कहीं धरने पर बैठी आप, कहीं बीजेपी का धरना प्रदर्शन, कहीं कांग्रेस का पुतला फूंक कार्यक्रम और कहीं पेड़ों को रक्षा सूत्र बांधने की फोटो खिंचवाओ मुहिम. ये सबकुछ दिल्ली में हो रहा है. कूड़े के नाम पर हो रहा है. लोगों को कूड़े के नर्क से निजात दिलाने के लिए हो रहा है लेकिन तमाम सियासी शोर के बावजूद कूड़े के पहाड़े ऊंचे ही होते जा रहे हैं. नेता लाख गाल बजाएं लेकिन सच ये है कि दिल्ली में कूड़े के निपटारे के किसी के पास कोई ठोस नीति नहीं है. जी हां आज ये सवाल मिलियन डालर क्वेश्चन बन गया है कि दिल्ली का कूड़ा कहां जाएगा?