भारतीय नौसेना 18 जून 2025 को अपने पहले पनडुब्बी रोधी शैलो वाटर क्राफ्ट (ASW-SWC) ‘अर्णाला’ को शामिल करेगी. यह समारोह विशाखापत्तनम नौसेना डॉकयार्ड में होगा, जिसमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान होंगे. यह युद्धपोत आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक है. भारत की समुद्री ताकत को बढ़ाएगा.
‘अर्णाला’ क्या है?
‘अर्णाला’ भारतीय नौसेना का पहला पनडुब्बी रोधी युद्धपोत है, जो 16 ASW-SWC जहाजों की श्रृंखला का हिस्सा है. इसे कोलकाता की गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) और L&T शिपबिल्डर्स ने मिलकर बनाया है.
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यह जहाज महाराष्ट्र के वसई के पास ऐतिहासिक अर्णाला किले के नाम पर है, जो 1737 में मराठों ने बनाया था. जैसे किला दुश्मनों से रक्षा करता था, वैसे ही ‘अर्णाला’ समुद्र में भारत की रक्षा करेगा. 12,622 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट के तहत 16 युद्धपोत बनाए जाएंगे.
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‘अर्णाला’ की खासियतें
‘अर्णाला’ को तटीय क्षेत्रों में पनडुब्बियों का पता लगाने और उनसे लड़ने के लिए बनाया गया है. इसकी खासियतें हैं...
इसकी रेंज 3300 किलोमीटर है. इस युद्धपोत पर 7 अधिकारियों समेत 57 नौसैनिक तैनात हो सकते हैं. इसमें एएसडब्लू कॉम्बैट सूइट लगा है, जो दुश्मन के हमलों से टकराने के लिए हथियारों को तैयार करेगा. उनपर नजर रखेगा. इसपर चार तरह के मैनेजमेंट सिस्टम लगे हैं, जो जंग के समय युद्धपोत को सही-सलामत रखने में मदद करेंगे.
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इस युद्धपोत पर एक आरबीयू-6000 एंटी सबमरीन रॉकेट लॉन्चर लगा होगा. यह 213 मिलिमीटर की एंटी-सबमरीन रॉकेट सिस्टम है, जो दुश्मन की पनडुब्बियों के ऊपर ताबड़तोड़ रॉकेट फायरिंग करता है. इसके अलावा इस पर 6 हल्के वजन वाले एएसडब्लू टॉरपीडो लगाए जाएंगे. साथ ही एंटी-सबमरीन समुद्री बारूदी सुरंगें रहेंगी.
आईएनएस अरनाला पर 30 मिलिमीटर की एक CRN-91 नेवल गन होगी. यह एक ऑटोमैटिक गन होती है, जो हर मिनट 550 गोलियां दाग सकती है. यानी दुश्मन का जहाज छलनी हो जाएगा. इसकी रेंज 4 किलोमीटर है. इसके अलावा 2 ओएफटी 12.7 मिलिमीटर एम2 स्टेब्लाइज्ड रिमोट कंट्रोल्ड गन लगी होगी. यह भारतीय नौसेना का वाटर जेट प्रोपल्शन पावर्ड सिस्टम से लैस सबसे बड़ा युद्धपोत होगा.
अर्णाला का प्रतीक और डिज़ाइन
‘अर्णाला’ का क्रेस्ट (प्रतीक चिह्न) बहुत खास है...
डिज़ाइन: नीले रंग की पृष्ठभूमि पर एक ऑगर शेल (घोंघे का खोल), जो मजबूती और सटीकता का प्रतीक है. यह शेल समुद्र की चुनौतियों में जीवित रहने की ताकत दिखाता है.
नाम: नीचे देवनागरी लिपि में ‘अर्णाला’ लिखा है.
नारा: “अर्णवे शौर्यम्” (समुद्र में शौर्य), जो जहाज के साहस और ताकत को दर्शाता है.
ऑगर शेल की तरह ‘अर्णाला’ भी समुद्र में मजबूत, सतर्क और दुश्मनों पर सटीक हमला करने में सक्षम है.
ऐतिहासिक प्रेरणा: अर्णाला किला
‘अर्णाला’ का नाम महाराष्ट्र के अर्णाला किले से लिया गया है. यह किला 1737 में मराठा नेता चिमाजी अप्पा ने बनवाया था.
स्थान: वसई से 13 किमी उत्तर में, वैतरणा नदी के मुहाने पर.
उद्देश्य: उत्तरी कोंकण तट की रक्षा करना.
मजबूती: किले ने कई हमलों का सामना किया, जैसे ‘अर्णाला’ जहाज समुद्री खतरों का सामना करेगा.
जहाज का बख्तरबंद हल किले की मजबूत दीवारों जैसा है. इसके हथियार और सेंसर पुरानी तोपों की जगह लेते हैं.
‘अर्णाला’ भारतीय नौसेना का पहला पनडुब्बी रोधी युद्धपोत है, जो 18 जून 2025 को विशाखापत्तनम में शामिल होगा. 80% स्वदेशी और 55 MSMEs के योगदान से बना यह जहाज आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक है. इसका ऑगर शेल क्रेस्ट और “अर्णवे शौर्यम्” नारा समुद्र में साहस दिखाता है. ‘अर्णाला’ भारत की तटीय रक्षा को मजबूत करेगा और हिंद महासागर में ताकत बढ़ाएगा.
शिवानी शर्मा