ब्रिटिश F-35B स्टील्थ फाइटर जेट एक महीने से भारत में, मरम्मत जारी... रहस्य बरकरार

F-35 का भारत में एक महीने का ठहराव एक अनोखी घटना है, जो तकनीकी चुनौतियों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग का मिश्रण है. ब्रिटिश तकनीशियनों की टीम मरम्मत में जुटी है, लेकिन रहस्य अभी भी बना हुआ है कि आखिर इसकी खराबी का कारण क्या है. इसे कब तक ठीक किया जा सकेगा.

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तिरुवनंतपुरम इंटरनेशनल एयरपोर्ट खड़ा ब्रिटिश स्टील्थ फाइटर जेट एफ-35बी. (File Photo: PTI) तिरुवनंतपुरम इंटरनेशनल एयरपोर्ट खड़ा ब्रिटिश स्टील्थ फाइटर जेट एफ-35बी. (File Photo: PTI)

शिवानी शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 14 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 6:22 PM IST

14 जून 2025 को तिरुअनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर इमरजेंसी लैंडिंग के बाद, ब्रिटिश रॉयल नेवी का F-35 स्टील्थ फाइटर जेट अब भारत में एक महीना पूरा कर चुका है. इस एडवांस फाइटर जेट की मरम्मत के लिए 6 जुलाई से ब्रिटिश तकनीशियनों की एक टीम भारत में मौजूद है.

सूत्रों के अनुसार, मरम्मत का काम उच्च सुरक्षा के बीच एक निजी हैंगर में हो रहा है, जहां इसे तीन सप्ताह तक बे नंबर 4 पर खड़ा रहने के बाद शिफ्ट किया गया था. ब्रिटिश तकनीशियनों के साथ-साथ ब्रिटिश सैन्य कर्मी भी हैंगर की सुरक्षा कर रहे हैं, जहां F-35 की मरम्मत चल रही है.

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मरम्मत का प्रक्रिया और सुरक्षा

पहले F-35 को MRO (मेंटेनेंस, रिपेयर एंड ओवरहाल) सुविधा में ले जाने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद, ब्रिटिश टीम ने मरम्मत की पूरी जिम्मेदारी संभाल ली है. भारतीय सुरक्षा बलों को हैंगर के बाहर दूरी पर तैनात किया गया है. एयर इंडिया के हैंगर नंबर 2 को पूरी तरह सील कर दिया गया है ताकि मरम्मत कार्य की गोपनीयता बनी रहे. विमान के हाइड्रोलिक सिस्टम और सहायक पावर यूनिट (APU) में तकनीकी खराबी आई थी. ब्रिटिश इंजीनियर अभी भी इस खराबी के सटीक कारण का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं.

पहले यह सुझाव दिया गया था कि अगर भारत की MRO सुविधा में मरम्मत संभव नहीं हुई, तो विमान को एक ब्रिटिश विमान से वापस ले जाया जा सकता है. हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि F-35 को फिर से उड़ान के लिए तैयार होने में कितना समय लगेगा.

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ब्रिटिश हाई कमीशन की प्रतिक्रिया

ब्रिटिश हाई कमीशन ने पहले एक बयान में कहा था कि एक यूके इंजीनियरिंग टीम तिरुअनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर तैनात की गई है ताकि यूके के F-35B विमान की जांच और मरम्मत की जा सके, जो आपात डायवर्जन के बाद उतरा था. यूके ने MRO सुविधा में जगह की पेशकश स्वीकार कर ली है. प्रासंगिक अधिकारियों के साथ व्यवस्थाओं को अंतिम रूप देने के लिए चर्चा चल रही है. मानक प्रक्रिया के अनुसार, विमान को यूके के इंजीनियरों के आने के बाद शिफ्ट किया जाएगा, जो मरम्मत और स्थानांतरण के लिए आवश्यक विशेष उपकरण लेकर आएंगे. 

एक अन्य बयान में हाई कमीशन के प्रवक्ता ने कहा कि विमान तब तक सक्रिय सेवा में नहीं लौटेगा, जब तक कि मरम्मत और सुरक्षा जांच पूरी नहीं हो जाती. ग्राउंड टीम भारतीय अधिकारियों के साथ मिलकर सुरक्षा और सावधानियों को सुनिश्चित कर रही है. हम भारतीय अधिकारियों और तिरुअनंतपुरम हवाई अड्डे की निरंतर सहायता के लिए आभारी हैं. 

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भारत में F-35 का लंबा ठहराव

F-35 का भारत में लंबा ठहराव राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान का केंद्र बन गया है. सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर कई मीम्स वायरल हो रहे हैं, जिसमें लोग मजाकिया अंदाज में कह रहे हैं कि विमान को केरल की खूबसूरती इतनी पसंद आई कि वह वापस नहीं जाना चाहता. कुछ लोग इसे ब्रिटिश नौसेना के लिए शर्मिंदगी का विषय बता रहे हैं, जबकि अन्य इसे भारत-यूके के सहयोग की मिसाल मान रहे हैं.

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तकनीकी खराबी और चुनौतियां

F-35 एक अत्याधुनिक स्टील्थ फाइटर है, जो अपनी उन्नत तकनीक और हाइड्रोलिक सिस्टम पर निर्भर करता है. हाइड्रोलिक सिस्टम में खराबी से विमान का उड़ान और लैंडिंग सिस्टम प्रभावित हो सकता है, जबकि APU में दिक्कत से बिजली आपूर्ति प्रभावित होती है.

ब्रिटिश टीम इस समस्या को ठीक करने के लिए विशेष उपकरणों का उपयोग कर रही है, लेकिन अभी तक इसकी जटिलता के कारण मरम्मत में देरी हो रही है. अगर मरम्मत भारत में संभव नहीं हुई, तो विमान को विघटित करके या एक बड़े परिवहन विमान से वापस ले जाना पड़ सकता है, जो एक जटिल प्रक्रिया होगी.

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भारत-यूके का सहयोग

इस घटना ने भारत और ब्रिटेन के बीच रक्षा सहयोग को और मजबूत किया है. भारतीय वायु सेना (IAF) और हवाई अड्डा प्रबंधन ने आपात लैंडिंग के दौरान और बाद में हर संभव सहायता प्रदान की. ब्रिटिश हाई कमीशन ने बार-बार भारत के सहयोग के लिए धन्यवाद जताया है, जो दोनों देशों के बीच सैन्य और तकनीकी संबंधों को दर्शाता है.

भविष्य की संभावनाएं

अभी तक यह अनिश्चित है कि F-35 कब तक भारत में रहेगा. अगर मरम्मत सफल रही, तो विमान जल्दी ही ब्रिटिश नौसेना में वापस लौट सकता है. लेकिन अगर मरम्मत विफल रही, तो इसे वापस ले जाने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है, जो कई हफ्तों तक चल सकती है. इस बीच, हैंगर में उच्च सुरक्षा और गोपनीयता बनाए रखने के लिए सख्त इंतजाम किए गए हैं, ताकि विमान की संवेदनशील तकनीक सुरक्षित रहे.

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