फिल्म में एक सीन है, जिसमें भारत के करेंसी प्लेट की कॉपी करके उसे पाकिस्तान पहुंचाने की घटना दिखाई गई है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत के करंसी प्लेट की कॉपी करना या इसे चुराना इतना आसान है, जितना मूवी में दिखाया गया है. आखिर ये करंसी प्लेट रखे कहां होते हैं, जिनसे नोटों की छपाई होती है. जानते भारत में कैसे नोट छापे जाते हैं इसकी पूरी कहानी. 

Advertisement

इस फिल्म के बहाने समझते हैं, भारत में नोट छापने का पूरा प्रोसेस क्या है. सरकारी असली नोट छापना किसी सांचे में रंग लगाकर प्रिंट निकाल लेना भर नहीं होता है. इसके लिए एक पूरा सिस्टम होता है. इसमें हर तरह के नोटे के डिजाइन तैयार करने से लेकर, इसे अप्रूवल मिलने, इसका सिक्योरिटी फीचर्स तैयार करने, इसके बाद कागज का सिलेक्शन, फिर नोटों की छपाई शामिल है. इस पूरे ऑपरेशन की जिम्मेदारी दो सरकारी संस्थाओं पर होती है. 

दो हिस्सों में बंटा होता है नोट छापने काम
भारत में नोट प्रिंट करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SPMCL) के बीच अहम जिम्मेदारियां बंटी होती है. एक तरफ जहां आरबीआई नोटो के रंग, फीचर, डिजाइन, साइज और सिक्योरिटी फीचर तय करता है. वहीं एसपीएमसीआईएल सब कुछ तय होने के बाद नोटों के करंसी प्लेट्स तैयार कर इसके पेपर प्रिंट निकालते हैं. इसी SPMCL में पासपोर्ट, सिक्के और डाक टिकट भी छपते हैं. 

Advertisement

कहां-कहां हैं बैंक नोट छापने वाले प्रेस
देश में नोट छापने का काम चार जगहों पर होता है - देवास (मध्य प्रदेश), नासिक (महाराष्ट्र), मैसूर (कर्नाटक) और सालबोनी (पश्चिम बंगाल). इनमें से देवास और नासिक स्थित सरकारी प्रेस की जिम्मेदारी SPMCL के पास होती है. वहीं मैसूर और सालबोनी के प्रेस सीधे आरबीआई के अंदर आते हैं. 

प्रेस के आसपास भी नहीं फटक सकते लोग 
इन जगहों पर मशीनें, कागज, नोट छापने के रंग और स्याही और अन्य तकनीक अलग-अलग लेवल पर टेस्ट किए जाने के बाद ही एप्रूव्ड होती है. इसके बाद यहां नोटों की छपाई होती है. वहीं इन प्रेसों की सुरक्षा ऐसी होती है कि इसके अंदर आने की बात तो दूर, बाहर भी आसपास खड़े रहने की आम लोगों को इजाजत नहीं होती. सिर्फ कुछ अनुमति प्राप्त हाई रैंक्ड ऑफिसर ही इन प्रेस में विशेष एप्रूवल मिलने के बाद आ सकते हैं.

नोट छपने से पहले होती हैं ये तैयारियां
नोट छपने से पहले अलग-अलग लेवल पर इसके डिजाइन और सिक्योरिटी फीचर्स तय होते हैं. नोट किस रंग का होगा, कौन सी तस्वीर इस्तेमाल होगी, इसके सिक्योरिटी फीचर्स क्या होंगे, सबकुछ रिजर्व बैंक और सरकार अलग-अलग लेवल पर तय करते हैं. 

नोट की छपाई जिस पेपर पर होती है वो कोई आम कागज नहीं होता. नोट छापने के लिए कागज भी एक विशेष सरकारी मिल में तैयार होती है. ताकि, इसमें तय वाटर मार्क, सिक्योरिटी थ्रेड और कुछ माइक्रो सिक्योरिटी फीचर्स डाले जा सके. 

