चार महीने बाद उड़ेंगे सेना और वायुसेना के ALH Dhruv हेलीकॉप्टर, जनवरी में हादसे के बाद रोकी गई थी उड़ान

एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (ALH) ध्रुव के सेना और वायुसेना वेरिएंट को चार महीने की रोक के बाद फिर से संचालन की मंजूरी मिल गई है. यह निर्णय एक डिफेक्ट इन्वेस्टिगेशन (DI) कमेटी की सिफारिशों के आधार पर लिया गया है, जिसने हेलीकॉप्टरों की तकनीकी खामियों की समीक्षा की थी.

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सेना और वायुसेना के ALH Dhruv Helicopters को उड़ान की अनुमति मिल गई है. (फोटोः Indian Army) सेना और वायुसेना के ALH Dhruv Helicopters को उड़ान की अनुमति मिल गई है. (फोटोः Indian Army)

शिवानी शर्मा / मंजीत नेगी

  • नई दिल्ली,
  • 01 मई 2025,
  • अपडेटेड 5:50 PM IST

ALH ध्रुव हेलीकॉप्टरों को चार महीने की रोक के बाद सेना और वायुसेना के लिए फिर से मंजूरी मिलना भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. 5 जनवरी 2025 की दुर्घटना के बाद शुरू हुई जांच और सुधार प्रक्रिया ने हेलीकॉप्टर की सुरक्षा और विश्वसनीयता को सुनिश्चित किया है. 

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा निर्मित एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (ALH) ध्रुव के सेना और वायुसेना वेरिएंट को चार महीने की रोक के बाद फिर से संचालन की मंजूरी मिल गई है. यह निर्णय एक डिफेक्ट इन्वेस्टिगेशन (DI) कमेटी की सिफारिशों के आधार पर लिया गया है, जिसने हेलीकॉप्टरों की तकनीकी खामियों की समीक्षा की थी. 

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ध्रुव हेलीकॉप्टर का ग्राउंडिंग

5 जनवरी, 2025 को भारतीय तटरक्षक बल (Coast Guard) के एक ALH ध्रुव हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद सभी ध्रुव हेलीकॉप्टरों को ग्राउंड कर दिया गया था. इस दुर्घटना ने हेलीकॉप्टर की तकनीकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाए, जिसके बाद रक्षा मंत्रालय ने एक डिफेक्ट इन्वेस्टिगेशन कमेटी का गठन किया. इस कमेटी का उद्देश्य दुर्घटना के कारणों का पता लगाना और हेलीकॉप्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करना था.

पिछले चार महीनों में, सेना, वायुसेना और तटरक्षक बल के ध्रुव हेलीकॉप्टरों का संचालन पूरी तरह से रोक दिया गया था. इस दौरान HAL और सशस्त्र बलों ने मिलकर तकनीकी समस्याओं का विश्लेषण किया और सुधारात्मक उपाय लागू किए. 11 अप्रैल, 2025 को जारी एक स्पष्टीकरण में HAL ने कहा था कि जांच प्रक्रिया अंतिम चरण में है, और जल्द ही संचालन शुरू करने की योजना बनाई जाएगी.

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मंजूरी और संचालन की योजना

डिफेक्ट इन्वेस्टिगेशन कमेटी की सिफारिशों के आधार पर सेना और वायुसेना के ALH ध्रुव हेलीकॉप्टरों को फिर से उड़ान भरने की अनुमति दे दी गई है. सशस्त्र बलों और HAL के बीच एक समयबद्ध योजना पर सहमति बनी है, जिसके तहत हेलीकॉप्टरों का संचालन चरणबद्ध तरीके से शुरू होगा. इस योजना में निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं...

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तकनीकी सुधार: कमेटी ने हेलीकॉप्टरों में कुछ डिजाइन और रखरखाव से संबंधित खामियों की पहचान की थी, जिन्हें HAL ने ठीक कर लिया है. इनमें रोटर सिस्टम, इंजन प्रदर्शन, और एवियोनिक्स से जुड़े सुधार शामिल हैं.

पायलट प्रशिक्षण: संचालन शुरू करने से पहले पायलटों को नए सुरक्षा प्रोटोकॉल और उन्नत प्रणालियों पर प्रशिक्षण दिया जाएगा.

चरणबद्ध संचालन: हेलीकॉप्टरों को पहले सीमित मिशनों के लिए तैनात किया जाएगा. पूर्ण संचालन के लिए नियमित निगरानी की जाएगी.

तटरक्षक बल का स्थिति: तटरक्षक बल के ध्रुव हेलीकॉप्टरों को लेकर अभी कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया गया है, क्योंकि उनकी जांच और सुधार प्रक्रिया जारी है.

