Pahalgam Terror Attack: जांच के लिए J-K पहुंची NIA की टीम, बैसारन घाटी का किया दौरा

पहलगाम में 'मिनी स्विट्जरलैंड' कहे जाने वाले बैसारन घाटी में हुए आतंकी हमले की जांच के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक टीम बुधवार को जम्मू-कश्मीर पहुंच गई है. इस टीम का ने नेतृत्व आईजी स्तर के एक अधिकारी कर रहे हैं. एनआईए की टीम हमले की जांच कर रही स्थानीय पुलिस को सहायता प्रदान करेगी.

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एनआईए की एक टीम बुधवार को जम्मू-कश्मीर पहुंच गई है. एनआईए की एक टीम बुधवार को जम्मू-कश्मीर पहुंच गई है.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 4:57 PM IST

पहलगाम में 'मिनी स्विट्जरलैंड' कहे जाने वाले बैसारन घाटी में हुए आतंकी हमले की जांच के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक टीम बुधवार को जम्मू-कश्मीर पहुंच गई है. इस टीम का ने नेतृत्व आईजी स्तर के एक अधिकारी कर रहे हैं. सूत्रों ने बताया कि एनआईए की टीम मंगलवार को हुए आतंकवादी हमले की जांच कर रही स्थानीय पुलिस को सहायता प्रदान करेगी. इस हमले में 28 लोगों की मौत हो गई, जबकि एक दर्जन लोग घायल हैं.

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जानकारी के मुताबिक, एनआईए की टीम ने बैसरन घाटी का दौरा किया. यहां आतंकवादियों ने अपने परिवारों के साथ पिकनिक मना रहे पुरुष पर्यटकों की गोली मारकर हत्या कर दी. सुरक्षा एजेंसियों ने इस भीषण हमले में शामिल होने के संदेह में तीन लोगों के स्केच जारी किए हैं. तीनों की पहचान पाकिस्तानी के रूप में की गई है. इनके नाम आसिफ फौजी, सुलेमान शाह और अबू तल्हा हैं. जीवित बचे लोगों की मदद से इनके स्केच तैयार किए गए हैं.

पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा आतंकवादी समूह के छद्म संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (टीआरएफ) ने इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली है. इस हमले का मास्टमाइंड लश्कर आतंकी सैफुल्लाह खालिद को बताया जा रहा है. उसे सैफुल्लाह कसूरी के नाम से भी जाना जाता है. ये हिंदुस्तान के सबसे बड़े दुश्मन हाफीज सईद का बहुत करीबी है. भारत में कई बड़े आतंकी हमलों में इसका नाम आता रहा है. ये हमेशा लग्जरी कारों से चलता है. अत्याधुनिक हथियारों से लैस रहता है. 

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5 अगस्त 2019 को संविधान में संशोधन करके जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35ए को हटाया गया था. इसके बाद पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद को कवर करने के लिए आईएसआई ने टीआरएफ यानी 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' का गठन किया था. पाकिस्तानी सेना इस आतंकी संगठन की मदद करती है. लश्कर के फंडिंग चैनलों का इस्तेमाल होता है. गृह मंत्रालय ने भी बताया था, "द रेजिस्टेंस फ्रंट लश्कर-ए-तैयबा का एक मुखौटा संगठन है.'' 

साल 2019 में टीआरएफ अस्तित्व में आया था. उसके बाद से वो जम्मू और कश्मीर में लगातार आतंकी हमले कर रहा है. टीआरएफ का 'हिट स्क्वॉड' और 'फाल्कन स्क्वॉड' आने वाले दिनों में कश्मीर में बड़ी चुनौती पेश कर सकता है. इस आतंकी मॉड्यूल को टारगेट किलिंग को अंजाम देने, जंगली और ऊंचे इलाकों में छिपने के लिए ट्रेंड किया गया है. साल 2022 की अपनी वार्षिक रिपोर्ट में, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कहा कि कश्मीर में सुरक्षा बलों की कार्रवाई का एक ब्यौरा दिया था.
 
इसमें बताया गया था कि 90 से ज़्यादा ऑपरेशनों में 42 विदेशी नागरिकों सहित 172 आतंकवादी मारे गए. घाटी में मारे गए आतंकवादियों में से ज़्यादातर (108) द रेजिस्टेंस फ्रंट या लश्कर-ए-तैयबा के थे. इसके साथ ही आतंकवादी समूहों में शामिल होने वाले 100 लोगों में से 74 टीआरएफ द्वारा भर्ती किए गए थे, जो पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूह से बढ़ते ख़तरे को दर्शाता है. टीआरएफ का नाम पहली बार साल 2020 में कुलगाम में हुए हत्याकांड के बाद सामने आया था.

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