सेना की हर वर्दी में महिलाएं परचम लहरा रही हैं... बड़े-बड़े कॉम्बैट मिशन में रहती हैं आगे

कर्नल आकृति शर्मा और विंग कमांडर व्योमिका सिंह की कहानियां बताती हैं कि महिलाएं आज सेना में सिर्फ हिस्सा नहीं, बल्कि लीडर बन रही हैं. इनके अनुभव - चाहे वह जम्मू-कश्मीर में कमांड करना हो या अरुणाचल में खतरनाक मिशन- दूसरी लड़कियों को प्रेरित कर रहे हैं. सेना में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है, और यह बदलाव देश के लिए गर्व की बात है.

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बाएँ से दाएं- कर्नल आकृति शर्मा और विंग कमांडर व्योमिका सिंह. (Photo: Arun Kumar/India Today) बाएँ से दाएं- कर्नल आकृति शर्मा और विंग कमांडर व्योमिका सिंह. (Photo: Arun Kumar/India Today)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 31 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 4:16 PM IST

भारतीय सेना में महिलाओं का योगदान आज तेजी से बढ़ रहा है. कर्नल आकृति शर्मा और विंग कमांडर व्योमिका सिंह जैसी बहादुर महिलाएं न केवल सेना में अपनी जगह बना रही हैं, बल्कि दूसरी लड़कियों के लिए प्रेरणा भी बन रही हैं. इन दोनों की जिंदगी और सेना में उनके अनुभवों को जानकर आपको गर्व होगा. दोनों इंडिया टुडे के वुमन समिट के The March Forward: Women and Our Armed Forces सेशन में बोल रही थी. 

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बचपन का सपना और शुरुआती प्रेरणा

कर्नल आकृति शर्मा बताती हैं कि मैं बचपन से सेना में जाना चाहती थी. सातवीं कक्षा में मैं अपने नाम के आगे 'कैप्टन' लिखती थी. इंजीनियरिंग ने मेरी राह आसान की. आकृति पहली महिला कमांडिंग ऑफिसर बनीं. यह उपलब्धि उन्हें जम्मू-कश्मीर में मिली. वह कहती हैं कि सेना में कोई चुनौती नहीं है, न ही कोई नकारात्मकता. मैं मैकेनाइज्ड और एयर डिफेंस इन्फैंट्री में काम कर चुकी हूं. लीडरशिप प्रेजेंस बहुत जरूरी है.

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विंग कमांडर व्योमिका सिंह कहती हैं कि मुझे नीली वर्दी में सम्मानित महसूस होता है. सातवीं में मेरे नाम की वजह से मुझे एयरफोर्स में जाने की प्रेरणा मिली. दिल्ली में रहने की वजह से फ्लाई पास्ट देखने को मिलता था, जो मुझे आकर्षित करता था. दोनों का बचपन का सपना आज उनके करियर की नींव बना.

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भारतीय वायुसेना की विंद कमांडर व्योमिका सिंह. (Photo: Rajwant Rawat/India Today)

सेना में चुनौतियां और अनुभव

आकृति ने बताया कि मैंने ईएमई (इलेक्ट्रिकल एंड मैकेनिकल इंजीनियरिंग) बटालियन को कमांड किया. सेना ने मुझे कई मौके दिए, जैसे यूएन मिशन, मैकेनाइज्ड और एयर डिफेंस में काम. समय के साथ आप लीडर बनते जाते हैं. मैं किसी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल सकती हूं और जो भी जिम्मेदारी दी जाएगी, उसे पूरा करूंगी. 

वह बालाकोट स्ट्राइक के दौरान भी तैयारियों में शामिल थीं, जहां पुरुष और महिलाएं एक साथ काम कर रहे थे. हर दिन कुछ भी हो सकता है, लेकिन देश पहले आता है. बहादुरी और ताकतवर बनना जरूरी है.

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व्योमिका का अनुभव और रोमांचक है. वह कहती हैं कि हेलिकॉप्टर पायलट होने का मतलब है कि रनवे के लिए रुकना नहीं पड़ता. 2020 में अरुणाचल में एक मिशन था, जहां गरुड़ कमांडो और इंजीनियर साथ थे. हमें तीन घंटे के लिए छोड़ा गया था. बिना दरवाजे के हेलिकॉप्टर उड़ाना पड़ा, क्योंकि उतरने की जगह नहीं थी.

व्योमिका कहती हैं कि खतरनाक मिशन में साथियों की फिक्र होती है. एक बार जोधपुर में उन्हें एक जवान को जैसलमेर से लाना था, जिसकी जान खतरे में थी. वह मिशन हमें सिखाने वाला था. जवान को बचाना जरूरी था, और हम उसकी उम्मीद थे. वो मैंने पूरा किया.

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भारतीय थल सेना की कर्नल आकृति शर्मा. (Photo: Rajwant Rawat/India Today)

महिलाओं का बढ़ता योगदान

सेना में महिलाओं की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है. आंकड़ों के मुताबिक, वायुसेना में 13.9% अधिकारी महिलाएं हैं, सेना में 3.9%, और नौसेना में 6%. आकृति कहती हैं कि हम दोनों की वजह से लड़कियां सेना में आ रही हैं. सेना बदल रही है. पहले महिलाएं सिर्फ ज्वाइन करती थीं, अब कमांड करती हैं.

उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग का फायदा होता है, यह हमें मजबूत बनाता है. व्योमिका का मानना है कि अब लड़कियां सैनिक स्कूल से सेना में जा रही हैं. एयरफोर्स में लड़कियों के पापा उन्हें भेजते हैं. इंजीनियरिंग पायलटिंग में मदद करती है. मेरी पहली पोस्टिंग जोधपुर में थी, जहां हमने एक जवान की जान बचाई. दोनों का कहना है कि सेना में मौके बढ़ रहे हैं. महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं.

प्रेरणा के पल

आकृति कहती हैं कि कॉम्बैट आर्म्स में काम करते हुए मैंने देखा कि ट्रेनिंग और एकता हमें मजबूत बनाती है. देश के लिए हर दिन तैयार रहना पड़ता है. व्योमिका ने कहा कि निडर रहो, सपने देखो और उन्हें पूरा करो. लड़कियां या लड़के, कुछ भी नहीं है जो हम नहीं कर सकते. मैं पत्नी हूं, मां हूं, स्कूबा डाइविंग करती हूं, पहाड़ चढ़ती हूं. सेना एक परिवार की तरह है. हर तरह का मौका देता है. 

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