फांसी के फंदे से चंद दिन दूर शबनम के मासूम बेटे की अपील- राष्ट्रपति अंकल...मेरी मां को माफ कर दीजिए

अमरोहा के बहुचर्चित बामनखेड़ी कांड की गुनाहगार शबनम के इकलौते बेटे ने बताया कि उसकी मां उसे बेहद प्यार करती है. उसे गले लगाती है और पैसे भी देती है. इस मासूम ने देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से अपनी मां के गुनाहों की सजा को माफ करने की अपील की है, ताकि उसके सिर से मां का साया न उठ जाए. 

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शबनम को लगेगी फांसी (प्रतीकात्मक तस्वीर) शबनम को लगेगी फांसी (प्रतीकात्मक तस्वीर)

कुमार अभिषेक

  • नई दिल्ली,
  • 18 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 5:48 PM IST
  • कभी भी आ सकता है फांसी का फरमान
  • बामनखेड़ी कांड की गुनाहगार है शबनम

उत्तर प्रदेश में अमरोहा के बहुचर्चित बामनखेड़ी कांड की गुनाहगार शबनम के डेथ वारंट पर कभी भी हस्ताक्षर हो सकता है और उसे फांसी पर लटकाया जा सकता है, लेकिन फांसी की संभावनाओं के दरम्यान शबनम के बेटे ने देश के राष्ट्रपति रामनाथ गोविंद से अपनी मां की फांसी की सजा को माफ करने की अपील की है. शबनम का बेटा न सिर्फ राष्ट्रपति से अपनी मां के गुनाहों को माफ करने की गुहार लगा रहा है, बल्कि उसकी पलकें उन पलों को याद करके नम हो जाती हैं, जब वह अपनी मां से मिलने के लिए रामपुर जेल जाता था.

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बुलंदशहर के सुशीला विहार कॉलोनी में रहने वाले उस्मान सैफी को शबनम की इकलौती संतान की जिम्मेदारी सौंपी गई है. इस मासूम के कस्टोडियन उस्मान का कहना है कि निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने शबनम को फांसी की सजा सुनाई है. शबनम के बेटे का जन्म जेल में हुआ था. जब उसकी उम्र 06 साल हुई, तो उसे जेल में बाहर लाया गया और अमरोहा जिला प्रशासन ने उस्मान को कस्टोडियन बनाया.

उस्मान बताते हैं कि शबनम का बेटा बुलंदशहर के प्रतिष्ठित स्कूल में पढ़ाई कर रहा है और वह जहां तक पढ़ेगा, उसकी पढ़ाई और परवरिश का मुकम्मल इंतजाम है. वे ये भी कहते हैं कि शबनम के नाम पर काफी प्रॉपर्टी है. वे शबनम से कह चुके हैं कि इस प्रॉपर्टी को स्कूल, कॉलेज, अस्पताल जैसे किसी अच्छे काम के लिए दान कर दें.

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2008 की है घटना 
आपको बता दें कि 15 अप्रैल 2008 को अमरोहा के गांव बामनखेड़ी की रहने वाली शबनम ने अपने प्रेमी सलीम की मदद से प्रेम संबंध में बाधा बने अपने माता-पिता, दो भाई, भाभी, मौसी की लड़की और सात माह के दुधमुंहे भतीजे को कुल्हाड़ी से काटकर मौत के घाट उतार दिया था. इसके बाद निचली अदालत ने शबनम को फांसी की सजा सुनाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने भी उसकी सजा बरकरार रखी और अब राष्ट्रपति ने भी शबनम की दया याचिका को खारिज कर दिया है.

मथुरा जेल में होगी फांसी
राष्ट्रपति के अपील ठुकराने के बाद अब शबनम को फांसी देने की तैयारी शुरू कर दी गई है. रामपुर जिला कारागार में बंद शबनम को मथुरा में स्थित फांसी घर में फांसी दी जाएगी. आजाद हिंदुस्तान में ये पहली बार होगा, जब किसी महिला को फांसी होगी. जेल प्रशासन ने रस्सी बनाने का ऑर्डर दे दिया है और शबनम के वजन के बराबर पत्थर को लटकाने का रिहर्सल शुरू कर दिया गया है.

यहां तक कि मेरठ का जल्लाद पवन कई बार मथुरा जिला कारागार में फांसी की तैयारी का जायजा ले चुका है. हालांकि अभी जेल प्रशासन को शबनम के डेथ वारंट का इंतजार है. बता दें कि शबनम की अब कोई अपील बाकी नहीं है और दया याचिका भी खारिज हो चुकी है. ऐसे में रामपुर जिला कारागार के जेलर ने अमरोहा के जिला जज से आगे की कार्यवाही के बारे में निर्देश मांगा है. अगर डेथ वारंट जारी होता है, तो यह रामपुर जेलर को भेजा जाएगा लेकिन उसे फांसी मथुरा जेल में ही हो पाएगी.

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