अभी जम्मू-कश्मीर में कुल 131 आतंकवादी सक्रिय हैं. इनमें से 122 पाकिस्तानी आतंकवादी हैं और सिर्फ 9 स्थानीय कश्मीरी हैं. सरकारी और खुफिया एजेंसियों के सूत्रों ने इंडिया टुडे को यह जानकारी दी है. इस साल (2025) अब तक सुरक्षा बलों ने 31 आतंकवादियों को मार गिराया है. 2024 में 61 आतंकवादी मारे गए थे. लेकिन सबसे बड़ा झटका ऑपरेशन सिंदूर से लगा, जिसमें पाकिस्तान के अंदर 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए.
इस साल पारंपरिक आतंकी संगठनों (लश्कर, जैश, हिज्बुल) ने सिर्फ एक स्थानीय युवक को भर्ती किया था, वो भी कुछ ही दिनों में मार दिया गया. यानी 2025 में स्थानीय स्तर पर आतंकियों की भर्ती लगभग जीरो हो गई है. लोग अब आतंकवाद से दूर भाग रहे हैं.
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अब आतंकी संगठन नया तरीका अपना रहे हैं. वे कैंपों में भर्ती करने की बजाय पढ़े-लिखे नौजवानों, डॉक्टरों, इंजीनियरों, सरकारी अफसरों और बिजनेसमैन को चुपके से कट्टरपंथी बना रहे हैं. ये लोग बाहर से बिल्कुल सामान्य लगते हैं, इसलिए इन्हें व्हाइट कॉलर टेररिस्ट कहा जा रहा है.
ये नेटवर्क सिर्फ कश्मीर में नहीं, देश के कई राज्यों में फैल चुका है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद सैकड़ों OGW (ओवर ग्राउंड वर्कर) पकड़े गए हैं. नौगाम पुलिस की एक एफआईआर ने इस नए नेटवर्क का पर्दाफाश किया है.
खुफिया रिपोर्ट कहती है कि एलओसी पर घुसपैठ बहुत कम हो गई है. स्थानीय लोगों का आतंकवादियों को मिलने वाला सहयोग भी खत्म सा हो गया है. यही वजह है कि अब ज्यादातर कामयाब ऑपरेशन घाटी के अंदर हो रहे हैं. एक वरिष्ठ खुफिया अधिकारी ने कहा कि स्थानीय भर्ती बंद होना और एलओसी पर शांति बहुत बड़ी कामयाबी है.
विदेशी आतंकवादी अभी भी हैं. नया व्हाइट कॉलर नेटवर्क बहुत खतरनाक है. हमें और सतर्क रहना होगा. सुरक्षा बल दिन-रात लगे हैं. जम्मू-कश्मीर में शांति बनाए रखने के लिए हर दिन नए-नए ऑपरेशन चल रहे हैं. आने वाले दिनों में भी आतंकवाद को पूरी तरह खत्म करने की मुहिम जारी रहेगी.
शिवानी शर्मा