'दिन के 2-3 हजार तो कहीं नहीं छोड़ता...' ई-रिक्शा वाले एक महीने में कितना कमा लेते हैं?

E Rickshaw Price: आपने देखा होगा कि सड़कों पर ई-रिक्शा की संख्या काफी बढ़ गई है. क्या आप जानते हैं आखिर ये ई-रिक्शा ड्राईवर एक दिन में कितना कमा लेते हैं.

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ई-रिक्शा ड्राइवर हर रोज 2-3 हजार रुपये कमाने का दावा कर रहे हैं. ई-रिक्शा ड्राइवर हर रोज 2-3 हजार रुपये कमाने का दावा कर रहे हैं.

मोहित पारीक

  • नई दिल्ली,
  • 23 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 12:23 PM IST

दिल्ली हो या फिर नोएडा, लखनऊ या जयपुर... अब हर जगह सबसे कॉमन है ई-रिक्शा. सड़कों पर बड़ी संख्या में ई-रिक्शा नजर आते हैं. 1 किलोमीटर से लेकर 5-7 किलोमीटर की यात्रा के लिए ई-रिक्शा सबसे सुगम पब्लिक ट्रांसपोर्ट बन गया है. कभी आपने सोचा है कि आखिर जो इतने ई-रिक्शा सड़क पर चल रहे हैं, उनके चालकों को उससे कितनी कमाई होती है. सवाल है कि इतने रिक्शा होने के बाद कितना कॉप्टिशन है और ई-रिक्शा चलाने वाले ड्राइवर की कितनी कमाई होती है?

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क्या है बिजनेस मॉडल?

ई-रिक्शा चलाने वाले चालकों का बिजनेस मॉडल दो तरीके से काम करता है. एक तो वो लोग हैं, जो खुद का ई-रिक्शा खरीदते हैं और फिर इसे चलाते हैं. इसके अलावा कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो किसी से रोज के हिसाब से ई-रिक्शा किराए पर लेते हैं और फिर इसे चलाते हैं. इसमें उन्हें एक हिस्सा मालिक को ई-रिक्शा किराए का देना होता है. इस तरह का काम वो लोग करते हैं, जिनके पास ई-रिक्शा खरीदने जितना अमाउंट नहीं होता है.

आता कितने का है ई-रिक्शा?

अगर ई-रिक्शा की कीमत की बात करें तो अलग-अलग तरह के ई-रिक्शा आते हैं. ई-रिक्शा में पैसे का गणित उसकी बैटरी और बॉडी से लगता है. जिस हिसाब से बैट्री लेंगे, उस हिसाब से ही खर्चा होगा. बाजार में महिंद्रा से लेकर सिटी लाइफ, ऑलफाइन, मूव स्टोन, मैक ऑटो, सिटी कैब, सारथी आदि कई कंपनियों के ई-रिक्शे आते हैं.

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ई-रिक्शा का कारोबार करने वाले पवन गोयल बताते हैं 'ई-रिक्शा अलग-अलग रेट के आते हैं, जो एक लाख से शुरू हो जाते हैं. एक ई-रिक्शा लीथियम बैटरी वाला होता है और एक नॉन लीथियम वाला. इसमें भी बैट्री के अलग अलग स्पेसिफिकेशन से रेट बदल जाते हैं.'

पवन गोयल ने आगे बताया, 'नॉन लीथियम बैट्री वाले रिक्शा सस्ते होते हैं, जो 1 लाख के आसपास में आ जाते हैं. इसके अलावा 1 लाख 20 हजार से लेकर 2 लाख तक के एक ई रिक्शे आते हैं. इनमें आप जितने ज्यादा फीचर लेंगे, उतनी ही रेट बढ़ जाती है. नॉन लीथियम बैट्री वाले रिक्शा को दिल्ली में इजाजत नहीं है और धीरे-धीरे इन्हें बंद किया जा रहा है.'

वहीं, किराए वाले रिक्शे की बात करें तो ये हर दिन के किराए के हिसाब से मिलते हैं. इसमें 300 से 500 रुपये दिन के किराए में रिक्शा मिलते हैं. 

वजन से तय होते हैं भाव

उन्होंने बताया, 'इसके साथ ही कीमत इनकी बॉडी के हिसाब से होती है, जितने ज्यादा किलो का रिक्शा होगा, उतने रेट ज्यादा होंगे. ये डेढ़ क्विवंटल के आसपास के होते हैं. लोहे के वजन के हिसाब से ई-रिक्शा सस्ता-महंगा होता है. मगर आमतौर पर ई-रिक्शे डेढ़ लाख रुपये तक के होते हैं.'

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एक बार चार्ज में कितनी चलती बैट्री?

ई-रिक्शा चलाने वाले सुशील कुमार बताते हैं, 'एक बार रिक्शा की बैट्री चार्ज होने पर करीब 100 किलोमीटर चलती है. ऐसे में हम लोग ई-रिक्शा एक से ज्यादा बैट्री रखते हैं या फिर अब किराए पर चार्ज की हुई बैट्री मिलती है. इसके बाद हमारा बैट्री चार्ज करने का सिस्टम खत्म हो जाता है. एक बार बैट्री चार्ज करवाने के 120 रुपये लगते हैं और हम लोग 2 बैट्री तो पूरी कर देते हैं और कई बार कुछ प्रोग्राम या ईवेंट होता है तो तीसरी की भी जरूरत पड़ जाती है. वैसे एक बैट्री को चार्ज करने में 4-5 घंटे रुपये लगते हैं.

एक दिन का कितना कमा लेते हैं?

कई रिक्शा चालकों से बात करने पर पता चला कि वैसे तो लोकेशन और छुट्टी आदि पर कमाई निर्भर करती है. नोएडा में 12-22 सेक्टर के आसपास रिक्शा चलाने वाले सुशील ने बताया कि वो दिन के करीब 2000-3000 रुपये कर लेते हैं. सुबह और शाम को ऑफिस टाइम में रनिंग ज्यादा रहती है और सेक्टर-16 तक कई चक्कर लग जाते हैं. इसके अलावा दिन में इधर-उधर की बुकिंग मिल जाती है. मैं सुबह 8 बजे से 11 बजे तक और फिर शाम में 5-6 बजे से 9 बजे तक ज्यादा काम करता हूं. दिन में आराम भी कर लेता हूं.

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रेपिडो भी आ गया...

साथ ही ई-रिक्शा वालों ने बताया कि अब रेपिडो में भी ई-रिक्शा का ऑप्शन आ गया है तो इससे भी कुछ बुकिंग मिल जाती है. इसलिए आवाज लगाकर ज्यादा सवारी खोजनी नहीं पड़ती है.

क्या आप खुश हैं?

सुशील कहते हैं 'खुशी तो काफी है. इस काम में एक फायदा तो ये है कि मेरा खुद का काम है. कोई बॉस की झंझट नहीं है. चाहे जब काम कर लेता हूं और कोई काम है तो छुट्टी कर लेता हूं. पहले पेंटर का काम करता था, 15 हजार की नौकरी थी. उसमें मेरे ठेकेदार की सुननी पड़ती थी, टाइम पर जाओ और कोई झंझट थे. बड़ी मेहनत करने के बाद भी कुछ नहीं मिलता था. अब ये है आराम से परिवार का पेट पाल रहा हूं.'

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