Gin and Tonic: वो 'देसी' कॉकटेल, जिसकी बदौलत भारत में जड़ें जमा पाई ब्रिटिश हुकूमत!

International Gin And Tonic Day: यूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया समेत दुनिया के कई देशों में प्रचलित जिन एंड टॉनिक कॉकटेल की जड़ें देसी हैं. हालांकि, जिन और टॉनिक वॉटर के मिश्रण से बनी इस ड्रिंक के भारत में मुरीद अपेक्षाकृत कम हैं. जिन एंड टॉनिक का भारत से क्या कनेक्शन है, आइए जानते हैं. 

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Gin and tonic cocktail  (File Image Credit: Pexels.com) Gin and tonic cocktail (File Image Credit: Pexels.com)

अभिषेक भट्टाचार्य

  • नई दिल्ली,
  • 19 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 6:10 PM IST

जिन एंड टॉनिक दुनिया की कुछ मशहूर कॉकटेल्स में से एक है. बनाने में आसान, हल्का सुरूर देने वाली, इसलिए दिन में भी पीने के लिए मुफीद इस ड्रिंक को इसके चाहने वाले जी एंड टी, जिन टॉनिक, जिन्टो या जीटी नाम से भी पुकारते हैं. जिन और टॉनिक वॉटर के मिश्रण से बनी इस ड्रिंक के भारत में मुरीद अपेक्षाकृत कम हैं. मुमकिन है कि अन्य एल्कॉहलिक ड्रिंक्स की तरह इसकी ढंग से मार्केटिंग नहीं हुई हो, शायद तभी इसे पसंद करने वाले 'ओल्ड स्कूल' समझे जाते हैं.

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गूगल के मुताबिक, आज कहीं इंटरनेशनल जिन एंड टॉनिक डे (International Gin and Tonic Day) का जश्न मनाया जा रहा है. वजह जो भी हो, लेकिन ये जानना बेहद दिलचस्प हो जाता है कि यूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया समेत दुनिया के कई देशों में प्रचलित इस कॉकटेल की जड़ें देसी हैं. जिन एंड टॉनिक का भारत से क्या कनेक्शन है, आइए जानते हैं. 

जब ईस्ट इंडिया कंपनी पहुंची भारत 

बात 17वीं शताब्दी की है. ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी भारत पहुंची ही थी. सोने की चिड़िया कहलाने वाले देश पर कब्जा जमाने के लिए यह बेहद जरूरी था कि अंग्रेज अफसर स्वस्थ हों. समंदर के रास्ते सबसे कुशल और कुटिल अंग्रेज अफसर भारत पहुंचे. हालांकि, यहां मलेरिया जैसी बीमारी पांव पसारे बैठी हुई थी. मलेरिया के इलाज के तौर पर कुनैन की खोज हो चुकी थी.

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कुनैन, जो टॉनिक वॉटर को फ्लेवर देने वाला एक रसायन होता है. कुनैन का स्वाद बेहद कड़वा होता था, इसलिए अंग्रेजों को इसे जबान पर रखना नहीं सुहाता था. इसलिए अंग्रेज कुनैन की जगह टॉनिक वॉटर इस्तेमाल करने लगे.  फिर किसी को आइडिया आया और 18वीं शताब्दी आते-आते अंग्रेज इस टॉनिक वॉटर में रसद में मिलने वाली शराब यानी जिन को भी मिलाने लगे. स्वाद को लेकर कुछ और प्रयोग हुए और टॉनिक वॉटर में जिन के अलावा चीनी, नींबू और अतिरिक्त पानी भी मिलाया जाने लगा.  

Tonic Water (Credit: Pexels.com)

अंग्रेजों का 'हेल्दी ड्रिंक' बना जिन एंड टॉनिक

कालान्तर में मलेरिया से लड़ने की ताकत देने वाली यह ड्रिंक ब्रिटिश अफसरों के बीच बेहद मशहूर हो गई. टॉनिक वॉटर में कुनैन की मात्रा कम होती थी, इसलिए इसका स्वाद जरा मीठा होता था. वहीं, इसमें मिलाई गई जिन को जूनिपर (juniper) पेड़ से मिलने वाले बेरी फलों से तैयार किया जाता था. उस वक्त जूनिपर को गाउट, गालस्टोन और पेट की कई समस्याओं के इलाज के तौर पर देखा जाता था. ऐसे में यह कॉकटेल अंग्रेजों के लिए एक 'हेल्दी ड्रिंक' में तब्दील हो गई थी.

दावा किया जाता है कि जिन एंड टॉनिक ने हजारों की जान बचाई. अगर ऐसा है तो यह कहना गलत नहीं होगा कि अंग्रेजी हुकूमत को भारत में पांव पसारने के पीछे इस ड्रिंक का भी योगदान है. धीरे धीरे ब्रिटेन से इसकी लोकप्रियता दुनिया के दूसरे देशों तक फैल गई. ब्रिटिश तो इसे आज तक की बनी सबसे 'महान' कॉकटेल्स में शुमार करते हैं. 

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Gin and Tonic Cocktail (Credit: Pexels.com)

जिन और टॉनिक आखिर हैं क्या

इंटरनेट पर मौजूद आर्टिकल्स में दावा किया जाता है कि साल 1270 में नीदरलैंड्स के मंक्स या साधुओं ने जूनिपर के फलों से एक पारदर्शी शराब तैयार की, जिसे जिन कहा गया. जिन को शुरुआत में नीदरलैंड्स में ही पिया जाता था. हालांकि, बाद में यह ब्रिटिश सैनिकों के बीच भी लोकप्रिय हो गया.

कहते हैं कि एंग्लो-डच वॉर के दौरान जंग पर जाने से पहले ये सैनिक जिन का सेवन करते थे ताकि बरसती गोलियों और गरजती तोपों के बीच लड़ने की हिम्मत मिल सके. इस मदिरा जनित साहस को अंग्रेजी में इसी वजह से लिक्विड करेज  (liquid courage) या डच करेज (Dutch Courage) भी कहा जाने लगा.

टॉनिक वॉटर की बात करें तो इसका उदय दक्षिणी अमेरिका में बताया जाता है. यहां मलेरिया के इलाज के लिए सिनकोना पेड़ की छाल का इस्तेमाल किया जाता था. छाल से तैयार कुनैन के पाउडर को पानी और चीनी के साथ पिया जाता था, जो टॉनिक वॉटर था. बाद में कार्बोनेटेड वॉटर के आविष्कार के बाद टॉनिक वॉटर का स्वादिष्ट विकल्प दुनिया को मिला.

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