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Flyover और Overbridge में क्या है फर्क? आसान भाषा में समझिए

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:38 PM IST
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जब भी हम सड़क पर सफर करते हैं, तो अक्सर ब्रिज (Bridge) और फ्लाईओवर (Flyover) जैसे शब्द सुनते हैं. बहुत से लोग इन दोनों को एक-जैसा समझ लेते हैं, जबकि असल में इनके मतलब और काम अलग-अलग होते हैं. आसान भाषा में समझें तो दोनों ही रास्तों को जोड़ने के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन कहां और क्यों बनाए जाते हैं- यही इनका सबसे बड़ा फर्क है.

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ब्रिज (Over Bridge) क्या होता है?
ब्रिज यानी पुल. यह आमतौर पर नदी, नाला, झील, खाई या घाटी के ऊपर बनाया जाता है, ताकि लोग और वाहन एक किनारे से दूसरे किनारे आसानी से जा सके. उदाहरण के लिए गंगा नदी पर बना पुल या किसी पहाड़ी इलाके में दो हिस्सों को जोड़ने वाला पुल. सरल शब्दों में पानी या गहरी जगह के ऊपर बना रास्ता ब्रिज कहलाता है.

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ओवरब्रिज आमतौर पर उसी सड़क पर बनाया जाता है, जहां पहले से वाहन चलते रहते हैं. इसे सड़क के ऊपर इस तरह बनाया जाता है कि नीचे से ट्रेन या दूसरी गाड़ियां बिना रुके आसानी से निकल सकें. इसका मुख्य उद्देश्य रेलवे ट्रैक पर ट्रैफिक को रोकने से बचाना होता है.

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कई जगहों पर ओवरब्रिज पैदल यात्रियों के लिए भी बनाए जाते हैं, ताकि लोग सुरक्षित तरीके से सड़क पार कर सकें, खासकर वहां जहां सड़क पार करना मुश्किल या खतरनाक होता है. ओवरब्रिज की लंबाई आमतौर पर फ्लाईओवर से कम होती है.

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फ्लाईओवर (Flyover) क्या होता है?
फ्लाईओवर एक तरह का ऊंचा सड़क मार्ग होता है, जो शहरों में ट्रैफिक जाम से बचने के लिए बनाया जाता है. यह आमतौर पर चौराहों, रेलवे लाइन या दूसरी सड़कों के ऊपर से गुजरता है. फ्लाईओवर का मकसद यह होता है कि गाड़ियां बिना रुके ऊपर से निकल जाएं और नीचे ट्रैफिक चलता रहे. 
 

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आसन शब्दों में सड़क या चौराहे के ऊपर बना ऊंचा रास्ता फ्लाईओवर कहलाता है. हर फ्लाईओवर एक तरह का ब्रिज हो सकता है, लेकिन हर ब्रिज फ्लाईओवर नहीं होता. दोनों का मकसद लोगों की यात्रा को आसान बनाना है, बस जगह और ज़रूरत के हिसाब से इनका इस्तेमाल अलग-अलग होता है.
 

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फ्लाईओवर आमतौर पर उसी सड़क पर बनाए जाते हैं, जहां पहले से बहुत ज्यादा ट्रैफिक रहता है. जब किसी रास्ते पर बार-बार जाम लगता है, तो गाड़ियों को बिना रुके निकालने के लिए उसी रोड पर पिलर खड़े करके ऊपर फ्लाईओवर बना दिया जाता है. इससे नीचे ट्रैफिक चलता रहता है और ऊपर से गाड़ियां आसानी से निकल जाती हैं. फ्लाईओवर की लंबाई उस रास्ते पर ट्रैफिक की मात्रा और इलाके की बनावट पर निर्भर करती है. कई जगह फ्लाईओवर सिर्फ 1–2 किलोमीटर लंबे होते हैं, जबकि कुछ 5 किलोमीटर या उससे भी ज़्यादा लंबे बनाए जाते हैं.

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