2020 में गलवान घाटी में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हुए तनाव के बाद से भारत अपनी सीमा पर बुनियादी ढांचे को तेजी से मजबूत कर रहा है. खासकर लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी (DBO) जैसे रणनीतिक इलाकों तक पहुंच को और सुरक्षित करने के लिए भारत एक नई 130 किलोमीटर लंबी सड़क बना रहा है.
ये सड़क ससोमा–सासेर ला–सासेर ब्रांग्सा–गपशान–डीबीओ के रास्ते से होकर गुजरती है. इसे बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन (BRO) बना रहा है. ये नई सड़क न सिर्फ तेज और सुरक्षित है, बल्कि ये चीनी सेना की नजरों से भी बची रहेगी. आइए, समझते हैं कि ये सड़क क्यों इतनी खास है?
क्या है दौलत बेग ओल्डी (DBO) और क्यों है ये इतना जरूरी?
दौलत बेग ओल्डी (DBO) भारत का सबसे उत्तरी सैन्य ठिकाना है, जो लद्दाख में कराकोरम पास के पास और लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) से सिर्फ 8 किलोमीटर दूर है. ये इलाका सब-सेक्टर नॉर्थ (SSN) का हिस्सा है, जिसमें डेपसांग मैदान और सियाचिन ग्लेशियर जैसे रणनीतिक क्षेत्र आते हैं.
यह भी पढ़ें: बदल गई भारत की 'युद्धनीति'! दुश्मनों पर प्रहार के लिए इन 'फ्यूचर वेपंस' पर कर रहा काम
DBO में दुनिया का सबसे ऊंचा हवाई पट्टी (एयरस्ट्रिप) है, जो 16614 फीट की ऊंचाई पर है. इसकी मदद से भारतीय सेना को हथियार, रसद और सैनिकों को हवाई रास्ते से पहुंचाने में आसानी होती है.
लेकिन DBO तक पहुंचने का एकमात्र रास्ता अभी तक दरबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (DSDBO) सड़क था, जो 255 किलोमीटर लंबी है. ये सड़क LAC के बहुत करीब से गुजरती है, जिसकी वजह से ये चीनी सेना (PLA) की निगरानी में रहती है.
गलवान घाटी में 2020 के तनाव का एक बड़ा कारण यही DSDBO सड़क थी, क्योंकि चीन को भारत की इस सड़क से अपनी स्थिति पर खतरा महसूस हुआ. इसीलिए भारत ने एक नई वैकल्पिक सड़क बनाने का फैसला किया, जो न सिर्फ सुरक्षित हो, बल्कि तेज भी हो.
नई सड़क: ससोमा से DBO तक का रास्ता
ये नई 130 किलोमीटर लंबी सड़क ससोमा से शुरू होती है, जो नुब्रा घाटी में सियाचिन बेस कैंप के पास है. ये सड़क सासेर ला (17,660 फीट), सासेर ब्रांग्सा, गपशान और फिर DBO तक जाती है. इसकी खास बातें हैं...
यह भी पढ़ें: इंटरनेट टेलीपोर्टेशन... जिससे दुनिया में कहीं भी हो सकेगी आपकी मौजूदगी, डेटा भी रहेगा सिक्योर
कैसे बन रही है ये सड़क?
इस सड़क को बनाना कोई आसान काम नहीं है. 17,000 फीट से ज्यादा ऊंचाई पर, जहां ऑक्सीजन की कमी और भारी बर्फबारी आम बात है. BRO के 2000 मजदूर दिन-रात मेहनत कर रहे हैं. इस प्रोजेक्ट को दो हिस्सों में बांटा गया है...
सबसे मुश्किल हिस्सा है सासेर ला पास और श्योक नदी के पास का इलाका. यहां ग्लेशियरों और खड़ी चट्टानों के बीच सड़क बनाना एक बड़ा चैलेंज है. इसके लिए BRO जियोसेल जैसी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर रहा है, जो सड़क को मौसम और भारी वजन के लिए मजबूत बनाती हैं. श्योक नदी पर 345 मीटर लंबा एक पुल भी बन रहा है, जिसमें सात खंभों का इस्तेमाल हो रहा है.