ALH ध्रुव हेलीकॉप्टर: स्वदेशी इंजीनियरिंग का प्रतीक

ALH ध्रुव हेलीकॉप्टर भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है. इसे HAL ने 1990 के दशक में डिजाइन और विकसित किया था. यह 2002 से भारतीय सशस्त्र बलों में सेवा दे रहा है. ध्रुव एक मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर है, जो विभिन्न मिशनों के लिए उपयुक्त है. इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं...

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वजन और क्षमता: 5.5 टन वजन वाला यह हेलीकॉप्टर 14 सैनिकों या 1.5 टन कार्गो ले जा सकता है.

इंजन: दो शक्ति इंजन (AL-31FP टर्बोशाफ्ट) इसे 295 किमी/घंटा की गति और 6,500 मीटर की ऊंचाई तक उड़ान भरने की क्षमता देते हैं.

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मिशन: यह हेलीकॉप्टर सैनिकों को लाने-ले जाने, खोज और बचाव, मेडिकल निकासी और हल्के हमले जैसे मिशनों के लिए डिजाइन किया गया है. सेना और वायुसेना के वेरिएंट में मिसाइल और रॉकेट लांचर भी लगाए जा सकते हैं.

स्वदेशीकरण: ध्रुव में 60% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है, जो आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को मजबूत करता है.

ध्रुव हेलीकॉप्टर का उपयोग भारतीय सेना, वायुसेना, नौसेना और तटरक्षक बल द्वारा किया जाता है. यह हिमालय जैसे उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों और गर्म रेगिस्तानी इलाकों में अपनी विश्वसनीयता के लिए जाना जाता है.

दुर्घटना और तकनीकी चुनौतियां

ALH ध्रुव हेलीकॉप्टर का इतिहास ज्यादातर सफल रहा है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसकी कुछ दुर्घटनाओं ने चिंता बढ़ाई है. 5 जनवरी 2025 की तटरक्षक बल की दुर्घटना से पहले भी ध्रुव हेलीकॉप्टर कई बार दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं. 

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रोटर सिस्टम में खराबी: कुछ मामलों में मुख्य रोटर ब्लेड या टेल रोटर में तकनीकी समस्याएं सामने आईं.

इंजन फेल्योर: उच्च ऊंचाई पर इंजन प्रदर्शन में कमी की शिकायतें मिली थीं.

डिजाइन सीमाएं: कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ध्रुव का डिजाइन कुछ चरम परिस्थितियों के लिए पूरी तरह अनुकूल नहीं था.

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इन समस्याओं के बावजूद HAL ने दावा किया है कि ध्रुव की विश्वसनीयता दर 95% से अधिक है. अधिकांश दुर्घटनाएं मानवीय त्रुटि या रखरखाव की कमी के कारण हुईं. 2025 की दुर्घटना के बाद HAL ने सभी हेलीकॉप्टरों का गहन निरीक्षण किया. कमेटी की सिफारिशों के आधार पर सुधार लागू किए.

HAL और सशस्त्र बलों का सहयोग

HAL और सशस्त्र बलों के बीच सहयोग इस मंजूरी का आधार रहा है. HAL ने न केवल तकनीकी सुधार किए, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं.

उन्नत डायग्नोस्टिक सिस्टम: हेलीकॉप्टरों में नए सेंसर और डायग्नोस्टिक टूल्स लगाए गए हैं, जो रियल-टाइम में खराबी का पता लगा सकते हैं.

रखरखाव प्रोटोकॉल: नियमित रखरखाव और निरीक्षण की प्रक्रिया को और सख्त किया गया है.

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स्वदेशी उन्नयन: HAL ध्रुव के लिए स्वदेशी एवियोनिक्स और हथियार प्रणालियों को विकसित कर रहा है, ताकि इसे और उन्नत बनाया जा सके.

HAL ने यह भी कहा कि वह ध्रुव के निर्यात की संभावनाओं पर काम कर रहा है. हाल ही में दक्षिण अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया के कुछ देशों ने इस हेलीकॉप्टर में रुचि दिखाई है.

भविष्य की योजनाएं

ALH ध्रुव की मंजूरी भारतीय रक्षा क्षेत्र के लिए एक सकारात्मक कदम है. इस हेलीकॉप्टर की वापसी से सेना और वायुसेना की परिचालन क्षमता में वृद्धि होगी, खासकर जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में. HAL ने भविष्य में ध्रुव के उन्नत संस्करण जैसे ALH Mk-IV को विकसित करने की योजना बनाई है, जिसमें और अधिक शक्तिशाली इंजन और हथियार प्रणालियां शामिल होंगी.

इसके अलावा, HAL स्वदेशी लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (LCH) और अन्य परियोजनाओं पर भी काम कर रहा है, जो भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता को और मजबूत करेंगे. ध्रुव हेलीकॉप्टर की मंजूरी से HAL की विश्वसनीयता और तकनीकी क्षमता पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.

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