अब भारत में बनेंगे रूसी यात्री विमान SJ-100, HAL और UAC के बीच उत्पादन का समझौता

27 अक्टूबर 2025 को मॉस्को में HAL और रूस की UAC ने SJ-100 यात्री विमान उत्पादन के लिए MoU साइन किया. HAL को घरेलू बाजार के लिए अधिकार भी लिए है. दो इंजन वाला यह विमान UDAN योजना के तहत छोटी उड़ानों का गेम चेंजर होगा. भारत में पहला पूरा यात्री विमान प्रोजेक्ट है. 10 सालों में 550 जेट की जरूरत है.

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ये सुखोई सुपरजेट 100 जिसे रीजनल उड़ानों के लिए जाना जाता है. (File Photo: Reuters) ये सुखोई सुपरजेट 100 जिसे रीजनल उड़ानों के लिए जाना जाता है. (File Photo: Reuters)

शिवानी शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 28 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 6:58 PM IST

भारत की हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और रूस की पब्लिक जॉइंट स्टॉक कंपनी यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन (PJSC-UAC) ने SJ-100 नामक यात्री विमान को भारत में बनाने के लिए समझौता किया है. यह समझौता भारत के सिविल एविएशन सेक्टर में 'आत्मनिर्भर भारत' का नया अध्याय खोलेगा.

समझौते का पूरा विवरण: कौन, कब और कैसे?

यह MoU मॉस्को में 27 अक्टूबर को साइन हुआ. HAL की तरफ से प्रभात रंजन (HAL के प्रतिनिधि) ने और UAC की तरफ से ओलेग बोगोमोलोव ने हस्ताक्षर किए. यह सब HAL के चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. डी.के. सुनील और UAC के डायरेक्टर जनरल वादिम बदेखा की मौजूदगी में हुआ.

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डॉ. सुनील ने कहा कि यह हमारी क्षमताओं का प्रमाण है. हम न सिर्फ विमान बनाएंगे, बल्कि भारत के छोटे शहरों को हवाई कनेक्टिविटी देंगे. MoU के तहत HAL को SJ-100 विमान को भारत के घरेलू ग्राहकों (जैसे एयरलाइंस) के लिए बनाने का पूरा अधिकार मिल गया. मतलब, भारत में फैक्ट्री लगेगी, पार्ट्स इंपोर्ट होंगे लेकिन असेंबली और प्रोडक्शन यहां होगा. यह भारत-रूस की सैन्य और सिविल सहयोग की एक और मिसाल है.

SJ-100 विमान: विशेषताएं और क्यों है गेम चेंजर?

SJ-100 एक आधुनिक दो इंजन वाला संकरा शरीर (नैरो-बॉडी) यात्री विमान है. यह छोटी-मध्यम दूरी की उड़ानों के लिए डिजाइन किया गया है. मुख्य विशेषताएं...

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  • क्षमता: 75-98 यात्रियों को ले जा सकता है.
  • रेंज: 3000-4000 किलोमीटर तक उड़ान.
  • स्पीड: 800-900 किमी/घंटा.
  • ईंधन दक्षता: कम खर्च, पर्यावरण अनुकूल.

दुनिया भर में अभी तक 200 से ज्यादा SJ-100 विमान बन चुके हैं. इन्हें 16 से ज्यादा कमर्शियल एयरलाइंस चला रही हैं, जैसे रूसी एयरलाइंस. भारत में यह UDAN (उड़े देश का आम नागरिक) योजना के लिए परफेक्ट है. UDAN छोटे हवाई अड्डों को जोड़ने का सपना देखती है - जैसे गुवाहाटी से अगरतला या जयपुर से जोधपुर. SJ-100 इन उड़ानों को सस्ता और तेज बनाएगा.

भारत के लिए क्यों जरूरी? 

भारत का एविएशन बाजार दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा है, लेकिन क्षेत्रीय कनेक्टिविटी में कमी है. अगले 10 सालों में...

  • क्षेत्रीय उड़ानों के लिए: 200 से ज्यादा ऐसे जेट विमान चाहिए.
  • हिंद महासागर क्षेत्र के लिए: 350 अतिरिक्त विमान, जो मालदीव, श्रीलंका जैसे पर्यटन स्थलों को जोड़ेंगे.

अभी भारत ऐसे विमान आयात करता है, जो महंगे पड़ते हैं. SJ-100 बनाने से लागत 20-30% कम हो सकती है. यह न सिर्फ हवाई यात्रा को सुलभ बनाएगा, बल्कि पर्यटन और व्यापार को बढ़ावा देगा.

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भारत में विमान उत्पादन का इतिहास: पहली बार पूरा प्रोजेक्ट

यह भारत के लिए मील का पत्थर है. आखिरी बार 1961 में HAL ने AVRO HS-748 विमान का उत्पादन शुरू किया था, जो 1988 तक चला. वह समय था जब भारत ने ब्रिटेन से तकनीक ली. लेकिन SJ-100 पहली बार होगा जब पूरा यात्री विमान (डिजाइन से लेकर असेंबली तक) भारत में बनेगा.  HAL, जो मुख्य रूप से लड़ाकू विमान बनाती है (जैसे तेजस), अब सिविल सेक्टर में कदम रख रही है.

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फायदे: नौकरियां, अर्थव्यवस्था और आत्मनिर्भरता

यह समझौता सिर्फ विमान बनाने का नहीं, बल्कि देश को मजबूत करने का है...

  • नौकरियां: हजारों डायरेक्ट जॉब्स (इंजीनियर, टेक्नीशियन) और लाखों इंडायरेक्ट (सप्लाई चेन) पैदा होंगे. 
  • प्राइवेट सेक्टर: टाटा, रिलायंस जैसे कंपनियां पार्टनर बन सकती हैं.
  • आत्मनिर्भर भारत: प्रधानमंत्री मोदी का सपना - आयात कम, निर्यात ज्यादा. भविष्य में SJ-100 को एशिया-अफ्रीका निर्यात किया जा सकता है.

आगे का रोडमैप: क्या होगा अगला कदम?

अभी MoU साइन हुआ है, तो अगले चरण...

  • डिजाइन ट्रांसफर: UAC से तकनीक साझा होगी.
  • फैक्ट्री सेटअप: HAL के बेंगलुरु या नासिक प्लांट में प्रोडक्शन शुरू, 2026-27 तक पहला विमान.
  • टेस्टिंग: भारतीय नियमों (DGCA) के तहत सर्टिफिकेशन.

यह सहयोग अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच भारत-रूस संबंधों को मजबूत करेगा. 

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