हाल की घटनाओं के बाद भारतीय सेना अपने आर्सेनल में ज्यादा UAVs (अनमैन्ड एरियल व्हीकल्स) शामिल करना चाहती है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, भारत ने पहली बार ड्रोंस, मिसाइल्स और मुनिशंस के साथ नॉन-कॉन्टैक्ट मिलिट्री ऑपरेशंस देखे. अब, भारतीय सेना ने सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड (SDAL) के हाइब्रिड वर्टिकल टेक-ऑफ एंड लैंडिंग (VTOL) UAV, रुद्रास्त्र के सफल ट्रायल्स किए हैं.
यह भी पढ़ें: ईरान और पाकिस्तान... दोनों के परमाणु प्लान पर अमेरिका की टेढ़ी नजर? बड़ा गेम होने वाला है
रुद्रास्त्र का ट्रायल
11 जून 2025 को पोखरण फायरिंग रेंज में रुद्रास्त्र के ट्रायल्स हुए. जहां इसने भारतीय सेना की स्पेसिफिकेशंस के अनुसार प्रदर्शन किया. इसमें VTOL, लॉन्ग एंड्योरेंस, प्रिसिजन इंगेजमेंट और ऑपरेशनल वर्सेटिलिटी जैसे कैपेबिलिटीज शामिल थे.
प्रदर्शन
ट्रायल के दौरान रुद्रास्त्र ने 50 किलोमीटर से ज्यादा की मिशन रेडियस पर स्टेबल रियल-टाइम वीडियो लिंक बनाए रखा. UAV ने मिशन पूरा किया. बिना किसी दिक्कत के लॉन्च पॉइंट पर वापस लौट आया. कुल रेंज, जिसमें टारगेट-एरिया में लॉयटरिंग भी शामिल है, 170 किलोमीटर से ज्यादा थी. इसकी एंड्योरेंस करीब 1.5 घंटे रही.
उपयोग
ये VTOL UAVs सर्विलांस, टारगेट इंगेजमेंट और रेकॉनसेंस (जासूसी) के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं. भारतीय सशस्त्र बलों ने विभिन्न निर्माताओं से VTOL UAVs को शामिल किया है, जबकि रुद्रास्त्र लेटेस्ट टेक्नोलॉजी वाला स्वदेशी VTOL UAV है. सफल ट्रायल्स और जरूरी प्रक्रियाओं के बाद, ये UAVs भारतीय सेना में शामिल हो सकते हैं.
यह भी पढ़ें: सिंधु जल संधि सस्पेंड होने से PAK में गंभीर जल संकट, बांधों में डेड लेवल पर पहुंचा पानी, कपास का उत्पादन 30% गिरा
रुद्रास्त्र का सफल ट्रायल भारतीय सेना की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है. यह UAV न केवल तकनीकी रूप से उन्नत है. बल्कि इसका प्रदर्शन भी बहुत अच्छा रहा है. आने वाले समय में, रुद्रास्त्र भारतीय सेना की क्षमताओं को और मजबूत करे
शिवानी शर्मा