उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में बादल फटने और भयानक बाढ़ ने हर्षिल और आसपास के इलाकों में भारी तबाही मचा दी है. दो दिन बीत जाने के बाद भी यह क्षेत्र तबाही से उबर नहीं पाया है. Photo: ITG
आजतक की टीम हर्षिल के आर्मी कैंप तक पहुंचने में सफल रही. आजतक के संवाददाता मंजीत नेगी ने वहां का हाल दिखाया, जो इस आपदा की गंभीरता को बयान करता है. Photo: ITG
आजतक की टीम ने हर्षिल तक का रास्ता तय किया, मंजीत नेगी ने बताया कि बादल फटने के बाद आई बाढ़ ने इलाके की कनेक्टिविटी पूरी तरह तोड़ दी थी. सड़कें बह गईं, पुल टूट गए, और लोग एक-दूसरे से कट गए. Photo: ITG
अब रास्ता बहाल होने से राहत टीमें और मीडिया वहां तक पहुंच पा रही हैं. हर्षिल में गंगोत्री को जोड़ने वाला हाईवे, जो कभी व्यस्त रहता था, अब पूरी तरह तबाह हो चुका है. Photo: ITG
वीडियो में दिखाया कि हर्षिल में हर तरफ सिर्फ मलबा ही मलबा नजर आ रहा है. गाड़ियां और ट्रक उलटे पड़े हैं, जैसे कोई तूफान उन्हें उखाड़कर फेंक गया हो. टिन की चादरें, दुकानों के बोर्ड और चारपाइयां पत्तों की तरह बिखरी पड़ी हैं. Photo: ITG
मकान, दुकानें, होटल—सब कुछ बह गया है. यहां तक कि आर्मी का बेस कैंप भी इस बाढ़ की चपेट में आ गया. आर्मी की गाड़ियां और मेस (भोजन कक्ष) का भी नामोनिशान नहीं बचा. Photo: ITG
जगह-जगह बड़े-बड़े पत्थर बिखरे हैं और गाड़ियां टूटी पड़ी हैं, जैसे बच्चों के टूटे खिलौने. यह प्रलय का ऐसा मंजर है, जिसे देखकर मन सिहर उठता है. Photo: ITG
हर्षिल के आर्मी बेस कैंप में बाढ़ आने से सबसे बड़ी चिंता जवानों की सुरक्षा की है. मंजीत नेगी ने बताया कि कैंप में 8 जवान और एक जेसीओ (जूनियर कमीशंड ऑफिसर) मौजूद थे, जो बाढ़ की चपेट में आ गए. अभी उनकी तलाश का काम चल रहा है. Photo: ITG
आर्मी का मेस, जो पहले 12 फीट ऊंचा था, अब आधे से ज्यादा जमीन के अंदर धंस चुका है. किचन का सामान—बाल्टी, बर्तन और अन्य चीजें—तितर-बितर पड़े हैं. मेस का दरवाजा इतना नीचे चला गया है कि अब वह खिड़की जैसा लग रहा है. यह दृश्य बताता है कि बाढ़ कितनी शक्तिशाली थी. Photo: ITG
हालांकि तबाही का मंजर भयावह है, लेकिन राहत टीमें पूरी ताकत से काम कर रही हैं. आर्मी के जवान और अन्य बचाव दल मलबे को हटाकर फंसे लोगों और जवानों को ढूंढने में जुटे हैं. हेलिकॉप्टरों का इस्तेमाल हो रहा है. Photo: ITG
उम्मीद है कि रेस्क्यू ऑपरेशन तेज होगा. स्थानीय लोग और सेना मिलकर इस संकट से निपटने की कोशिश कर रहे हैं. Photo: ITG
धराली में कीचड़, टूटे पहाड़, और बारिश के बीच रेस्क्यू ऑपरेशन बेहद मुश्किल है, लेकिन भारतीय सेना और राहत टीमें हिम्मत नहीं हार रही हैं. इससे रेस्क्यू ऑपरेशन में और देरी हो सकती है. ऊंचाई वाले क्षेत्रों में फंसे लोगों तक पहुंचना अभी भी मुश्किल है, और मलबे में दबे लोगों को ढूंढना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. Photo: ITG
225 से ज्यादा सैनिक, जिसमें इंजीनियर और मेडिकल स्टाफ शामिल हैं, दिन-रात रेस्क्यू में जुटे हैं. वे कीचड़ में पैदल चलकर लोगों तक पहुंच रहे हैं. Photo: ITG