पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम को लेकर अमेरिका सख्त हो गया है. अमेरिका ने पाकिस्तान को झटका देते हुए एक दिन पहले ही चार कंपनियों पर बैन लगा दिया है. इससे पाकिस्तान के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है.
व्हाइट हाउस का कहना है कि लंबी दूरी के बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम से पाकिस्तान की क्षमता दक्षिण एशिया से बाहर अमेरिका तक हमला करने की हो जाएगी.
व्हाइट हाउस के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान की ये गतिविधियां अमेरिका के लिए खतरा हो सकती है. ये बयान अमेरिका की ओर से चार पाकिस्तानी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने के एक दिन बाद आया है.
दरअसल अमेरिका ने पाकिस्तान की सरकारी एयरोस्पेस और डिफेंस कंपनी नेशनल डेवलपमेंट कॉम्प्लेक्स (एनडीसी) सहित पाकिस्तान की चार कंपनियों पर बैन लगाया है. ये बैन पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम को सहयोग करने के लिए लगाया गया है.
ये कंपनियां कराची की हैं. एनडीसी दरअसल बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम से जुड़ी हुई थी. पाकिस्तान के लंबी दूरी के बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम के लिए उपकरण हासिल करने के लिए काम किया था.
पाकिस्तान से क्यों खफा है अमेरिका?
अमेरिका के प्रधान उप-राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन फाइनर ने एक थिंक टैंक को बताया कि बाइडेन सरकार ने लंबी दूरी के मिसाइल सिस्टम के विकास के लिए कई कदम उठाए हैं. पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम को सहयोग देने के लिए हमने पिछले साल गैर पाकिस्तानी इकाइयों पर भी प्रतिबंध लगाए थे.
उन्होंने कहा कि कल हमने पाकिस्तान की सरकारी कंपनी नेशनल डेवपमेंट कॉम्प्लेक्स के खिलाफ सीधे प्रतिबंध लगाए थे. यह कंपनी पाकिस्तान की लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल के प्रोडक्शन और डेवलपमेंट में सीधे तौर पर शामिल थी. हमने पहली बार पाकिस्तान की किसी सरकारी कंपनी पर प्रतिबंध लगाए हैं.
फाइनर ने कहा कि हम पाकिस्तान के लंबी दूरी के मिसाइल प्रोग्राम पर दबाव बनाना जारी रखेंगे. हमारी चिंताओं के समाधान के लिए हम राजनयिक समाधान भी तलाशना जारी रखेंगे. बता दें कि पाकिस्तान ने अत्याधुनिक मिसाइल तकनीक विकसित की है. लंबी दूरी के बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम से लेकर उपकरण तक शामिल है.
क्या होगा इसका असर?
उन्होंने कहा कि अगर ऐसा ही रुझान जारी रहा तो पाकिस्तान की क्षमता दक्षिण एशियाई क्षेत्र से बाहर भी हमला करने की हो जाएगी, जिससे अमेरिका सहित कई अन्य देशों के समक्ष भी चुनौती खड़ी हो सकती है. ऐसे में पाकिस्तान की मंशा पर सवाल उठ रहा है.
उन्होंने कहा कि जिन देशों के पास परमाणु हथियार हैं और जिनकी मिसाइल क्षमता इस तरह की है कि उनकी मिसाइलें सीधे अमेरिकी धरती तक पहुंच सकती हैं, ऐसे देशों की सूची बहुत छोटी है. इनमें रूस, उत्तर कोरिया और चीन शामिल हैं. ऐसे में हम इन चिंताओं को बार-बार पाकिस्तान के वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष उठा चुके हैं. हम विकास, आतंकवाद से निपटने और अन्य सुरक्षा मुद्दों को लेकर लंबे समय से पाकिस्तान के साझेदार रहे हैं. हमने मुश्किल समय में भी पाकिस्तान का साथ दिया है और हम इन क्षेत्रों में पाकिस्तान का सहयोग बनाए रखना चाहते हैं.
बता दें कि इससे पहले अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने भी कहा था कि पाकिस्तान की इन कंपनियों पर लगाए गए बैन एक कार्यकारी आदेश के तहत जारी किए गए हैं. इसका उद्देश्य सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार और उन्हें वितरित करने के लिए इस्तेमाल की जानी वाली टेक्नोलॉजी पर अंकुश लगाना है.
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