NEET PG 2025: नीट-पीजी 2025 सिंगल शिफ्ट में होगा या दो शिफ्ट में? मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी कर रहे लाखों छात्रों के लिए अगला सप्ताह बेहद अहम साबित हो सकता है. सुप्रीम कोर्ट अगले हफ्ते यह तय करेगा कि नीट पीजी परीक्षा एक ही शिफ्ट में कराई जाए या दो शिफ्ट में. नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन (NBE) ने नीट-पीजी को दो शिफ्ट में कराने का फैसला किया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.
याचिकाकर्ता के वकील ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच के समक्ष मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया है, क्योंकि परीक्षा 15 जून को निर्धारित है और परिणाम 15 जुलाई 2025 को जारी किए जाएंगे.
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि दो शिफ्ट में परीक्षा कराने से प्रश्नपत्रों के कठिनाई स्तर में अंतर आ जाता है, जिससे परीक्षाफल और रैंकिंग पर सीधा असर पड़ता है. नीट-पीजी की तैयारी कर रहीं छात्रा राशि यादव कहती हैं, “इस कठिन परीक्षा में एक नंबर भी रैंकिंग को हजारों पायदान नीचे धकेल सकता है. किसी को अगर आसान पेपर मिल गया तो हमारा सपना अधूरा रह सकता है. ऐसा कोई तरीका नहीं है जो दोनों शिफ्ट के पेपरों की कठिनाई को बराबर कर सके. हम कोई विशेष अधिकार नहीं मांग रहे, सिर्फ निष्पक्ष परीक्षा चाहते हैं, जो एक शिफ्ट में ही संभव है.”
नीट-पीजी की तैयारी कर रहे डॉ. जिश्नू शाजी कहते हैं, “हम इस परीक्षा के लिए सालों से दिन-रात मेहनत कर रहे हैं और ये लोग दो शिफ्ट में अलग-अलग पेपर देकर हमारे भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं. सामान्यीकरण सिर्फ एक शब्द है, इससे वास्तविक असमानता नहीं मिटती. अगर किसी को आसान पेपर मिल गया, तो वो लाखों बच्चों का सपना तोड़ सकता है.”
सेरिबेलम एकेडमी के फैकल्टी डॉ. प्रवीन त्रिपाठी कहते हैं, “नीट-पीजी का छात्रों के करियर पर गहरा असर पड़ता है. किसे कौन-सा कॉलेज या डिपार्टमेंट मिलेगा, यह परीक्षा परिणाम पर निर्भर करता है. ऐसे में परीक्षा का परिणाम पूरी तरह मेरिट के आधार पर होना चाहिए, न कि भाग्य के भरोसे.”
NBE ने दावा किया है कि उन्होंने अंकों को समान करने के लिए सांख्यिकीय तरीकों का उपयोग किया, लेकिन इसके बावजूद पिछले साल नतीजे पक्षपाती लगे. ज्यादातर टॉप रैंकर्स ने पहली शिफ्ट में परीक्षा दी थी, जिससे एकतरफा परिणाम के आरोप लगे.
सिंगल शिफ्ट में परीक्षा के पक्ष में PSM फैकल्टी डॉ. विवेक जैन का कहना है, “पहले नीट-पीजी एक ही शिफ्ट में होती थी और सभी छात्रों को बराबरी का मौका मिलता था. लेकिन अब दो शिफ्ट की प्रणाली से छात्रों में भ्रम और चिंता बढ़ी है. INICET जैसी अन्य परीक्षाएं आज भी एक शिफ्ट में होती हैं, तो नीट-पीजी क्यों नहीं?”
अमन कुमार