दुनिया की सबसे खतरनाक मेड इन इंडिया राइफल...भारतीय सेना को मिली 48 हजार AK-203 गन

IRRPL की AK-203 परियोजना भारत की रक्षा में आत्मनिर्भरता का एक बड़ा कदम है. 48000 राइफल्स की डिलीवरी, शून्य शिकायतें और 2030 तक 6 लाख राइफल्स का लक्ष्य इसे खास बनाता है. 'शेर' नाम से पहचान बनाने वाली यह राइफल न सिर्फ सेना को मजबूत करेगी, बल्कि विश्व बाजार में भी भारत का परचम लहराएगी.

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इस तस्वीर में सबसे बाएं रखी है AK-203 असॉल्ट राइफल. (File Photo: Getty) इस तस्वीर में सबसे बाएं रखी है AK-203 असॉल्ट राइफल. (File Photo: Getty)

शिवानी शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 17 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 1:08 PM IST

इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL) अमेठी, उत्तर प्रदेश में 'मेड इन इंडिया' AK-203 राइफल्स का निर्माण कर रही है. पिछले 18 महीनों में 48000 राइफल्स भारतीय सेना को सौंपी जा चुकी हैं. 15 अगस्त 2025 तक 7000 और राइफल्स डिलीवर होंगी. इंडिया टुडे को इस कारखाने का पहला एक्सेस मिला है. यह परियोजना भारत की रक्षा में आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन रही है.

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तकनीक और आत्मनिर्भरता का सफर

IRRPL ने रूस के साथ 100% तकनीक ट्रांसफर (ToT) पूरा कर लिया है. अभी 50% स्वदेशीकरण हासिल हो चुका है, जो अक्टूबर 2025 तक 70% और 31 दिसंबर 2025 तक 100% हो जाएगा. इसके बाद AK-203 का नया नाम 'शेर' होगा. पूरी तरह स्वदेशी होने के बाद हर महीने 12000 राइफल्स बनेंगी, यानी हर 100 सेकंड में एक राइफल. सालाना लगभग 1.5 लाख राइफल्स का उत्पादन होगा.

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उत्पादन और डिलीवरी का प्लान

अभी तक 48000 राइफल्स सेना को दी जा चुकी हैं. अगस्त 2025 में 7000 और दिसंबर 2025 में 15000 राइफल्स डिलीवर होंगी. कुल 6,01,427 राइफल्स का ऑर्डर दिसंबर 2030 तक पूरा होगा, जो मूल समयसीमा दिसंबर 2032 से 22 महीने पहले है. यह 5,200 करोड़ रुपये की परियोजना है, जो 'मेक इन इंडिया' के तहत अमेठी में शुरू की गई.

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AK-203 की खासियत

AK-203 7.62×39mm की गोलियां चलाती है. प्रति मिनट 700 राउंड फायर कर सकती है, जिसकी रेंज 800 मीटर है. यह राइफल हल्की, टिकाऊ और हर मौसम में विश्वसनीय है. 15 अगस्त 2023 को पहली राइफल कोरवा प्लांट में तैयार हुई थी. अब सारा मैटेरियल भारत से ही लिया जा रहा है.

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कोरवा प्लांट: देश का सर्वश्रेष्ठ टेस्टिंग लैब

कोरवा प्लांट में देश का सबसे उन्नत छोटे हथियारों का टेस्टिंग लैब है, जहां भारतीय सेना की DGQA टीम राइफल्स का परीक्षण करती है. अब तक डिलीवर की गई सभी राइफल्स में शिकायतें शून्य हैं. सेना INSAS राइफल्स को पूरी तरह हटाने की योजना बना रही है. AK-203 इसे रिप्लेस करेगा.

CMD मेजर जनरल एसके शर्मा की बातचीत

IRRPL के CMD मेजर जनरल एसके शर्मा ने इंडिया टुडे से बातचीत में बताया कि शुरुआत में रूस ने AK-103 ऑफर की थी, लेकिन तत्कालीन DG इन्फेंट्री जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने नवीनतम AK-203 और वह भी 'मेड इन इंडिया' की मांग की. यही वजह रही कि यह प्रोजेक्ट शुरू हुआ. शर्मा कहते हैं कि हम भारत के लिए बनाएंगे और निर्यात भी करेंगे. कई देशों ने AK-203 के प्रदर्शन से प्रभावित होकर रुचि दिखाई है. हम अन्य हथियारों पर भी काम कर रहे हैं.

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