यह भी पढ़ें: चीन और पूरा PAK रेंज में, 1500 KM वाली हाइपरसोनिक मिसाइल की टेस्टिंग की तैयारी में DRDO
ऑक्सीजन कैफे और अन्य चुनौतियां
इतनी ऊंचाई पर काम करना आसान नहीं. सासेर ला जैसे इलाकों में ऑक्सीजन की कमी से मजदूरों को सांस लेने में दिक्कत होती है. बर्फबारी की वजह से साल में सिर्फ 5-6 महीने ही काम हो सकता है.
BRO ने मजदूरों की सुरक्षा और काम की रफ्तार बढ़ाने के लिए ऑक्सीजन कैफे बनाए हैं. ये छोटे-छोटे स्टेशन हैं, जहां मजदूरों को ऑक्सीजन दी जाती है ताकि वो एल्टीट्यूड सिकनेस से बच सकें.
इसके अलावा, सासेर ला में एक 8 किलोमीटर लंबा टनल बनाने की योजना भी है. इसका डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार हो चुका है. इस साल काम शुरू हो सकता है. ये टनल 2028 तक बनकर तैयार हो सकता है, जिससे सर्दियों में भी DBO तक पहुंच आसान हो जाएगी.
क्यों जरूरी है ये सड़क?
2020 में गलवान घाटी में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें दोनों तरफ के सैनिक मारे गए थे. इस तनाव का एक बड़ा कारण था DSDBO सड़क, जो LAC के इतने करीब है कि चीनी सेना इसे आसानी से निशाना बना सकती है. गलवान घाटी और डेपसांग जैसे इलाकों में चीन की PLA ने सड़कें और ठिकाने बनाए हैं, जो भारत के लिए खतरा हैं. नई सड़क के बनने से कई फायदे होंगे...
दूसरे प्रोजेक्ट्स: भारत की पूरी तैयारी
DBO की नई सड़क भारत के बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्लान का हिस्सा है. इसके अलावा...
न्योमा एयरबेस: लद्दाख में 13,700 फीट की ऊंचाई पर न्योमा में एक नया फाइटर जेट एयरबेस अक्टूबर 2025 तक तैयार हो जाएगा. ये राफेल, सुखोई-30 और तेजस जैसे जेट्स को ऑपरेट करेगा.
शिंकु ला टनल: ये दुनिया का सबसे ऊंचा टनल होगा (15,800 फीट), जो मनाली को लेह से जोड़ेगा. इसका काम जल्द शुरू होगा.
अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे: 1,637 KM लंबा ये हाईवे LAC के पास 12 जिलों को जोड़ेगा, जिससे सैनिकों की आवाजाही और स्थानीय लोगों की जिंदगी आसान होगी.
सेला टनल: अरुणाचल में ये टनल सैनिकों को LAC तक तेजी से पहुंचाने में मदद करेगा.
यह भी पढ़ें: स्टील्थ फाइटर जेट के इंजन भारत में बनेंगे... फ्रांस से होने जा रही 61,000 करोड़ रुपये की बड़ी डिफेंस डील
चीन की चुनौती और भारत का जवाब
चीन ने LAC के पास अपनी सड़कें, हवाई पट्टियां और ठिकाने मजबूत किए हैं. पैंगोंग झील पर उसने एक नया पुल बनाया है, जो उसकी सेना को तेजी से तैनात करने में मदद करता है. लेकिन भारत भी पीछे नहीं है. 2020 के बाद से BRO का बजट दोगुना हो गया है. 300 से ज्यादा प्रोजेक्ट्स पूरे हो चुके हैं. नई सड़कें, पुल और टनल भारत को चीन की बराबरी करने की ताकत दे रहे हैं.
क्या है भविष्य?
DBO की नई सड़क 2026 तक पूरी तरह तैयार हो जाएगी. सासेर ला में टनल बनने के बाद ये रास्ता साल भर खुला रहेगा. ये सड़क न सिर्फ भारत की सेना को मजबूत करेगी, बल्कि लद्दाख और सियाचिन जैसे इलाकों में स्थानीय लोगों के लिए भी विकास का रास्ता खोलेगी.
ऑपरेशन सिंदूर और गलवान जैसे तनावों ने भारत को सिखाया है कि सीमा पर मजबूत इन्फ्रास्ट्रक्चर ही सबसे बड़ा हथियार है. ये नई सड़क और दूसरे प्रोजेक्ट्स भारत को न सिर्फ सुरक्षित बनाएंगे, बल्कि दुनिया को दिखाएंगे कि भारत अब किसी भी चुनौती का जवाब देने को तैयार है.
शिवानी शर्मा