Advertisement

सरकारी प्रेस में ऐसे छपते हैं बैंक नोट्स 
कागज और डिजाइन तैयार होने के बाद सैंपल प्रिंट निकालकर इसे चेक किया जाता है, ताकि नोट प्रिंटिंग में किसी भी लेयर में कोई गलती की गुंजाइश न हो. इसके बाद अलग-अलग लेवल नोटों की प्रिंटिंग होती है. एक बार में ही नोट नहीं छापे जाते हैं. पहले बैकग्राउंड, फिर डिजाइन, तब नंबर्स अलग-अलग फीचर्स अलग-अलग चरण में प्रिंट होते हैं.

 जब एक शीट पूरी प्रिंट हो जाती है तो तब इसे काटकर अलग-अलग पैकेट बनाकर सीलबंद डिब्बों में भरकर आरबीआई के चेस्ट्स भेज दिया जाता है. ये सारे काम अति सुरक्षित माहौल में होता है. हर एक गतिविधि पर सिक्योरिटी टीम की नजर होती है.

क्या होता है करेंसी प्लेट और ये कहां रखा होता है
धुरंधर में जिस तरह से करेंसी प्लेट की कॉपी करने या इसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाने की बात दिखाई गई है. असल में ये इतना आसान नहीं होता या यूं कहें कि ये नामुमकिन होता है.  करेंसी प्लेट असल में नोट छापने का सांचा होता है. अलग-अलग चरणों में नोट के जो डिजाइन और सिक्योरिटी फीचर्स तय होते हैं. उसे पहले एक धातु के प्लेट पर उकेरा जाता है, ताकि इससे पेपर प्रिंट निकाला जा सके. यही वजह है कि ये करंसी प्लेट्स काफी महत्वपूर्ण होते हैं और अति सुरक्षित जगह पर रखे होते हैं. 

Advertisement

सरकारी प्रेस में एक बेहद सीक्रेट जगह पर ये प्लेट्स रखे होते हैं. अनुमति प्राप्त कुछ ही लोगों को इन प्लेटों तक एक्सेस मिल पाता है. प्रेस में इसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए भी नियम बनाए गए हैं. कैमरा, बायोमेट्रिक, सुरक्षा गार्ड और अन्य अत्याधुनिक सिक्योरिटी तकनीक की निगरानी में ये प्लेट्स रखे रहते हैं. जब इसका इस्तेमाल किया जाता है तो एक प्रोटोकॉल के तहत इसे सीक्रेट सेल्फ से निकाला जाता है. 

हर काम की होती रहती है मॉनिटरिंग
कब कौन सी प्लेट का इस्तेमाल हुआ. कितनी देर ये तिजोरी से बाहर रहा. कब इसे फिर से तिजोरी में रखा गया. हर एक चीज का रिकॉर्ड रखा जाता है. डिजिटली, कैमरे की निगरानी और मैनुअली, हर तरह से प्लेट्स के इस्तेमाल की निगरानी होती है. इन करंसी प्लेट्स का एक समय तक इस्तेमाल होता है, फिर इन्हें नष्ट कर दिया जाता है. ये काम भी एक निश्चित नियम के तहत होता है. 

ऐसी होती है सरकारी प्रेस की सुरक्षा 
फिल्मों में करेंसी प्लेट की चोरी या नकल जितनी आसान दिखाई जाती है, वो असल में नामुमकिन है. क्योंकि, ऐसे प्रेस मल्टी लेयर सुरक्षा घेरे में होते हैं. प्रेस के अंदर तो दूर बाहर भी दूर-दूर तक बिना किसी ठोस वजह के सरकारी अफसर तक को नहीं फटकने दिया जाता है. सिक्योरिटी इतनी टाइट होती है कि वहां काम करने वाले लोगों को भी प्रेस के अंदर या बाहर सिर्फ उनके अलग-अलग दायरे तक 
ही एक्सेस मिलता है. प्लेट्स की चोरी तो दूर उसके पास भी अगर कोई पहुंच जाए तो पूरे सिस्टम को अलर्ट चला जाता है और जांच शुरू हो जाती है. 

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement