चीन के स्टेट टीवी ने एक ऐसी घोषणा की है, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है. चीनी सरकार ने दावा किया है कि ताइवान उसका अभिन्न हिस्सा है. वह इसे "वापस लेने" के लिए तैयार है. चाहे इसके लिए सैन्य बल का उपयोग करना पड़े. इस बयान ने न केवल ताइवान, बल्कि पूरी दुनिया में चिंता बढ़ा दी है.
चीन के स्टेट टीवी ने अपने नागरिकों को युद्ध की संभावना और इसके परिणामस्वरूप होने वाली राजनीतिक प्रतिबंधों (sanctions) और अलगाव (isolation) के लिए तैयार रहने की बात कही है. चीन की तुलना में ताइवान की ताकत कुछ भी नहीं है. आइए समझते हैं कि चीन और ताइवान की मिलिट्री ताकत में कितना अंतर है. क्या ताइवान अपने दम पर चीन को टक्कर दे पाएगा?
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ताइवान और चीन का विवाद
चीन और ताइवान के बीच का विवाद कई दशकों पुराना है. चीन ताइवान को अपने क्षेत्र का हिस्सा मानता है. इसे "पुनर्मिलन" (reunification) करने की बात करता है. ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश मानता है. कहता है कि उसका भविष्य वहां के लोगों को तय करना चाहिए. ताइवान एक लोकतांत्रिक देश है, जहां नियमित रूप से स्वतंत्र चुनाव होते हैं, जबकि चीन में कम्युनिस्ट पार्टी का शासन है.
1949 में, जब चीन में कम्युनिस्ट क्रांति हुई, तब चीनी गृहयुद्ध में हारी हुई नेशनलिस्ट सरकार ताइवान चली गई और वहां अपनी सरकार स्थापित की. तब से, चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, जबकि ताइवान अपनी स्वायत्तता की रक्षा करता है. पिछले कुछ वर्षों में, खासकर पिछले पांच सालों में चीन ने ताइवान के आसपास सैन्य गतिविधियां बढ़ा दी हैं, जैसे कि युद्धपोतों और लड़ाकू विमानों की तैनाती. ताइवान का कहना है कि ये गतिविधियां उसकी संप्रभुता के लिए खतरा हैं.
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चीनी स्टेट टीवी का बयान
12 जुलाई 2025 को, चीनी स्टेट टीवी ने एक बयान प्रसारित किया, जिसमें कहा गया कि "चीन ताइवान को वापस लेगा" और इसके लिए वह युद्ध की तैयारी कर रहा है. इस बयान में यह भी कहा गया कि चीनी नागरिकों को संभावित अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों और अलगाव के लिए तैयार रहना चाहिए.
यह बयान उस समय आया, जब ताइवान अपनी सबसे बड़ी सैन्य ड्रिल, हान कुआंग (Han Kuang) आयोजित कर रहा था, जो 9 जुलाई 2025 को शुरू हुई. इस ड्रिल में ताइवान ने चीनी हमले का सामना करने की तैयारी का अभ्यास किया, जिसमें कमांड सिस्टम और बुनियादी ढांचे पर हमले का वीडियो शामिल था.
ताइवान की प्रतिक्रिया
ताइवान ने इस बयान को गंभीरता से लिया है. अपनी रक्षा तैयारियों को मजबूत कर रहा है. 9 जुलाई 2025 से शुरू हुई हान कुआंग ड्रिल में ताइवान ने 10 दिनों तक चीनी हमले का सामना करने की रणनीतियों का अभ्यास किया. इस ड्रिल में अमेरिका से प्राप्त HIMARS रॉकेट सिस्टम और अन्य हथियारों का उपयोग किया गया.
ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने कहा कि ताइवान पहले से ही "बिना गोलीबारी के युद्ध" (war without gun smoke) का सामना कर रहा है, जिसमें चीन की साइबर हमले और गलत सूचना फैलाने की रणनीतियां शामिल हैं.
ताइवान ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह अपनी स्वतंत्रता और लोकतंत्र की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. ताइवान की सरकार का कहना है कि उसका भविष्य केवल ताइवान के लोग ही तय करेंगे. ताइवान ने अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाने के लिए अमेरिका से हथियार खरीदे हैं, जैसे कि पैट्रियट मिसाइलें, F-16 लड़ाकू विमान और अब्राम्स टैंक.
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चीन और ताइवान में कौन ताकतवर?
चीन और ताइवान के बीच जंग के हालात बनते दिख रहे हैं. चीन अक्सर ताइवानी इलाके में घुसपैठ करता है. अपने फाइटर जेट्स को ताइवानी हवाई और समुद्री क्षेत्र के ऊपर उड़ाता है. इसके जवाब में ताइवान उन फाइटर जेट्स का पीछा करता है. उन्हें वापस भगाता है. फिर डिप्लोमैटिक स्तर पर बातचीत होती है. आरोप-प्रत्यारोप होते हैं. लेकिन चीन से कई गुना छोटे ताइवान की हिम्मत तो देखिए कि वो चीन की नाक में दम कर देता है.
चाहे फाइटर जेट्स के घुसपैठ का जवाब देना हो या फिर समुद्री सीमा से चीनी युद्धपोतों या जहाजों को भगाना हो. हिम्मत कम नहीं होती ताइवान की. आइए समझते हैं कि ताइवान की मिलिट्री ताकत कितनी है. वह चीन की तुलना में कितना ताकतवर है. कितने हथियार, फाइटर जेट्स और विमान हैं उसके पास. कितने युद्धपोत हैं. कितनी बड़ी सेना है ताइवान की और वो कितना सामना कर पाएगी चीन का.
चीन आबादी में नंबर एक पर, ताइवान 57वें स्थान पर
जब दो देशों के बीच सैन्य ताकत की तुलना की जाती है. तब पहले यह देखा जाता है कि दोनों देशों की आबादी कितनी है. ग्लोबलफायरपावर डॉट कॉम के मुबातिक चीन आबादी में दुनिया में नंबर एक है. 139 करोड़ से ज्यादा लोग इस विशालकाय देश में रहते हैं. ताइवान आबादी के मामले में दुनिया में 57वें रैंक पर आता है. यहां कि कुल आबादी 2.35 करोड़ से ज्यादा है. मतलब चीन की आबादी के सामने कुछ भी नहीं है ताइवान की आबादी. बात सिर्फ आबादी की नहीं होती, उसमें देखा जाता है मौजूदा मैनपावर. चीन के पास है 75.48 करोड़ मैनपावर. ताइवान के पास है 1.22 करोड़ मैनपावर.
रिजर्व सैनिकों के मामले में ताइवान चीन से बहुत आगे
फिर सवाल ये उठता है कि अगर दोनों देशों में युद्ध हो तो कितने लोग सेना में भर्ती हो पाएंगे. चीन की कुल मैनपावर में से 61.92 करोड़ से ज्यादा लोग सैन्य सेवा में शामिल हो सकते हैं. जबकि, ताइवान के मैनपावर में से 10 लाख लोग ही सेना में शामिल हो सकते हैं. चीन की मिलिट्री में फिलहाल 20 लाख एक्टिव सैनिक हैं. जबकि, ताइवान की मिलिट्री में 1.70 लाख एक्टिव सैनिक. चीन के पास 5.10 रिजर्व और ताइवान के पास 15 लाख रिजर्व हैं. यानी ताइवान की रिजर्व सेना ज्यादा है. ताइवान रिजर्व सेना के मामले में नंबर एक रैंकिंग पर है, जबकि चीन छठें नंबर पर.
चीन के पास ताइवान से छह गुना ज्यादा फाइट जेट्स
चीन के पास पैरा-मिलिट्री फोर्स में 6.24 लाख लोग हैं. ताइवान की पैरामिलिट्री फोर्स में सिर्फ 11,500 जवान हैं. चीन के मिलिट्री के पास कुल मिलाकर 3285 एयरक्राफ्ट हैं. जबकि, ताइवान के पास सिर्फ 741 एयरक्राफ्ट्स हैं. चीन के पास लड़ाकू विमानों की संख्या 1200 है, जबकि ताइवान के पास कुल मिलाकर 288 फाइटर जेट्स ही हैं. चीन के पास परिवहन के लिए 286 विमान हैं, जबकि ताइवान के पास सिर्फ 19 परिवहन यानी कार्गो प्लेन हैं.
हेलिकॉप्टर और स्पेशल मिशनों में ताइवान बहुत पीछे
कई बार युद्ध में ट्रेनर विमानों को भी शामिल कर लिया जाता है. अगर इमरजेंसी है तो. चीन के पास 399 ट्रेनर विमान हैं, जबकि ताइवान के पास 207 ट्रेनिंग वाले जेट्स हैं. चीन की मिलिट्री ने आजतक 114 स्पेशल मिशन किए हैं, जबकि ताइवान ने सिर्फ 19 स्पेशल मिशन. चीन के पास 912 हेलिकॉप्टर हैं, वहीं ताइवान के पास 208. यानी इन मामलों में भी ताइवान चीन के आगे कहीं नहीं टिकता.
आर्टिलरी और बख्तरबंद गाड़ियों में भी चीन आगे
चीन के पास 912 हेलिकॉप्टर्स में से 281 अटैक हेलिकॉप्टर्स हैं. जबकि ताइवान के पास सिर्फ 91 अटैक हेलिकॉप्टर्स. चीन के पास 5250 टैंक हैं, जबकि ताइवान के पास सिर्फ 1110 टैंक्स हैं. चीन की मिलिट्री के पास 35 हजार बख्तरबंद वाहन हैं, जबकि ताइवान के पास 3471 बख्तरबंद गाड़ियां मौजूद हैं. चीन के पास 4120 सेल्फ प्रोपेल्ड आर्टिलरी है, जबकि ताइवान के पास सिर्फ 257 सेल्फ प्रोपेल्ड तोपें हैं. चीन के पास खींचकर ले जाने वाली 1734 और ताइवान के पास 1410 तोपें हैं.
ताइवान के पास 4 तो चीन के पास 79 पनडुब्बियां
चीन के पास 3160 मोबाइल रॉकेट प्रोजेक्टर्स हैं, वहीं ताइवान के पास 115 प्रोजेक्टर्स. चीन के पास 777 नौसैनिक फ्लीट्स हैं, जबकि ताइवान के पास 117. चीन के पास दो विमानवाहक युद्धपोत हैं. जबकि ताइवान के पास एक भी नहीं है. चीन के पास 79 पनडुब्बियां हैं, जबकि ताइवान के पास 4 ही पनडुब्बियां मौजूद हैं. चीन के पास 41 विध्वंसक हैं, वहीं ताइवान के पास सिर्फ 4. चीन के पास 49 और ताइवान के पास 22 फ्रिगेट्स हैं.
चीन के पास 507 और ताइवान के पास 37 एयरपोर्ट्स
चीन के पास 70 और ताइवान के पास 2 कॉर्वेट्स हैं. चीन के पास 152 पेट्रोल वेसल और ताइवान के पास 43 ही हैं. चीन के पास 36 माइन वॉरफेयर और ताइवान के पास 14 ही हैं. चीन के पास युद्ध के समय में उपयोग में लाने के लिए 507 एयरपोर्ट्स हैं, जबकि ताइवान के पास सिर्फ 37. चीन के पास 22 बंदरगाह और टर्मिनल्स हैं, जबकि ताइवान के पास सिर्फ छह. चीन की तुलना में ताइवान का क्षेत्रफल भी बहुत कम है. चीन का क्षेत्रफल 95.96 लाख वर्ग किलोमीटर है. जबकि ताइवान का सिर्फ 35,980 वर्ग किलोमीटर.
ऋचीक मिश्रा